- सीजेएम कोर्ट ने कहा 'लापरवाही से चलाया गया ध्वस्तीकरण अभियान'

-डीजे कोर्ट आज होगी आरोपी सीईई की जमानत पर सुनवाई

Meerut: 'बेहद लापरवाही के साथ ध्वस्तीकरण अभियान को चलाया गया। कैंट बोर्ड समेत पुलिस-प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि इस बिल्डिंग में कोई है तो नहीं, तलाशी नहीं ली गई। बेहद संवेदनशील कार्यवाही को बेहद लापरवाह तरीके से अंजाम दिया गया जिसके फलस्वरूप चार निर्दोष लोगों की जान गई और एक गंभीर घायल हो गया। ऐसे में आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है.' सीजेएम संजय सिंह की कोर्ट ने शहर के चर्चित प्रकरण बंगला नंबर 210 बी के ध्वस्तीकरण प्रकरण में अहम फैसला दिया। कोर्ट ने मलबे में दबकर मरे चार व्यक्ति की मौत को 'इन्टेन्सनली' माना और हत्या के आरोप में गिरफ्तार कैंट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

नहीं हटेगी 302

सीजेएम कोर्ट ने पुलिस द्वारा पेश की गई एफआईआर में 30 जून को मृतक दीपक द्वारा आरोपी अनुज के खिलाफ दी गई शिकायत को संज्ञान लिया है। मृतक ने अनुज द्वारा ध्वस्त हुए मॉल के मलबे में दफन करने की धमकी पूर्व में दी गई थी। जज ने इस धमकी को संज्ञान लिया और हत्या के आरोप की धारा का बरकरार रखने के आदेश भी दिए हैं। जबकि आरोपी के वकील 302 के स्थान पर 304 ए के तहत मुकदमे की मांग कर रहे थे।

अदालत में गहमागहमी

अति संवेदनशील प्रकरण पर सुनवाई के दौरान सीजेएम कोर्ट में गहमागहमी का माहौल था। आरोपी अनुज सिंह के वकील की ओर से जमानत याचिका दायर की गई। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता एसबी यादव ने पुलिस के पक्ष का मजबूती से रखा। सीजेएम कोर्ट से खारिज होने के बाद बुधवार को आरोपी की जमानत याचिका जिला जज कोर्ट में दाखिल की जाएगी। अनुज सिंह के खिलाफ थाना सदर में आईपीसी सेक्शन 302, 147, 34 के तहत मुकदमा दर्ज है। इसमें कैंट बोर्ड के सीईओ समेत पांच अन्य आरोपी हैं।

निलंबित होंगे अनुज सिंह

48 घंटे लगातार जेल में रहने पर किसी भी सरकारी कर्मचारी को स्वत: निलंबित मान लिया जाए। हालांकि उनका निलंबन आदेश अभी जारी नहीं हो सका है। गौरतलब है कि अनुज का निलंबन आदेश जारी करने का अधिकार सीईओ राजीव श्रीवास्तव को है और इस प्रकरण के बाद वे लगातार छुट्टी पर हैं।