लखनऊ (ब्यूरो)। आखिरकार पिछले करीब पंद्रह दिनों से प्रदेश पर छाए बिजली संकट के बादल अब छंटते नजर आ रहे हैैं। 1686 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का प्रबंध हो जाने से बिजली संकट की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी। जिसकी वजह से शहरों और गांवों में रहने वाले लोगों को बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

मांग नहीं बढ़ी तो स्थिति बेहतर

अतिरिक्त बिजली मिलने से रविवार को पूरे प्रदेश में बिजली सप्लाई की स्थिति पिछले दिनों के मुकाबले बेहतर रही है। इतना ही नहीं, अब पावर कट की समस्या भी दूर होगी। अगर तीन से चार दिन तक बिजली की डिमांड नहीं बढ़ी तो पावर कॉरपोरेशन की ओर से निर्धारित रोस्टर के अनुसार ही बिजली सप्लाई शुरू कर दी जाएगी।

बिजली आपूर्ति में एक से डेढ़ घंटे का सुधार

उप्र पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज की मानें तो 1686 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिली है। यह बिजली एक मई की रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक मिली, जिसकी वजह से बिजली आपूर्ति में एक से डेढ़ घंटे का सुधार हुआ है।

इस तरह समझें

-20800 मेगावाट डिमांड थी प्रदेश में दोपहर दो बजे

-838 मेगावाट बिजली मिली कॉम्पटीटिव बिडिंग से

-131 मेगावाट मिली हाइड्रो के माध्यम से

-717 मेगावाट मिली मप्र एवं राजस्थान से

-4300 मेगावाट उत्पादन निगम से

कोयले के स्टाक में हुआ सुधार

उत्पादन गृहों के कोयले के स्टाक में भी आंशिक सुधार देखने को मिला है। पारीछा जहां पर पिछले कुछ दिनों से लगातार एक दिन का स्टाक शेष रहता था, रविवार को दो दिन का स्टाक रहा। अनपरा पांच दिन, ओबरा तीन दिन व हरदुआगंज उत्पादन गृह के पास चार दिन के कोयले का स्टाक था।

कटौती पर दिखा असर

नगर पंचायतों, तहसील मुख्यालयों पर भी बिजली सप्लाई के घंटों में सुधार हुआ। बुंदेलखंड को 16 घंटे, नगर पंचायतों को 17 घंटे और तहसील मुख्यालयों को 16.30 घंटे बिजली दी गई। गांवों को प्रतिदिन 18 घंटे, बुंदेलखंड को 20 घंटे, नगर पंचायतों तथा तहसील मुख्यालयों को 21.30 घंटे बिजली देने का शेड्यूल है, जबकि जिला मुख्यालयों और महानगरों में 24 घंटे बिजली दी जानी है।