- शताब्दी वर्ष में आम लोगों के लिए खोला जाएगा भूगर्भ विभाग का म्यूजियम

- लोग देख सकेंगे 400 करोड़ साल पुराने बिच्छू व 70 करोड़ साल पुराने शार्क के दांत

LUCKNOW : नवपाषाण काल में आदिवासी अपने हथियार किस पत्थर से बनाते थे या चांदी, तांबा, एल्मुनियम और लोहा किस मिनरल से निकला जाता है या फिर जमुनिया और नीलम जैसे बहुमूल्य पत्थर कैसे हासिल किए जाते हैं। इन चीजों की जानकारी आप को लखनऊ यूनिवर्सिटी के भूगर्भ शास्त्र विभाग के म्यूजियम में मिल जाएगी। यही नहीं यहां म्यूजियम में आप उल्का पिंड की झलक भी हासिल करेंगे।

उल्का पिंड देखने का मौका

विभाग के डीन डॉ। अजय आर्या ने म्यूजियम की जानकारी देते हुए बताया कि यहां रखा हुआ उल्का पिंड का टुकड़ा अमेरिका के टेक्ससा यूनिवर्सिटी और आस्ट्रेलिया के एडीलेड यूनिवर्सिटी से उपहार में मिला है। इस टुकड़े पर गड्ढे के निशान होते हैं, इसका 99 फीसदी हिस्सा लोहा होता है। उन्होंने इकोनॉमिक मिनरल की चर्चा करते हुए बताया कि हर धातु का अपना मिनरल होता है। यह सभी ओर मिनरल भी म्यूजियम में देखने को मिलेंगे।

70 करोड़ पुराने शार्क का जीवाश्म

भूगर्भ विभाग के डॉ। अजय आर्या ने बताया कि इस म्यूजियम में रखे बिच्छु का जीवाश्म करीब 400 करोड़ वर्ष पुराना है। वहीं शार्क मछली के दांत भी करीब 70 करोड़ वर्ष पुराने हैं। यहां पर आपको बैरिल पत्थर भी देखने को मिलेगा। जिसे तराशकर पन्ना निकाला जाता है। वहीं अग्नियशैलों के अंदर पाए जाने वाले पत्थर से जमुनिया रत्‍‌न निकाले जाते हैं। यहां श्राम क्रिस्टल भी नजर आएगा, जिससे स्फटिक बनाया जाता है। डॉ। अजय ने गोडवाना काल के पादप जीवाश्म को दिखाया। इसी काल में कोयले का निर्माण हुआ था। उन्होंने एक मेज पर रखे हुए काले रंग की ओर इशारा करते हुए बताया कि इन्ही पत्थरों से नवपाषाण युग में आदिवासी अपने हथियार बनाया करते थे। इसमें तीर, चाकू और अन्य धारदार हथियार शामिल थे। ये पत्थर जबलपुर में नर्मदा के किनारे मिले है।

बाक्स

20 से 25 तक खुलेगा म्यूजियम

भूगर्भ विभाग के एचओडी प्रो। अजय मिश्रा ने बताया कि वीसी प्रो। आलोक कुमार राय के निर्देश पर शताब्दी वर्ष समारोह में विभाग का म्यूजियम 20 नवंबर से 25 नवंबर तक रोज सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक स्कूली बच्चों और आम लोगों के लिए खोला जाएगा। इसका उद्घाटन 20 नवंबर सुबह 9.30 पर होगा।