मेरठ (ब्यूरो)। औघडऩाथ मंदिर में आयोजित शिव महापुराण कथा के सप्तम दिवस पर कथावाचक आचार्य संतोष दास जी महाराज ने उपसंहार कथा का वर्णन किया। कथाव्यास ने भगवान शिव के पूजन में विशेष सामग्री अर्पित करने की विधि व महाशिवरात्रि व्रत के बारे में बताया।

गंगा की शुद्धि में योगदान देना
कथाव्यास ने संदेश देते हुए कहा कि हर व्यक्ति को गंगा की शुद्धि में अपना योगदान जरूर देना चाहिए। मां गंगा निर्मल व स्च्च्छ है, उसे स्च्च्छ ही रहने दो। गंगा का संबंध भगवान शिव और तुलसी का भगवान विष्णु से है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी जलों में सबसे पवित्र गंगा के जल को माना जाता है।

तुलसी सबसे पवित्र
इसी प्रकार तुलसी को सबसे पवित्र पौधा माना जाता है। कथाव्यास ने कहा कि मरते वक्त किसी के प्राण तन से नहीं निकल रहे हैं तो उसके मुख में तुलसी के साथ गंगा जल डाला जाता है। मान्यता है कि मुख में गंगाजल व तुलसी रखने से यम के दूत भी मृतक की आत्मा को सताते नहीं है। एक शिवभक्त के लिए भस्म, रूद्राक्ष व नर्मदा शिवङ्क्षलग रखना जरूरी है। नर्मदा नदी से निकलने वाले शिवङ्क्षलग को नर्मदेश्वर कहते हैं। यह घर में स्थापित किए जाने वाला पवित्र व चमत्कारी शिवङ्क्षलग है।

ये रहे मौजूद
इस मौके पर कैंट विधायक अमित अग्रवाल, महापौर हरिकांत अहलूवालिया व कमलदत्त शर्मा का स्वागत किया गया। शम्मी सपरा, परमानंद सपरा, सागर, रमेश, पूनम जुनेजा, आशिमा, शेफाली, सौरभ, समर व सारा मौजूद रहे।