- फायर ऑफिस से आंकड़ों में हुआ खुलासा

- फायर अधिकारियों के अनुसार 50 फीसदी से अधिक मामलों की नहीं दी जाती जानकारी

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : आंकड़े चौंकाने वाले हैं कि हर साल औसतन 10 लोगों की जान नालों में गिरकर हो जाती है। ये आंकड़े वो हैं, जिनकी सूचना फायर ब्रिगेड को मिल जाती है। वरना जिले में नाले में गिरने वाली 70 फीसदी घटनाओं के बारे सूचना ही नहीं मिल पाती है।

नाले में गिरकर मौत

जब हमने फायर ब्रिगेड के पिछले पांच सालों के रिकॉर्ड को चेक किया तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। पिछले पांच सालों में हर साल औसतन 10 लोगों की जान नाले में गिरकर हो जाती है। इसमें सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। साथ ही सैंकड़ों लोगों को जिंदा भी निकाला गया गया है। अधिकारी बताते हैं कि जिन लोगों की सूचना टाइम पर मिल जाती है उन्हें बचाने का पूरा प्रयास किया जाता है।

70 फीसदी की सूचना नहीं

फायर अधिकारियों के पास केवल उन्हीं घटनाओं का रिकॉर्ड होता है, जिनकी उन्हें सूचना मिलती है, लेकिन 70 फीसदी घटनाओं के बारे में उनके पास सूचना नहीं पहुंचती है।

पिछले पांच सालों में करीब 60

अगर पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो वर्ष 2010 में 8 लोगों की जान गई। जबकि वर्ष 2011 में 11 लोगों की नाले में गिरकर जान चली गई। वर्ष 2012 में 9 लोगों को नाले में गिरकर अपनी जान ंवानी पड़ी। वर्ष 2013 में सबसे अधिक 14 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। जबकि वर्ष 2014 में पांच लोगों की जान चली गई। वहीं 2015 में ये 13 लोगों की मौत नाले में ि1गरकर हो गई।

लोगों में नहीं जागरूकता

फायर ऑफिस के अधिकारी कहते हैं कि ऐसी घटना के बाद फायर ऑफिस को सूचना जरूर दी जानी चाहिए, जबकि लोग ऐसा नहीं करते हैं। इस बारे में लोगों में जागरुकता की काफी कमी है। अधिकारी बताते हैं कि उनके पास अधिकतर सूचना जानवरों के नाले में गिरने की ज्यादा आती हैं।

हमारे पास उन ही लोगों के आंकड़े होते हैं, जिनकी सूचना हमारे पास होती है। मौके पर तुरंत पहुंचकर हमारा पहला प्रयास यही होता है कि गिरने वाले की जान बचाई जा सके। अगर सूचना लेट मिलती है तो बॉडी को निकाला जाता है।

- आईएस सोनी, सीएफओ

पांच सालों में इतने लोगों की हुई

वर्ष मौत

2010 08

2011 11

2012 09

2013 14

2014 05

2015 13

कुल 60