लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी स्थित आरटीओ कार्यालय भी आग के मुहाने पर है, यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यहां दिनभर लाइसेंस संबंधी कार्य कराने वालों की भारी भीड़ रहती है, इसके बाद भी यहां आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। कई जगहों से अग्निशमन यंत्र गायब हो गए हैं और जो थोड़े बहुत इधर-उधर लगे हैं, वह एक तरह से बेकार ही हो चुके हैं। यहां हाइड्रेंट प्वाइंट भी नहीं है। जब विभागीय अधिकारियों ने इस बारे में बात की गई तो उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं थी।

दोनों भवनों में आग बुझाने की व्यवस्था नहीं

आरटीओ कार्यालय में दो भवन हैं, जिसमें एक सारथी भवन और दूसरा पुराना आरटीओ भवन है। इन भवनों में आग बुझाने के इंतजाम नहीं हैं। सारथी भवन में जगह-जगह तार झूल रहे हैं और यहां शार्ट सर्किट से आग लग सकती है। पुराने भवन का भी कुछ ऐसा ही हाल है। यहां कई कमरों में लकड़ी का फर्नीचर भरा है और कई कमरों में पुरानी फाइलों का ढेर फर्श से छत तक लगा है। ऐसे में अगर यहां आग लगी तो उसे नियंत्रित करना आसान नहीं होगा।

रहते हैं 500 से अधिक वाहन

परिसर के अंदर आफिस टाइम में 500 से अधिक वाहन मौजूद रहते हैं। इन वाहनों में मौजूद पेट्रोल और डीजल में आग लगते ही आरटीओ कार्यालय आग का गोला बन सकता है। वहीं आरटीओ कार्यालय में रोज कम से कम एक हजार लोगों का आना-जाना बना रहता है।

आग बुझाने के व्यापक इंतजाम किए जाएंगे। इसके लिए जल्द बैठक बुलाई जाएगी। फायर डिपार्टमेंट से अधिकारियों को बुलाकर कर्मचारियों को अग्निशमन यंत्र चलाने की ट्रेनिंग दिलाई जाएगी।

-अखिलेश कुमार द्विवेदी, एआरटीओ प्रशासन, लखनऊ

इससे बढ़ सकती है मुसीबत

- आरटीओ परिसर में वर्षों पुरानी फाइलें कमरों में ठूंस कर भरी गई हैं

- परिसर की दीवार से लग कर कई होटल और ढाबों का संचालन हो रहा है

- परिसर में लटके तारों से शार्ट सर्किट की आशंका बनी रहती है