35 से 40 मार्क्स तक बढ़ रहे री-चेकिंग के दौरान
50 फीसदी कॉपियों में बढ़े 40 प्रतिशत तक मार्क्स
36 प्रतिशत कॉपियों में बीते साल मिले 40 मार्क्स तक
Meerut - सीसीएसयू में कॉपियों की री-चेकिंग टीचर्स की लापरवाही की पोल खोल रही हैं। बीते दो सालों से यूनिवर्सिटी में कॉपियों की री-चेकिंग का सिस्टम शुरु होने से टीचर्स की चेकिंग का सच सामने आया है, रि- चेकिंग के बाद कापियों में स्टूडेंट्स के 35 से 40 नम्बर तक बढ़ रहे है, जो बहुत चौंकाने वाली बात है कि टीचर्स कितनी लापरवाही के साथ कॉपियां चेक करते हैं, जो री-चेकिंग के बाद नम्बरों में इतना बड़ा अंतर आ रहा है।
50 फीसदी में बढ़े मार्क्स
गौरतलब है सीसीएस यूनिवर्सिटी में दो साल पहले ही स्टूडेंट्स को री-चेकिंग की सुविधा दी गई थी। इसके तहत स्टूडेंटस को अगर अपनी कॉपी चेकिंग में कोई आपत्ति हो तो वो रि- चेकिंग करा सकते हैं। ऐसे में पिछले साल 600 और इस साल 667 कॉपियों की री-चेकिंग हुई है। बीते साल 36 प्रतिशत और इस साल 50 प्रतिशत कॉपियां ऐसी मिली है जिनमें 35 से 40 मार्क्स रि- चेकिंग के बाद बढ़े है, यानि री-चेकिंग के बाद इतने बड़े अंको का अंतर कॉपियों की चेकिंग और रि- चेकिंग में पाया गया है।
उठ रहे कई सवाल
सवाल तो ये उठता है कि री-चेकिंग का मौका ही टीचर्स क्यों दे रहे है, क्या वो कॉपियों को चेकिंग करने में लापरवाही कर रहे हैं। मार्क्स में भी रि- चेकिंग के बाद इतना बड़ा अंतर होने से साफ जाहिर है कि पहले टीचर्स ने इन कॉपियों को सीरियस होकर चेक नहीं किया।
ये बताए जा रहे कारण
- मूल्यांकन के दौरान टीचर्स चाय की चुस्कियों में ज्यादा मशगूल रहते हैं।
- कॉपियों की चेकिंग में गंभीरता नहीं बरतते हैं।
- मूल्यांकन केंद्र में भी सही व्यवस्था न होने से टीचर जल्दबाजी में कॉपियां चेक करते हैं।
- मूल्यांकन व पेपर बनाने का मानदेय देरी से मिलने के कारण गवर्नमेंट टीचर रुचि नहीं दिखाते हैं।
- सरकारी टीचर्स चेकिंग में इंट्रस्ट नहीं ले रहे हैं। इससे रिटायर्ड टीचर व अनुमोदक मूल्यांकन करते हैं।
- अनुमोदक व रिटायर्ड टीचर्स सीरियस होकर कॉपियां चेक नहीं करते हैं।
- रिटायर्ड टीचर्स को लेटेस्ट अपडेट नहीं होती, बिना नॉलेज के वो कॉपी चेक करते हैं।
भुगत रहे स्टूडेंट
- री-चेकिंग के लिए एक कॉपी के लिए 3100 करीब रुपए स्टूडेंट को ही भरने पड़ते हैं।
- री-चेकिंग के बाद उसके रिजल्ट के इंतजार में एक से दो महीने तक भटकना होता है।
- जबतक री-चेकिंग का रिजल्ट नहीं आता है रिजल्ट में कम नम्बर ही होते है, ऐसे में कहीं दूसरी जगह मार्कशीट रखने पर कम नम्बर ही माने जाते है
- अधूरी मार्कशीट रहती है।
क्या कहते है शिक्षाविद्
अगर ऐसा है तो इसको दिखाया जाएगा, जांच की जाएगी, वास्तव में इस तरह के मैटर सीरियस है, जांच के बाद देखा जाएगा, अगर वास्तव में लापरवाही है तो कार्रवाई होगी।
डॉ। अश्वनी कुमार, परीक्षा नियंत्रक, सीसीएसयू
इसको दिखवाया जाएगा, अगर कोई टीचर लापरवाही करता है तो उसको बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन पहले इसकी जांच की जाएगी।
प्रो। वाई विमला, प्रोवीसी, सीसीएसयू
कुछ टीचर्स कॉपियों की चेकिंग को सीरियस नही ले रहे है, वो बिना नॉलेज के ज्यादा से ज्यादा कॉपियों की चेकिंग पर फोकस करते है, जिसके चलते वो जल्दबाजी में ये लापरवाही कर रहे है जो गलत है, स्टूडेंटस के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
डॉ। नीलिमा गुप्ता, प्रिंसिपल, इस्माईल कॉलेज
ऐसे टीचर्स की लापरवाही को चिंहित करना चाहिए उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, टीचर्स की नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वो स्टूडेंट्स के भविष्य को देखते हुए ही शिक्षण संबंधित कार्य करें।
डॉ। बीएस यादव, प्रिंसिपल, डीएन कॉलेज
री-चेकिंग में कभी कभी गड़बड़ी हो जाती है, लेकिन अगर एग्जाम जैसे विषय को टीचर्स सीरियस ले तो गलती की संभावना कम रहती है, कुछ टीचर्स कापी चेकिंग को सीरियस नहीं ले रहे हैं।
डॉ। संगीता गुप्ता, प्रिंसिपल, मेरठ कॉलेज
ये असाधारण है कि कापियों की री चेकिंग में इतना अंतर है। चाय की चुस्कियों में खाने की थाली के साथ कुछ टीचर्स स्टूडेंट्स का भविष्य दांव पर लगा रहे है, इसका एक कारण ये भी है कि बिना नॉलेज के रिटायर्ड टीचर को कॉपी चेकिंग के लिए दी जा रही है।
डॉ। संध्या रानी, प्रिंसिपल, शहीद मंगल पांडे कॉलेज
हकीकत तो ये है कि मूल्यांकन मई जून में एग्जाम के साथ होता है, जिसके चलते गर्वमेंट टीचर चेकिंग के लिए कम जाते है, दूसरा रिटायर्ड टीचर्स होते है उनमें से कुछ ऐसे होते जो अपडेट नहीं होते नॉलेज नहीं होती बस कॉपी चेक करते है, सीरियस नहीं लेते हैं।
डॉ। किरण प्रदीप, प्रिंसिपल, कनोहरलाल कॉलेज