लखनऊ (ब्यूरो)। एलडीए की ओर से यजदान अपार्टमेंट को गिराने की कार्रवाई तो शुरू कर दी गई है लेकिन अभी तक प्राधिकरण के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं हुई है, जिनके समय में ये अपार्टमेंट बनकर तैयार हुआ। बॉयर्स की ओर से दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई किए जाने की मांग की जा रही है।

प्रोजेक्ट को पास किया गया

एलडीए के अधिकारियों का कहना है कि नजूल भूमि पर यजदान अपार्टमेंट बनाने के लिए एनओसी दी नहीं गई है। जबकि यूपी रेरा के अनुसार वर्ष 2017 में नक्शा जमा होने पर ही प्रोजेक्ट को पंजीकृत किया गया है। वर्ष 2015 में यजदान अपार्टमेंट बनना शुरू हुआ था। नजूल की भूमि पर अपार्टमेंट बनने का मामला सामने आने पर छह सितंबर 2016 को एलडीए ने ध्वस्तीकरण का पहला आदेश दिया, जबकि 18 अगस्त 2020 को शमन मानचित्र का आवेदन स्वीकार कर लिया गया।

ऐसे दौड़ती रही फाइल

यजदान अपार्टमेंट बनाने के लिए नजूल की भूमि पर नक्शा पास कराने के लिए उसे 20 नवंबर 2015 को जमा किया गया था। नक्शा पास करने के लिए 75 लाख रुपये शुल्क जमा करने की नोटिस एलडीए ने जारी की। नजूल की भूमि पर हो रहे काम को रोकने की नोटिस 23 जून 2016 को जारी की गई। जबकि छह सितंबर 2016 को अपार्टमेंट के अवैध निर्माण को तोडऩे के आदेश दिए गए। एलडीए ने 31 जुलाई 2020 को नजूल की एनओसी न आने पर जमा किए गए नक्शे को पांच साल के बाद निरस्त कर दिया।

आज फिर होगी सुनवाई

हाईकोर्ट में बुधवार को फिर से यजदान अपार्टमेंट मामले की सुनवाई होगी। जानकारी के अनुसार, मंगलवार को हाईकोर्ट की ओर से नजूल की एनओसी समेत कई बिंदुओं पर एलडीए से रिपोर्ट मांगी गई है। इस रिपोर्ट को एलडीए की ओर से बुधवार को कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा। फिलहाल सुनवाई के दौरान ध्वस्तीकरण कार्रवाई नहीं होगी।

अब एलडीए कराएगा नजूल की जमीनों का ऑडिट

यजदान अपार्टमेंट का मामला सामने आने के बाद अब एलडीए की ओर से अपनी नजूल की जमीनों का ऑडिट कराने की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में वीसी की ओर से निर्देश भी जारी कर दिए गए हैैं। ऑडिट रिपोर्ट सामने आने के बाद साफ हो जाएगा कि नजूल की जमीनों का स्टेटस क्या है। इसके आधार पर प्राधिकरण की ओर से कार्रवाई संबंधी कदम उठाया जाएगा।

कब्जे पर फोकस

एलडीए की ओर से नजूल की जमीनों का ऑडिट कराए जाने की मुख्य वजह यह जानना है कि कहीं नजूल की जमीन पर कब्जा तो नहीं है या उसके ऊपर नियम विरुद्ध निर्माण तो नहीं हो गया है। यह अभियान प्राधिकरण क्षेत्र में चलाया जाएगा और जमीनों से जुड़ी फाइलों को भी चेक किया जाएगा। जिससे अगर कागजों में कोई हेर-फेर की गई हो तो उसे भी पकड़ा जा सके।

खाली जमीनों की रिपोर्ट अलग से

जो नजूल की जमीनें खाली मिलती हैैं, उनकी अलग से रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी। जिसमें यह देखा जाएगा कि कितने समय से नजूल की जमीन खाली हैैं। इसके साथ ही यह भी रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी कि नजूल की जमीनों पर जो निर्माण हुए हैैं, उनकी नजूल से एनओसी ली गई है या नहीं। इसके आधार पर भी कदम उठाए जाएंगे। नजूल की जमीनों को लेकर जो सर्वे कराया जाएगा, उसकी नियमित रूप से मॉनीटरिंग की जाएगी, जिससे इस कार्य में कोई लापरवाही न हो सके। एलडीए की ओर से अपनी योजनाओं में खाली पड़े फ्लैट्स को लेकर भी सर्वे कराए जाने संबंधी तैयारी की जा रही है। जिससे खाली फ्लैट्स की कंडीशन सामने आ सके। वहीं कॉमर्शियल प्लॉट्स को लेकर भी यही कदम उठाया जा रहा है।