- सूबे में कई बाहुबली नेता जेल में रहते हुए विधायक बनने को बेताब

- जेल में बंद कई नेताओं ने अपनी पत्नियों को सौंपी जिम्मेदारी

- यूपी में जेल में रहते चुनाव लड़ने का चलन नहीं हो रहा कम

ashok.mishra@inext.co.in

जेल से छूटते ही चुनाव मैदान में
यहीं नहीं, हाल ही में जेल से छूटकर आए कई नेता भी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाने को जुट गये हैं। एनआरएचएम घोटाले में जेल गये मुकेश श्रीवास्तव को सपा ने बहराइच की पयागपुर सीट से टिकट दिया है। इसी तरह पूर्व मंत्री अवधपाल सिंह यादव भी जेल से छूटने के बाद बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की जुगत मे हैं। बसपा के टिकट पर ही एनआरएचएम घोटाले के आरोप में जेल गये महेंद्र पांडेय वाराणसी की सेवापुरी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। करीब साल भर पहले जेल से बाहर आए बाहुबली नेता धनंजय सिंह भी निषाद पार्टी के टिकट पर जौनपुर की मल्हनी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इस फेहरिस्त में लैकफेड घोटाले के आरोप में जेल गये पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र, बादशाह सिंह, चंद्रदेव राम यादव भी शामिल हैं। रंगनाथ मिश्र बसपा के टिकट पर भदोही, बादशाह सिंह महोबा से निर्दलीय और चंद्रदेव राम यादव बसपा के टिकट पर आजमगढ़ की निजामाबाद सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

जेल से किस्मत आजमाएंगे ये नेता :

यूपी इलेक्शन- 2017: सलाखों के पीछे से सरगना की चुनावी बाजी
1- मनोज गौतम
यूपी का हालिया विधानसभा चुनाव इतिहास में एक शर्मनाक घटना के लिए भी जाना जाएगा। बुलंदशहर की खुर्जा सीट से रालोद प्रत्याशी मनोज गौतम ने सहानुभूति वोट पाने के लिए अपने भाई की हत्या ही करा दी। घटना के चंद घंटों के भीतर इसका खुलासा कर पुलिस ने मनोज को गिरफ्तार कर लिया लिहाजा अब वह जेल से ही चुनाव लड़ेगा। इस घटना ने सियासत में आपराधिक मानसिकता के लोगों के दखल को उजागर करने के साथ आम जनता को झकझोरने का काम भी किया है।

यूपी इलेक्शन- 2017: सलाखों के पीछे से सरगना की चुनावी बाजी

2- मुख्तार अंसारी
माफिया से राजनेता बने मुख्तार इस बार फिर बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। मऊ की घोसी सीट से मुख्तार चुनाव लड़ने जा रहे हैं और उन्हें जिताने का जिम्मा उनके बड़े भाई अफजाल अहमद अंसारी ने उठा रखा है। मुख्तार के पुत्र अब्बास भी खुद के साथ अपने पिता के लिए भी प्रचार कर रहे हैं। लखनऊ जेल में कैद मुख्तार भी चुनाव को लेकर खासे सक्रिय हैं और जेल की सलाखें भी उनके प्रचार अभियान को फीका करने में फिलहाल नाकाम साबित हो रही है।

यूपी इलेक्शन- 2017: सलाखों के पीछे से सरगना की चुनावी बाजी

3- अमनमणि त्रिपाठी
सारा हत्याकांड में जेल में बंद पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र अमनमणि त्रिपाठी भी जेल से चुनाव लड़ रहे हैं। पहले उन्हें समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया था लेकिन सपा में सत्ता परिवर्तन के बाद अमनमणि का टिकट कट गया और अब वे निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उनकी बहन तनुश्री उनके लिए लगातार प्रचार कर रही हैं। अमनमणि को वे जिताने के लिए जगह-जगह जाकर अपील कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर सारा की मां सीमा सिंह भी जनता को अपनी बेटी के हत्यारे को वोट न देने की अपील करने में जुटी हैं। आज ही अमनमणि को पैरोल भमिली है।

