मेरठ ब्यूरो। सिटी में कूड़ा निस्तारण को लेकर कोई खास प्लानिंग नहीं है। लिहाजा लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। शहर की गलियों से रोजाना 1200 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। बावजूद इसके, कूड़े के निस्तारण के लिए कोई खास योजना नहीं है। हालत यह है कि शहर के डंपिंग प्लेस ओवरफ्लो हो गए हैं। सडक़ों पर कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। इससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है।कूड़ा निस्तारण की समस्या को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने कैंपेन कूड़े का क्या करें संचालित किया गया है। इसमें कूड़ा निस्तारित न होने के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया था।
पहाड़ सी समस्या
लोहियानगर में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है। वहीं, मंगतपुरम की अनदेखी जारी है। इसी लापरवाही पर एनजीटी ने भी नगर निगम को फटकार लगाई थी। यही नहीं, एनजीटी ने पांच हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी है।
सोशल मीडिया पर रखी राय
शहर में कूड़ा निस्तारण की समस्या लोगों की परेशानी बन गई है। वहीं, इस मुद्दे पर शहरवासियों ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के सोशल मीडिया माध्यम पर अपनी राय रखी। इस दौरान शहर के करीब 200 लोगों ने पार्टिसिपेट किया। इस दौरान लोगों ने फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर आदि प्लेटफॉर्म पर सर्वे में अपनी राय रखी।
- क्या शहर में डोर टू डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था ठीक है
हां- 10 फीसदी
नहीं- 85फीसदी
पता नहीं - 5फीसदी
- क्या निगम की लापरवाही के कारण ही कूड़े के ढेर कम नहीं हो रहे हैं
हां- 82फीसदी
नहीं- 10फीसदी
पता नहीं-8 फीसदी
- क्या शहर में कूड़ा निस्तारण की सही व्यवस्था है
हां-26फीसदी
नहीं-64फीसदी
पता नही-10 फीसदी