- शहर में दिव्यांगों के शिक्षा के लिए उपलब्ध हैं कुछ सुविधाएं

- बेसिक विभाग से संबंधित स्कूलों में सुविधाएं भी नहीं

-कुछ निजी स्कूल कर रहे हैं रोजगार दिलाने में मदद

Meerut। शहर में दिव्यांगों को शिक्षा देने के लिए भले ही सरकारी विभागों की सुविधाएं पर्याप्त न हों, लेकिन शुक्र इस बात का है कि कुछ सुविधाएं तो ऐसी है जो उनको सहारा दे रही हैं। जहां मेरठ में दिव्यांगों के लिए बेसिक व माध्यमिक विभाग के लिए नियमानुसार मिलने वाली सुविधाओं को 50 प्रतिशत भी मुश्किल से पूरा किया जा रहा है, वहीं कुछ निजी स्कूलों में सरकार की मदद न मिलना भी दिव्यांगों की शिक्षा में बाधा डाल रहा है।

स्कूलों में सुविधा नहीं

बेसिक विभाग से जुड़े 50 परसेंट स्कूलों में दिव्यागों के लिए न तो कोई रैंप है और न ही कोई सुविधा। जबकि नियमों के अनुसार तो हर स्कूल में दिव्यांगों के लिए स्पेशल टीचर की व्यवस्था के साथ ही रैंप भी लगाया जाता है, लेकिन मेरठ में आधे से ज्यादा स्कूलों में एक भी टीचर की व्यवस्था नही है। इसके अलावा किसी भी स्कूल में दिव्यांगों के लिए अलग से व्यवस्था तक नही है।

केवल यही सुविधाएं

बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से हर जिले में एक स्पेशल केंद्र बनाया जाता है। मेरठ पुलिस लाइन में भी दिव्यांगों के लिए स्पेशल केंद्र बनाया हुआ है। यहां पर दिव्यांगों की पढ़ाई के लिए छह स्पेशल टीचर हैं। इस केंद्र पर क्लास आठ तक की पढ़ाई करवाई जाती है, इसके साथ ही स्पेशल पांच तरह के इक्यूपमेंट की भी व्यवस्था है। इनके खाने-पीने व रहने का इंतजाम भी किया गया है। जिसके लिए सालभर का बजट 14 लाख रुपए आता है।

चल रहे हैं प्रयास

जिला समन्वयक हरेंद्र ने बताया कि मेरठ के पुलिस लाइन में केंद्र है जिसमें 85 के आसपास दिव्यांग बच्चों को शिक्षा दी जाती है। अगर हम माध्यमिक स्तर की बात करें तो यहां केवल राष्ट्रीय माध्यमिक अभियान के तहत चार स्पेशल शिक्षक है। क्लास नौ से इंटर तक के 210 दिव्यांग है। डीआईओएस श्रवण कुमार यादव ने बताया कि उनके यहां रमसा के तहत दिव्यांगों के लिए प्लान चल रहा है।

सरकारी मदद की कमी

मेरठ में रेस कोर्स, पल्लवपुरम व गंगानगर में दिव्यांगों के लिए कुछ टैक्निकल एजुकेशन व रोजगार एजुकेशन व एजुकेशन से संबंधित स्कूल चल रहे हैं। इनमें रेस कोर्स स्थित नॉन गारमेंट आर्गनाइजेशन एंजियों के तहत मूखबधिर विद्यालय चल रहा है। यहां पर कम्प्यूटर कोर्स में फैशन, डिजाइनिंग, विजिटिंग कार्ड डिजाइनिंग, टैली कोर्स व बेसिक कोर्स आदि कोर्स सिखाए जा रहे हैं। वहीं इन स्कूलों में दिव्यांगों को इंटर तक की एजुकेशन के साथ ही गेम्स में भी नेशनल लेवल तक पहुंचने का मौका मिलता है।

बेहद कम सेलरी

मूखबधिर विद्यालय की प्रिंसिपल डॉ। अमिता कौशिक ने बताया कि उनके स्कूल को सरकार से केवल पर टीचर के 3800 रुपए व प्रिंसिपल के 8200 रुपए मिलते हैं। इसके अलावा अभिभावकों से भी फीस के लिए कोई फीस तय नहीं है। जिसका मन होता है वो अपनी सेवाभाव से फीस जमा कर देता है।

नेशनल लेवल तक पहुंचे

दिसंबर में हमारे यहां से क्लास इंटर के प्रदीप ने नेशनल लेवल पर रेसलिंग में प्राइज जीता है। इसके अलावा अभी शांति निकेतन स्कूल में होने वाली टेविल टेनिस प्रतियोगिता में हमारे यहां से एक हाईस्कूल की छात्रा गार्गी ने गोल्ड जीता है।

-डॉ। अमिता कौशिक, प्रिंसिपल, मूख बधिर स्कूल

हमारे यहां दिव्यांगों के लिए एक केंद्र पुलिस लाइन में बनाया गया है। जहां उनके लिए रहने खाने से लेकर उनके पढ़ने की व्यवस्था है।

-हरेंद्र, जिला समन्व्यक , बीएसए

रमसा के तहत दिव्यांगों के लिए चार स्पेशल शिक्षक हैं। इन शिक्षकों को स्पेशिल ट्रेनिंग भी दिलाई गई है।

-श्रवण कुमार यादव डीआईओएस