लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ तो महिलाओं और बच्चियों पर होने वाले अत्याचार के मामलों को जल्द से जल्द निस्तारित करने का दावा किया जाता है, लेकिन दूसरी तरफ पुलिस के आकड़े इन दावों की पोल भी खोल रहे हंै। क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड सिक्योरिटी सेल के आंकड़े बताते हैं कि पिछले करीब डेढ़ साल में 3290 केस सामने आए हैं, लेकिन इनमें 768 ऐसे केस हैं, जिनकी अभी तक पुलिस स्तर पर ही जांच चल रही है। इन पीड़िताओं को इंसाफ का इंतजार है, लेकिन वह उन्हें कब मिलेगा, यह बड़ा सवाल है। पढ़ें अमित गुप्ता की रिपोर्ट

सबसे ज्यादा दहेज प्रथा के केस पेंडिंग

क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड सिक्योरिटी विंग में जनवरी वर्ष 2022 से लेकर अबतक 3290 केस आए हैं। इनमें दुष्कर्म, दहेज हत्या, पॉक्सो, छेड़छाड़, दहेज, बहला फुसलाकर ले जाना, महिलाओं पर एसिड अटैक आदि जैसे कई संगीन धाराओं के मामले शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1455 केस दहेज प्रथा के आए हैं। आंकड़े बताते हैं कि 692 केसों में चार्जशीट फाइल की गई है, जबकि 542 केसों की जांच अभी तक पुलिस स्तर पर ही चल रही है। जिसकी वजह से पेंडिंग केसों की एक लंबी लिस्ट बनती जा रही है।

इस वजह से निस्तारण पेंडिंग

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, राजधानी के किसी भी थाने में महिलाओं और बच्चियों के प्रति होने वाले अपराध की एफआईआर 24 घंटे में क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड सिक्योरिटी विंग में आ जाती है। केस को स्टडी करने के बाद इंवेस्टिगेशन ऑफिसर (आईओ) को करीब 90 दिन का समय दिया जाता है। जबकि रेप केसों का निस्तारण का समय महज 60 दिन होता हैं। पर दहेज प्रथा, बहला फुसलाकर ले जाना, छेड़छाड़ समेत अन्य कई केसों में काफी समय लग जाता है। इसकी वजह है कि दोनों पक्षों में सबूत न मिलना और आपसी समझौता के लेटलतीफी के चक्कर में केसों की लंबी समय तक जांच चलती रहती है।

56 प्रतिशत केसों में चार्जशीट

पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 56 प्रतिशत केसों में चार्जशीट फाइल कर दी गई है। इनमें से दहेज प्रथा के 692 और पॉक्सो के 462 केसों की चार्जशीट फाइल की गई है। वहीं, सबसे कम चार्जशीट फाइल केसों की बात करें तो ये बहला फुसलाकर ले जाने के हैं, जिनमें 564 केसों में सिर्फ 76 केस शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि यहां आने वाले केसों की जांच होती है। साथ ही विवेचक को केस का निपटारा करने के लिए समय दिया जाता है।

आंकड़ों से जाने हकीकत

अपराध पेंडिंग केस

दुष्कर्म 16

दहेज हत्या 10

पॉक्सो एक्ट 37

दहेज प्र्रथा 542

छेड़छाड़ 75

एसिड अटैक 02

बहला फुसलाकर भगाना 86

एक नजर में जानिए

- केस दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड सिक्योरिटी विंग में जाता है

- केस को लेकर स्टडी कर विवेचक को केस को सुलझाने का समय दिया जाता है

- केसों में 60 से 90 दिनों का होता है समय, दोनों पक्षों में समझौता न होने से पेंडिंग हो रहे केस

महिलाओं और बच्चियों के प्रति होने वाले अपराध की जांच को लेकर टीम पूरी तरह से अलर्ट रहती है। कोशिश रहती है कि ऐसे केसों को 60 दिन के भीतर ही सुलझा लिया जाए। यहां आए ज्यादातर केसों का निस्तारण भी कर दिया गया है। जो केस पेंडिंग हैं, उनका भी जल्द से जल्द निस्तारण कर दिया जाएगा।

-श्रवण कुमार सिंह, डीसीपी, क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड सिक्योरिटी