लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का स्थापना दिवस समारोह रविवार को अकादमी के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में मनाया गया। इस अवसर पर कथक केंद्र की प्रस्तुति आयाम और नेहा सिंह, कांतिका मिश्रा की प्रस्तुति नायिका द वुमेन विदिन का प्रभावी प्रदर्शन किया गया। संस्कृति प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम, निदेशक शिशिर, विशेष सचिव आनंद कुमार की प्रेरणा से आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्थापना दिवस समारोह धरोहर नाम से आयोजित किया गया।

कथक ने बांधा समां

अकादमी सचिव तरुण राज की उपस्थिति में अतिथियों का स्वागत किया गया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विशेष सचिव मुख्यमंत्री कुमार हर्ष, विशिष्ट अतिथि ब्रिगेडियर नवदीप सिंह, वैज्ञानिक नीरज दुबे, शैलजा कांत ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन अलका निवेदन ने किया। वहीं, कथक केंद्र लखनऊ ने विशेष रूप से कथक आयाम नाम से सुंदर प्रस्तुति दी। परंपरा के अनुरूप सबसे पहले गुरु वंदना और तराना पेश किया गया। उसमें रजनी वर्मा के निर्देशन में अवंतिका, मनीषि, सिद्धि, तोषिता आदि ने कथक के लखनवी घराने की सशक्त झलक पेश की। इस क्रम में दूसरी प्रस्तुति आरोह में कलाकारों ने थाट, उठान, आमद, तिहाई की खूबसूरती को दर्शाया। नीता जोशी के निर्देशन में सृष्टि प्रताप, विधि जोशी, अदिति जायसवाल, निहारिका शर्मा, प्रियांशी पाल ने श्रंगार की ठुमरी एवं सूफी रचनाओं के माध्यम से आरोह के स्वरूप को सुंदर रूप में विस्तारित किया। तृतीय कथक प्रस्तुति मेघ रंग अपने नाम के अनुरूप वर्षा ऋतु पर आधारित रही।

प्रस्तुतियों ने मोहा मन

धरोहर स्थापना दिवस समारोह के दूसरे सत्र में नायिका द वुमेन विदिन में नेहा सिंह और कांतिका मिश्रा ने पं। अनुज मिश्रा की अवधारणा को मंच पर साकार किया। पहली प्रस्तुति शक्ति में मां दुर्गा राग बैरागी भैरव पर आधारित थी। दूसरी प्रस्तुति अंतद्र्वन्द्व में दोनों कलाकारों ने शुद्ध कथक नृत्य को ताल धमार 14 बीट में दर्शाया गया। टाइम साइकिल पर आधारित नृत्य के समकालीन पहलू को इसमें शामिल किया गया था। स्त्री विमर्श, अराजकता से लेकर मित्रता तक के वृहद समसामयिक विषयों को खूबसूरती के साथ इसमें पिरोया गया था। तीसरी प्रस्तुति मीरा में नेहा सिंह मिश्रा ने मीरा बाई के आध्यात्मिक स्वरूप के साथ भगवान कृष्ण के प्रति उनके समर्पण की ऊंचाइयों को भी दर्शाया। राग भिन्न षड्ज पर आधारित इस नृत्य में पारंपरिक कथक के भाव पक्ष को पेश किया गया।

कला रसिकों ने लिया आनंद

चौथी प्रस्तुति द्रौपदी में कांतिका मिश्रा ने द्रौपदी के क्रोध को नृत्य के माध्यम से कलात्मक रूप में पेश किया। इसमें दर्शाया गया कि द्रौपदी के अपराधी न होने पर भी स्त्रियां उसके पक्ष में नहीं आयीं थीं। अंतिम प्रस्तुति प्रतिबिंब में समाज के लिए सुखद संदेश दिया गया कि मौजूदा समय में महिलाएं हर क्षेत्र में यश अर्जित कर रही हैं। वह परस्पर एक दूसरे से प्रेरणा प्राप्त कर आगे बढ़ रही हैं। राग जोग और एक ताल पर आधारित इस रचना में तराने का सुंदर और रचनात्मक प्रयोग भी देखने को मिला। पं। अनुज मिश्रा ने पढंत, विकास मिश्रा ने तबला, नवीन मिश्रा ने सितार, दीपेंद्र लाल कुंवर ने बांसुरी पर संगत दी। वहीं प्रकाश परिकल्पना देवाशीष मिश्रा की प्रस्तुति के अनुरूप रही। कला रसिकों ने इस सरस संध्या का आनंद अंत तक लिया।