लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन का एक फरमान रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधकों और सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। निगम प्रशासन की ओर से हाल ही में एक आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया कि अगर चालक-परिचालक बस संचालन के बजाय अन्य कोई कार्य करते हुए पाए जाते हैं, तो इसके लिए सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक और क्षेत्रीय प्रबंधक सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। चालक-परिचालक का जो भी वेतन होगा उसकी भरपाई क्षेत्रीय प्रबंधक और सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक के वेतन से की जाएगी। 50 फीसद आरएम के वेतन से और 50 फीसद एआरएम के वेतन से कटौती होगी। निगम प्रशासन के इस आदेश से क्षेत्रीय अधिकारी परेशान हैं, क्योंकि परिवहन निगम में कर्मचारियों की बड़ी संख्या में कमी है। भर्ती मानकों का पालन निगम प्रशासन की तरफ से नहीं किया जा रहा है और दबाव क्षेत्रीय अधिकारियों पर बनाया जा रहा है।

विभाग का आदेश ही बना परेशानी

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। न बस चलाने के लिए मानकों के अनुरूप चालक ही उपलब्ध हैं और न परिचालक। इतना ही नहीं, दफ्तरों में काम करने के लिए जितने कर्मचारी होने चाहिए उसके आधे भी नहीं हैं। क्षेत्रीय अधिकारी किसी तरह कर्मचारियों की व्यवस्था कर काम चला रहे थे लेकिन परिवहन निगम प्रशासन की तरफ से दफ्तरों में लगे चालक-परिचालकों को तत्काल मूल पद पर काम करने के लिए वापस भेजने के आदेश दे दिए गए। इसके बाद सभी चालक-परिचालक दफ्तरों से हटा दिए गए। लिहाजा, अब क्षेत्रीय कार्यालयों के दफ्तर और रोडवेज बसों के मेंटेनेंस के लिए स्थापित कार्यशालाएं कर्मचारियों की कमी से जूझने लगी हैं। काम बाधित होने लगा है। बावजूद इसके हाल ही में यूपीएसआरटीसी की प्रबंध निदेशक अन्नपूर्णा गर्ग की तरफ से प्रदेश भर के सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों और सेवा प्रबंधकों को कड़े निर्देश जारी कर दिए गए। इसमें कहा गया है कि सक्षम चालकों, परिचालकों से लिपिकीय कार्य लिया जा रहा है। जिससे उनकी उत्पादकता कुप्रभावित हो ही रही है। बसों का संचालन भी चालकों-परिचालकों के अभाव में बाधित हो रहा है। यह बिल्कुल भी सही नहीं है। निगम प्रशासन की तरफ से जो निर्देश जारी किए गए हैं उनका कड़ाई से अनुपालन किया जाए। निर्देशों का पालन करा पाना क्षेत्रीय अधिकारियों के लिए चुनौती साबित हो रहा है, क्योंकि काम कराने के लिए कर्मचारी ही मौजूद नहीं हैं।

ये हैं निर्देश

- बुकिंग लिपिक, वरिष्ठ लिपिक, कार्यालय सहायक द्वितीय और प्रथम के पदों को शत-प्रतिशत भरा जाए जिससे लिपिकीय कार्य में लगे हुए चालक परिचालक पद के अनुरूप सिर्फ बस का संचालन ही करें।

- ईटीएम कार्य के लिए पूर्व निर्धारित एक परिचालक की अनुमान्यता के अनुसार ही कार्य कराया जाए।

- डग ड्यूटी के लिए निर्धारित मानक 80 बसों के लिए दो चालक और उससे अधिक पर तीन चालकों को ही लगाया जाए।

- अनुबंधित स्टाफ कार पर परिवहन निगम के चालकों से किसी भी दशा में काम ना लिया जाए इसके लिए वाहन स्वामी की तरफ से उपलब्ध कराए गए चालक से ही कार्य लिया जाए।

- मानक से इतर ड्राइवर कंडक्टरों से लिपिकीय कार्य किए जाने की दशा में उनके वेतन पर खर्च होने वाली राशि का 50 प्रतिशत सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक से और 50 प्रतिशत संबंधित क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक के वेतन से कटौती की जाएगी। इसका लेखा-जोखा रखना और क्रियान्वयन सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक वित्त करेंगे। वित्त नियंत्रक इस व्यवस्था को मुख्यालय स्तर पर सुनिश्चित करेंगे और हर माह की 10 तारीख को पिछले माह के संबंध में हुई कार्रवाई से अवगत कराएंगे।

- सक्षम चालक परिचालकों को ड्यूटी एलॉट किए जाने के बाद ही संविदा के चालक परिचालकों को ड्यूटी दी जाएगी। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, वरिष्ठ केंद्र प्रभारी और टाइम कीपर जिम्मेदार होंगे।