यूपी इलेक्शन- 2017: सलाखों के पीछे से सरगना की चुनावी बाजी

4- नारायण साई
जेल में कैद आशाराम बापू के पुत्र नारायण साई भी जेल में रहकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। सलाखों के पीछे से निकलने के लिए अब उन्होंने राजनीति को जरिया बनाया है और खुद ओजस्वी पार्टी का गठन भी किया है। वे वाराणसी की शिवपुर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। नारायण साई ने 2013 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने की कोशिश भी की थी लेकिन नाकामयाब रहे। अब उनकी तैयारी यूपी में 150 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने की है।

यूपी इलेक्शन- 2017: सलाखों के पीछे से सरगना की चुनावी बाजी

5- विनीत सिंह
फजीवाड़े के आरोप में झारखंड की रांची जेल में कैद पूर्व एमएलसी श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह बसपा के टिकट पर चंदौली की सैयदराजा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने इस मामले में दिसंबर माह में ही सरेंडर किया था जिसके बावजूद बसपा ने उन्हें टिकट दे दिया। उन्हें 2003 में गिरफ्तार किया गया था लेकिन फर्जी दस्तावेजों के सहारे जमानत पाने मे कामयाब हो गये और 2010 में एमएलसी भी बन गये। विनीत सिंह पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण के करीब एक दर्जन मुकदमे भी दर्ज रहे है।

 

इनकी पत्ि‌नयों ने थामी बागडोर :

यूपी इलेक्शन- 2017: सलाखों के पीछे से सरगना की चुनावी बाजी

1- मुन्ना बजरंगी
माफिया मुन्ना बजरंगी की पत्‌नी जौनपुर की मडि़याहूं सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। कुछ दिन पहले मुन्ना ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया था लेकिन बाद में अपनी पत्‌नी को चुनाव मैदान में उतारने का निर्णय लिया। अपना दल (कृष्णा पटेल गुट) से उनका टिकट फाइनल होने की चर्चा है और वे 14 फरवरी को नामांकन दाखिल करने की तैयारी में हैं। इस सीट से वे पिछला चुनाव भी लड़ चुकी हैं लेकिन जीत हासिल करने में नाकामयाब रहीं थी। उनके दोबारा चुनाव लड़ने से जौनपुर का सियासी पारा गर्म होना तय है।

यूपी इलेक्शन- 2017: सलाखों के पीछे से सरगना की चुनावी बाजी

2- उदयभान करवरिया
जवाहर पंडित हत्याकांड में जेल में बंद करवरिया बंधुओं में से उदयभान करवरिया की पत्‌नी नीलम करवरिया चुनाव मैदान में हैं। नीलम को भाजपा ने इलाहाबाद की मेजा सीट से प्रत्याशी घोषित किया है। बसपा और भाजपा के करीबी रहे करवरिया बंधु पिछले तीन साल से जेल में हैं और इस बार नीलम करवरिया उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में जुटी हैं। वहीं जेल से तीनों नीलम के प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

यूपी इलेक्शन- 2017: सलाखों के पीछे से सरगना की चुनावी बाजी

3- मौसम चौधरी
पेंदा कांड के आरोप में जेल में बंद मौसम चौधरी की पत्‌नी शुचि मौसम चौधरी इस बार चुनाव में हिस्सा लेकर अपने पति की सियासी जमीन को बचाने का प्रयास कर रही हैं। बिजनौर से चुनाव लड़ रहीं शुचि का मुकाबला सपा की सिटिंग विधायक रुचि वीरा से है। विगत 16 सिंतबर को हुए पेंदा में हुई सांप्रदायिक हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गयी थी जिसके बाद मुख्य आरोपी मौसम चौधरी को जेल जाना पड़ा था।