लखनऊ (ब्यूरो)। फेफड़ों में सूजन या पानी भर जाने की स्थिति को निमोनिया कहते हैं। इसके होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें टीबी की वजह से निमोनिया होना भी शामिल है। टीबी लंग्स को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, जिसकी वजह से लंग्स में पानी आना, गांठ बढऩा आदि हो सकता है। क्योंकि लंग्स के जिस हिस्से में सांस लेते हैं और गैस बदलती है, उस लेवल पर प्रभाव पडऩे से निमोनिया होता है। हालांकि, यह बहुत कॉमन नहीं है। इस तरह के प्रत्येक 100 मामलों में 20-25 मामले देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में लोगों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। इसी को देखते हुए हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है।

निमोनिया के कई कारण

केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ। सूर्यकांत का कहना है कि फेफड़े के संक्रमण की वजह से तो निमोनिया हो ही सकता है, पर कुछ अन्य कारण भी हैं जिनसे यह हो सकता है। जैसे केमिकल निमोनिया, एस्परेशन निमोनिया, ऑबस्ट्रक्टिव निमोनिया। बैक्टीरिया, हिमोफिलस, लेजियोनेला आदि के कारण भी निमोनिया हो सकता है। इसके अलावा टीबी के कारण भी फेफड़े में निमोनिया हो सकता है।

एंटीबायोटिक से सफल इलाज

डॉ। सूर्यकांत के मुताबिक, निमोनिया का संक्रमण किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ बीमारियां व स्थितियां ऐसी हैं, जिसमें निमोनिया का खतरा अधिक होता है। इनमें धूम्रपान, अल्कोहल, डायलिसिस, हार्ट, लंग्स, लिवर की बीमारी, मधुमेह आदि शामिल है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर 43 सेकेंड में निमोनिया से एक बच्चे की मौत होती है। प्रतिवर्ष निमोनिया से लगभग 45 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं। जो कि विश्व की जनसंख्या का सात प्रतिशत है। पर 20वीं शताब्दी में एंटीबायोटिक उपचार और टीकों के कारण मृत्युदर में काफी कमी आई है।

निमोनिया के प्रसार के प्रमुख कारक

-सांस के रास्ते यानि खांसने या छींकने से

-खून के रास्ते यानि डायलिसिस वाले मरीज या अस्पताल में लंबे समय से भर्ती मरीज

-एसपीरेशन यानि मुंह एवं ऊपरी पाचन नली के स्रावों का फेफड़ों में चले जाना

निमोनिया से कैसे करें बचाव

-ठंड से बचें

-बच्चे व वृद्ध खास सतर्कता बरतें

-पानी का पर्याप्त सेवन करें

-धूम्रपान, शराब एवं अन्य नशा न करें

-मधुमेह एवं अन्य बीमारियों को नियंत्रण में रखें

लक्षणों का रखें ध्यान

-खांसी

-सांस फूलना

-खून आना

-बुखार आना

-जकडऩ होना