लखनऊ (ब्यूरो)। महिलाओं में कैंसर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। चिंता की बात यह है कि जागरूकता के बावजूद महिलाएं लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं। जिसकी वजह से उनमें कैंसर आखिरी स्टेज में डिटेक्ट हो रहा है। जहां अर्बन महिलाओं में बच्चेदानी का कैंसर तो रूरल महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले सबसे ज्यादा बढ़ रहे हैं। वहीं, कई रेयर सर्वाइकल कैंसर के मामले खासतौर पर युवा जनरेशन में भी देखने को मिल रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, महिलाओं को समय-समय पर कैंसर स्क्रीनिंग जरूर करवानी चाहिए। यह जानकारी यूपी स्टेट चैप्टर ऑफ एसोसिएशन ऑफ गाएनी ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा आयोजित 10वीं एनुअल कॉन्फ्रेंस के दौरान देश भर से आईं एक्सपर्ट्स ने दी।

यंग जनरेशन में बढ़ा रेयर सर्वाइकल कैंसर

महिलाओं में रेयर सर्वाइकल कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। उनका सही डायग्नोसिस बहुत जरूरी है। क्योंकि उनका ट्रीटमेंट और आउटकम पुअर होता है। इसलिए पेशेंट की काउंसलिंग करते हैं। रेयर सर्वाइकल कैंसर जैसे न्यूरो एंडोक्राइन कैंसर, मिनिमल डेविएशन एडीनो कार्सिनोमा, सारकोमा व लिम्फोमा आदि होते हैं। हालांकि, इसके मामले कम हैं क्योंकि इसकी कोई रजिस्ट्री नहीं है। वहीं, ट्रीटमेंट हर पेशेंट में अलग होता है। लक्षण अधिकतर आम कैंसर की तरह होते हैं। लेकिन यह बढ़ी स्टेज में आते हैं। यह कैंसर बहुत तेजी से फैलता है। जिसमें सर्जरी और रेडियोथेरेपी होती है। जेनेटिक्स और म्यूटेशन स्टडी हो रही है। उसी के आधार पर टारगेटेड थेरेपी होती है। इसके ट्रायल चल रहे हैं। सर्वाइकल कैंसर में रेयर सर्वाइकल कैंसर के मामले 3-5 पर्सेंट होते हैं। यह कैंसर यंगर में ज्यादा देखने को मिल रहे है। क्योंकि यह एचपीवी से नहीं होते है। इसके पीछे जेनेटिक्स म्यूटेशन बड़ा कारण माना गया है। इसपर ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है। ऐसे में सही डायग्नोसिस के लिए लक्षण जैसे एबनार्मल ब्लीडिंग या डिस्चार्ज या डिस्चार्ज संग पेट में दर्द हो तो अनदेखा न करें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। क्योंकि एडवांस स्टेज में आने के बाद ट्रीटमेंट के बावजूद लाइफ एक्सपेक्टेंसी महज 22-25 माह ही रह जाती है।

-डॉ। रानू पाटनी, जयपुर

फेलोपियन ट्यूब निकलवाना बेहतर

अगर किसी महिला को भूख नहीं लग रही, पेट में पानी भर रहा या पेट बढ़ रहा है तो इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये ओवेरियन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में ओवेरियन कैंसर न हो इसके लिए फेलोपियन ट्यूब को निकलवा देना चाहिए। पर इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोई यह करवाए। क्योंकि यह पाया गया है कि फेलोपियन ट्यूब के एक सिरे में, वहां पर ओवरी कैंसर की शुरुआत होती है। ऐसे में किसी महिला में किसी कारण ऑपरेशन कर रहे है जैसे बच्चेदानी बंद कर रहे हो आदि तो उस समय फेलोपियन ट्यूब को बांधने की जगह उसे निकाल देना ज्यादा बेहतर है। क्योंकि ओवरी तो एक उम्र के बाद निकाल दी जाती है। ऐसे में अगर आप 35-40 साल के हो गये हो और बच्चे हो चुके हैं और बच्चे न हो इसके लिए ट्यूब को बंद करवा रहे है तो बंद करवाने की जगह उसे निकलवा देना चाहिए। इससे भविष्य में ओवरी का कैंसर नहीं होगा। ओवरी कैंसर के मामले स्टेज 3 में सर्वाधिक आते है। जिसके लिए एक्सटेंसिव सर्जरी के साथ कीमो और रेडियोथेरेपी तक करनी पड़ती है। इसको लेकर हाल में एक स्टडी हुई थी। जिसमें 25 हजार महिलाओं की ट्यूब निकाल दी गई थी। जिसमें से किसी को भी ओवरी कैंसर नहीं हुआ था। ऐसे में लक्षण आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ताकि समय रहते ट्रीटमेंट किया जा सके।

-डॉ। सरोज सिंह, आगरा

अर्बन महिलाओं में बच्चेदानी का कैंसर ज्यादा

बच्चेदानी का कैंसर लगातार बढ़ रहा है। इस समय भारत में अर्बन महिलाओं में होने वाले कैंसर में सबसे ज्यादा कॉमन है। जबकि, रूरल में सर्वाइकल कैंसर के मामले सबसे ज्यादा है। अर्बन में ज्यादा होने का बड़ा कारण लाइफस्टाइल फैक्टर है। जिसमें जंक फूड खाना, एक्सरसाइज नहीं करना, मोटापा बढ़ना, बैठे हुए ज्यादा काम करना आदि शामिल है। यह कैंसर महावारी जाने वाली उम्र यानि 50 की उम्र के आसपास सबसे ज्यादा होने की आशंका रहती है। अगर अर्ली स्टेज पर मरीज आ जाये तो सर्जरी से ज्यादा फायदा मिलता है। लास्ट स्टेज में आने पर मरीज की स्थिति देखकर ही इलाज तय किया जाता है। ऐसे में महावारी जाने के दौरान अगर किसी को इररेगुलर ब्लीडिंग या मासिक नार्मल नहीं है यह इस दौरान कुछ भी अलग हो जाये तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। जहां तक इलाज की बात हो तो लेप्रोस्कोपी या रोबोटिक सर्जरी ही बेस्ट होती है। क्योंकि पेशेंट अमूमन मोटे यानि 80 किलो, 150 किलो के आसपास के ज्यादा होते हैं। ऐसे में अपने वजन पर कंट्रोल रखना चाहिए।

-डॉ। श्वेता गिरी, नई दिल्ली