लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के अंदर और बाहर किस कदर दलालों का गिरोह सक्रिय है, यह किसी से छिपा नहीं है। इसका खामियाजा मरीजों को अक्सर अपनी जिंदगी भर की कमाई और कई बार तो जान तक गंवाकर चुकाना पड़ता है। अधिकारियों का दावा है कि दलालों को रोकने के लिए तमाम हाईटेक प्रयास किये गये हैं। हालांकि, सच तो यह है कि दलालों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि उनपर रोक नहीं लग पा रही है। इस स्थिति को समझते हुए अब केजीएमयू प्रशासन ने पुलिस की मदद लेने का फैसला किया है।

हजारों मरीज आते हैं

केजीएमयू में चार हजार से अधिक बेड हैं। रोज यहां 5 हजार से अधिक मरीज इलाज कराने आते हैं। यहां रोजाना सैकड़ों ऑपरेशन भी किए जाते हैं। केजीएमयू परिसर के साथ क्वीन मेरी, शताब्दी फेज 1 एंड 2 के अलावा लारी कार्डियोलॉजी एंड जेरियाट्रिक की अलग से बिल्डिंग और ओपीडी चलती है।

गरीब मरीजों पर रहती है नजर

केजीएमयू में गरीब तबके के मरीजों की संख्या अधिक रहती है। ये मरीज ही दलालों के निशाने पर रहते हैं। दलाल उन्हें बहला-फुसलाकर निजी अस्पतालों के हवाले कर देते हैं। इसके बदले उन्हें मोटा कमीशन मिलता है। इस काम में संस्थान में तैनात कई संविदा कर्मी भी पकड़े गए हैं, जिन्हें ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है। इसके बाद भी इस खेल को खत्म नहीं किया जा पा रहा है।

मदद के लिए लिखा लेटर

केजीएमयू में दलालों पर लगाम न लग पाने के कारण वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने पुलिस कमिश्नर को लेटर लिखकर मदद मांगी है। उन्होंने लिखा है कि केजीएमयू परिसर के आसपास अराजकतत्वों का जमावड़ा रहता है। संस्थान ऐसे दलालों को पकडऩे का हर संभव प्रयास करता है, लेकिन इनके ऊपर पूरी तरह लगाम नहीं लग पा रही है। इस काम में एसटीएफ तक के सहयोग की मांग रखी गई है ताकि इस नेटवर्क की जड़ों पर वार किया जा सके।

तमाम दावे रह गये धरे

केजीएमयू प्रशासन ने परिसर में दलालों की रोकथाम के लिए तमाम दावे किए थे, जिसमें सीसीटीवी कैमरा, गार्ड की हर जगह तैनाती, संदिग्ध लोगों पर नजर रखने आदि समेत कई कोशिशें शामिल थीं। पर इसके बावजूद अधिकारी दलालों पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं।

बीते छह माह के दौरान आए मामले

केस 1

ट्रामा सेंटर में मरीज को निजी अस्पताल ले जाने को लेकर दलाल और कर्मचारी आपस में भिड़ गये, जिसके चलते मरीज की मौत हो गई।

केस 2

बीते साल एसटीएफ ने एचआरएफ में मिलने वाली सस्ती दवाओं को बाहर मार्केट में बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था, जिसके बाद कई संविदा कर्मचारियों को हटाया गया था।

केस 3

ट्रामा के बाहर दलाल हजारों रुपये में खून बेचते पकड़े गये थे, जिसपर पुलिस ने कार्रवाई की थी।

संस्थान में लगातार दलालों की सक्रियता को देखते हुए पुलिस से मदद मांगी गई है, ताकि पुलिस अपनी टीम लगाकर ऐसे लोगों को चिंहित कर पकड़ सके।

-डॉ। बिपिन पुरी, वीसी, केजीएमयू