मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएसयू के लॉ विभाग एवं जिला एवं जिला विधिक प्राधिकरण के तत्वावधान में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान थर्ड जेंडर के वेलफेयर के बारे में चर्चा की। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के समन्वयक डॉ। विवेक कुमार एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विनोद शर्मा ने किया।

सामान्य व्यवहार हो
इस अवसर मुख्य अतिथि सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विनोद शर्मा ने कहा कि जेंडर शब्द भारतीय दंड संहिता में परिभाषित है। उन्होंने कहा कि थर्ड जेंडर को हम विशेष दर्जा नही दे रहे है बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों को सुरक्षा प्रदान कर रहे है। समान्य व्यक्ति के वेलफेयर के लिए जो योजनाएं है उनका समान रूप से लाभ थर्ड जेंडर को भी मिलेगा। थर्ड जेंडर के साथ समान्य व्यक्ति की तरह ही व्यवहार किया जाए।

देश को विकसित बनाना है
उन्होंने कहाकि देश को विकसित बनाना है तो प्रक्रिया व मौलिक न्याय होना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों का बराबर विभाजन होना चाहिए। इसे समानता का नियम भी कहा जाता है। उन्होंने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को सुरक्षित करने के लिये सरकार ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 बनाया है।

असमानता के कई कारण
डॉ। विवेक कुमार ने इस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि असमानता का कारण केवल जाति, धर्म एवं सम्प्रदाय ही नहीं, बल्कि एक ही जाति के अन्दर आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यक्ति द्वारा अपने से नीचे स्तर के व्यक्ति के साथ भेदभाव किया जाता है। उन्होंने कहा कि कानून ऐसा होना चाहिए। जिससे अधिकतम लोगो को अधिकतम सुख प्राप्त हो थर्ड जेंडर को भी कानून का लाभ समान रूप से मिलना चाहिए, तभी हमारा देश उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा। डॉ। सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय समाज में जाति के आधार पर भेदभाव था। अधिवक्ता पूनम ढिल्लन ने कहा कि थर्ड जेंडर को भी पुरूष व महिला के समान अधिकार प्राप्त है। अधिवक्ता रंजना नेगी ने थर्ड जेंडर व अनुसूचित जाति व जनजाति के अधिकारों पर विचार प्रस्तुत किए।