मेरठ (ब्यूरो)। जनपद में आयुष्मान योजना सितंबर 2018 में शुरू की गई थी। इस योजना से 12 लाख लोगों को इलाज की सुविधा मिलनी थी। मगर, योजना लागू होने के चार साल बाद भी दो लाख 11 हजार लाभार्थियों के ही आयुष्मान कार्ड बने हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब नौ लाख 89 हजार परिवार इस योजना से वंचित हैैं।

फ्री इलाज की सुविधा
आंकड़ों से साफ है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का ही नतीजा है कि नौ लाख से ज्यादा लोग आयुष्मान योजना से वंचित हैैं। शायद इन लोगों को पता ही नहीं कि वह योजना के लाभार्थी हैं और उन्हें पांच लाख तक के इलाज की सुïिवधा मिल सकती है। इतना ही नहीं, वह लाभार्थी जिनका कार्ड बन गया है, उनमें से ज्यादातर को यह नहीं पता कि फ्री इलाज की सुविधा किस प्राइवेट हॉस्पिटल में मिलेगी। शहर और देहात में ऐसे लोगों की भी संख्या अधिक है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं मगर योजना के लाभार्थियों की लिस्ट में उनका नाम शुमार ही नहीं है।

अस्पतालों ने बनाई दूरी
निजी अस्पतालों ने भी आयुष्मान योजना से दूरी बना रखी है। इसी के चलते करीब 60 प्राइवेट हॉस्पिटलों में योजना के तहत फ्री इलाज मिल रहा है। जबकि पहले यह संख्या 110 से अधिक थी।

ये है हाल
आयुष्मान योजना के लाभार्थी- 251183 परिवार
एक परिवार करा सकता है इलाज- 5 लाख रुपये तक हर साल
आयुष्मान योजना के बनने थे कार्ड- 1255915
आयुष्मान कार्ड बने - 2.11 लाख
आयुष्मान कार्ड नहीं बने - करीब 10.44 लाख
आयुष्मान योजना से फ्री इलाज कराया - 10.574
योजना से अनुबंधित प्राइवेट हॉस्पिटल - 60 करीब
प्राइवेट हॉस्पिटलों ने अनुबंध समाप्त किया - 40
इस येाजना के तहत शामिल जांच की संख्या- 1352

निजी अस्पतालों के लिए पैकेज
कैंसर 20600 से 40000 रुपये तक
घुटना प्रत्यारोपण 35000 रुपये
जोड़ प्रत्यारोपण 30000 रुपये
मोतियाबिंद का आपरेशन 4000 रुपये
दिल की सर्जरी 100000 से 150000 रुपये
एचडीयू 2700 रुपये हर रोज
आईसीयू बिना वेंटीलेटर 3600 रुपये
आईसीयू वेंटीलेटर के साथ 4500 रुपये

कोरोनाकाल में आयुष्मान कार्ड कम बने थे लेकिन अब हर माह शिविर लगाकर योजना के लाभार्थियों की संख्या बढाई जा रही है।
डॉ। पूजा शर्मा, एसीएमओ