लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में इन दिनों मच्छरों का प्रकोप देखने को मिल रहा है, जिसके चलते डेंगू व मलेरिया आदि के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं, फॉगिंग का असर भी मच्छरों पर नहीं देखने को मिल रहा है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरों से निजात पाने के लिए मॉस्किटो लार्विसाइडल ऑयल (एमएलओ) का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, यह ऑयल प्रदेश में पहली बार राजधानी में इस्तेमाल हो रहा है। जिससे मच्छर 10 दिनों तक पानी में पनप नहीं सकेंगे। वहीं, नगर निगम द्वारा इसका छिड़काव शुरू करवा दिया गया है।

मच्छरों पर करेगा वार

अस्पतालों में डेंगू, मलेरिया आदि के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। खासतौर पर जिन इलाकों में तालाब, रुका हुआ पानी, खुला नाला आदि है वहां मच्छरों की समस्या सबसे ज्यादा है। विभाग द्वारा की जाने वाली फॉगिंग के बावजूद मच्छरों पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है। क्योंकि इसका असर केवल 24 घंटे के लिए ही रहता है। इसी समस्या को देखते हुए सीएमओ मनोज अग्रवाल द्वारा एमएलओ के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया। जिसे शासन द्वारा स्वीकर करते हुए इसके खरीदने की अनुमति भी मिल गई। जिसके बाद नगर निगम द्वारा ऐसे तालाब, जहां पानी जमाव वाले स्थानों पर मच्छरों के लार्वा पनपने की संभावना सबसे ज्यादा है, वहां नगर आयुक्त के निर्देशानुसार छिड़काव कराया जा रहा है, ताकि मच्छरों को पनपने से रोका जा सके।

10 दिनों तक नहीं पनप सकते मच्छर

सीएमओ डॉ। मनोज अग्रवाल ने बताया कि यह स्पेशल ऑयल भारत पेट्रोलियम द्वारा तैयार किया गया है। इसे डब्ल्यूएचओ के तय मानक के अनुसार मिनरल ऑयल की मदद से तैयार किया गया है। यह ऑयल सरकार द्वारा तैयार 12 जरूरी दवाओं की लिस्ट में शामिल किया गया है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पानी के ऊपर एक परत की तरह फैल जाता है। जिससे पानी में लार्वा पनप नहीं पाता। कंपनी के मुताबिक, इसको पानी में स्पे्र करने से लार्वा को जीवन के लिए जरूरी ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, जिससे वो खत्म हो जाता है।

कोई साइड इफेक्ट नहीं

एमएलओ के इस्तेमाल से एनोफिलीज स्टीफेंसी मच्छर, जो मलेरिया के लिए जिम्मेदार होता है, खत्म होता है। इसके अलावा यह एडीज इजिप्टी मच्छर जो डेंगू, चिकनगुनिया, जीका बुखार और पीले बुखार को फैलाता है, उसको भी खत्म कर देता है। ऐसे में इसका इस्तेमाल करने से वेक्टर्न बार्न बीमारियों से बचा जा सकता है। वहीं, इसकी खासियत यह है कि इससे करीब 10 दिनों तक लार्वा पनप नहीं सकता और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। इसके छिड़काव से मच्छरों को कंट्रोल करने में बड़ी मदद मिलेगी।

एमएलओ के इस्तेमाल से मच्छरों को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। इसकी मदद से करीब 10 दिनों तक लार्वा पनप नहीं सकेंगे। नगर निगम द्वारा इसका छिड़काव शुरू किया जा चुका है।

-डॉ। मनोज अग्रवाल, सीएमओ

केजीएमयू में 24 घंटे मिलेंगी प्लेटलेट्स

डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा बुधवार से 24 घंटे प्लेटलेट्स एफरेसिस प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया है। जिससे डेंगू से पीड़ित मरीजों एवं अन्य मरीजों को भी सिंगल डोनर प्लेटलेट्स अब 24 घंटे उपलब्ध हो सकेगी। विभाग की हेड डॉ। तुलिका चंद्रा ने बताया कि विभाग में अभी सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक ही प्लेटलेट्स एफरेसिस की प्रक्रिया होती थी। डेंगू के बढ़ते प्रकोप एवं डेंगू के पीड़ित मरीजों के लिए प्लेटलेट्स की बढ़ती मांग एवं आवश्यकता को देखते हुए अब विभाग द्वारा 17 अक्टूबर से 24 घंटे मरीजों को सिंगल डोनर प्लेटलेट्स उपलब्ध हो सकेगी। प्लेटलेट्स एफरेसिस प्रक्रिया से बनी प्लेटलेट्स से प्लेटलेट्स की कमी से पीड़ित मरीज को एक बार में ही काफी फायदा हो जाता है।

उतरेठिया में फैला डेंगू का प्रकोप, कई बीमार

राजधानी में डेंगू का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को रिकार्ड 36 डेंगू केस मिले, जिसमें ऐशबाग में 3, अलीगंज में 4, चंदरनगर में 5, सरोजनीनगर में 4, इंदिरानगर में 4, चिनहट में 3, माल में 1, एनके रोड में 3, सिल्वर जुबली में 3, टूड़ियागंज में 3, रेडक्रास में 3 डेंगू पॉजिटिव रोगी पाए गए। रायबरेली रोड़ स्थित उतरेठिया में भी बीते कुछ दिनों में डेंगू के कई मामले सामने आए हैं। उनमें से कई मरीज जहां अस्पतालों में भर्ती हैं, तो कईयों का घर पर ही इलाज जारी है। कई लोग डेंगू जैसे लक्षण नजर आने पर इलाज कराने पीएचसी भी पहुंचे। इलाके में लगातार बढ़ रही डेंगू मरीजों की संख्या के बावजूद प्रशासन की तरफ से बीमारी की रोकथाम के लिए न तो रेग्युलर फॉगिंग करवाई जा रही है और न ही इलाके में एंटी लार्वा का छिड़काव हो रहा है।