-मरीजों को निर्धारित मूल्य पर मिल सकेंगे इम्प्लांट्स

-विक्रेताओं व निर्माताओं से होती डाक्टरों की मिलीभगत

LUCKNOW: सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन के नाम पर होने वाली वसूली पर अंकुश लगाने की पहल शासन स्तर पर की गयी है। स्वास्थ्य विभाग इम्प्लांट्स से लेकर अन्य कामकाज की एक रेट लिस्ट बना रहा है, जिसके बाद किसी भी मरीज से अतिरिक्त वसूली नहीं की जा सकेगी।

वसूली की शिकायतें आम

सरकारी अस्पतालों में गंभीर मरीजों से ऑपरेशन के नाम पर वसूली की शिकायतें आम हैं। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार के अनुसार दुर्घटना की स्थिति में हड्डी टूट जाने पर अत्याधुनिक शल्य चिकित्सा के माध्यम से इम्प्लांट्स लगाकर उनका इलाज संभव है। दरअसल बाकी इलाज तो मुफ्त होता है किन्तु इम्प्लांट्स आदि मरीजों को ही खरीदने होते हैं। इनके मुफ्त इलाज की सुविधा अभी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इन इम्प्लांट्स की मनमानी कीमत वसूलने की शिकायतें आती रहती हैं। अस्पतालों के आसपास दुकानदारों से ही नहीं, इम्प्लांट्स निर्माता कंपनियों से भी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा टाई-अप कर मरीजों का अत्यधिक धन खर्च कराने की शिकायतें मिलती हैं।

इम्पालांट्स के रेट होंगे तय

शासन ने अब ऑपरेशन के नाम पर हो रही यह वसूली पूरी तरह रोकने के निर्देश दिये हैं। प्रमुख सचिव के मुताबिक इसके लिए सभी इम्पालांट्स के रेट तय कर दिये जाएंगे। उनके रेट कांट्रैक्ट के लिए टेंडर मांगने का फैसला किया गया है। स्वास्थ्य महानिदेशालय के स्तर पर जरूरी सभी इम्प्लांट्स की सूची बना ली गयी है। टेंडर के बाद रेट कांट्रैक्ट के हिसाब से दरें निर्धारित होंगी। मरीजों के पास सरकारी दरों पर इम्प्लांट्स के लिए भुगतान का विकल्प होगा। साथ ही यदि वे बाजार से खरीद कर महंगा इम्प्लांट लगाना चाहते हैं तो उन्हें इसकी स्वतंत्रता होगी। इस पर अधिकारियों के साथ अगले सप्ताह बैठक कर टेंडर प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

सुधरेंगे ऑपरेशन थियेटर

प्रमुख सचिव के मुताबिक इसके साथ ही सभी जिला अस्पतालों के ऑपरेशन थियेटरों को भी सुधारने का फैसला लिया गया है। इसमें सबसे पहले आर्थोपीडिक्स (हड्डी रोग विभाग) व नेत्र विभाग के ऑपरेशन थियेटर्स को आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा। इनके लिए 52 करोड़ रुपये मंजूर किये गए हैं। गंभीर अवस्था में पहुंचने वाले मरीजों की जांचों के लिए पैथोलॉजी भी सुधारी जाएंगी। इस पर 51 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला हुआ है।