दरअसल, कुछ लोग धंधा इथीक्स के साथ करते हैं, कुछ नियम कानून को ताक पर रखकर। यही वजह है बाजार में जानलेवा गुटखा खुलेआम बिक रहा है। एक अच्छी बात है शहर को गुटखा फ्री करने के लिए गुटखे की होली जलाने का कैंपेन शुरू हुआ है। आप भी आगे आएं और अपने आसपास जीरो एडिक्शन का माहौल बनाएंरोक के बावजूद बिक्री

प्रदेश में गुटखा किसी कीमत पर नहीं बिकना चाहिए लेकिन कुछ लोग अपने देश के यूथ की जिंदगी खराब करना चाहते हैं। वो नहीं चाहते कि आपका बेटा स्वस्थ रहे। कोर्ट ने गुटखा पर रोक लगा दी है। लेकिन बाजार में ये बिक रहा है। कई दिनों से आगाह करने के बाद भी ये बंद नहीं हुआ तो एडमिनिस्ट्रेशन ने पब्लिक के सहयोग से छापे डालने शुरू कर दिए। जहां भी जिस दुकान पर गुटखे का पाउच मिला उसकी होली जला दी गई। प्रशासन ने कह दिया है कि जो भी गुटखे का धंधा करता मिले उसकी हमें सूचना दें। तुंरत उसे बंद करने की कार्रवाई होगी। काश ऐसा ही कैंपन शहर को जीरो एडिक्शन सिटी के लिए भी होता!

नहीं बिकेंगे गुटखे

प्रशासन की टीम ने घंटाघर, ईव्ज चौराहा, कचहरी, बुढ़ाना गेट आदि जगहों पर सौ से अधिक दुकानों पर छापे मारे। जहां से उन्हें हजारों की संख्या में गुटखा के पाउच मिले। टीम ने गुटखों को अपने कब्जे में ले लिया और जलाकर नष्ट कर दिया। गुटखा जलाने का अभियान आगे भी चलता रहेगा जब तक की शहर में हर तरह का गुटखा जला नहीं दिया जाता।  

कौन सा टेस्ट

दुकानों से प्रधान, दिलबाग, पान बहार, शिखर, जैसी कंपनियों के गुटखे बरामद किए गए। अनुमानित इसकी करीब दस हजार पाउच की संख्या बताई गई है। करीब चालीस से पचास हजार कीमत के गुटखे फूंके गए हैैं

"सिटी में गुटखा बिकने की शिकायत आ रही थी। इसलिए गुटखे की होली जलाई गई। अगर चोरी छुपे बेचने वाले इस धंधे को बंद नहीं करते तो मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा."

-डीपी श्रीवास्तव, सिटी मजिस्ट्रेट

कैसी पाबंदी नशे पर!

 गुटखा ना बिके इसके लिए कानून के डंडे के साथ ही जन जागृति शुरू हो गई है। लेकिन फिर भी हिडेन तरीके से इसे बेचा जा रहा है।

1. दिल्ली में गुटखा कंपनियों ने एक नायाब तरीका सोचा और गुटखे को दो रूप में बेचने का तरीका निकाला है। अब दुकानों पर मसाला अलग और जर्दा अलग मिल रहा है। यानी रजनी गंधा तुलसी के अंदाज में ही गुटखा तैयार होगा।

2. अगर दुकानदार से पुरानी पहचान है तो बैकडोर से वो गुटखा दे रहा है।

3. जो गुटखा खाने वाले हैैं उन्होंने घर में स्टाक कर लिया है।

हम आदेश नहीं मानेंगे

ऐसा नहीं है कि तंबाकू प्रोडक्ट पर रोक के लिए ये कोई पहली बार व्यवस्था बनाई गई है या पहला आदेश है। इससे पहले भी कई आदेश आए, लेकिन इनका सख्ती से पालन नहीं किया गया।

Order 1

नाबालिग को तंबाकू प्रॉड्कट देने पर रोक

 पांच साल पहले नाबालिगों को कोई भी तंबाकू प्रोडक्ट देने पर रोक लगा दी गई। साथ ही ये भी निर्णय लिया गया कि तंबाकू प्रोडक्ट बेचने वाले सभी दुकानदार अपनी दुकान पर 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को तंबाकू प्रोडक्ट नहीं बेचने का बोर्ड लगाएंगे। नियम और कानून तो बना, लेकिन आज भी 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे आसानी से दुकानों से तंबाकू प्रोडक्ट लेते नजर आ जाएंगे। Order 2

सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान पर जुर्माना

2 अक्टूबर सन 2010 एक सख्त कानून बनाते हुए सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करने पर रोक लगाई गई। पकड़े जाने पर दो सौ रुपए जुर्माना भी लगाया गया। कानून बने हुए ढाई साल हो चुके हैं। लेकिन आज भी सडक़ों और सरकारी कार्यालयों में धूम्रपान करते लोग नजर आ जाते हैं।

Order 3

स्कूलों के पास बिक्री पर पाबंदी

पांच साल पहले ही स्कूलों से 100 मीटर के दायरे के अंदर तंबाकू प्रोडक्ट बेचने पर रोक लगाई गई थी। लेकिन आदेश के बाद भी इसकी खिल्ली उड़ाई जा रही है। स्कूलों के बाहर तंबाकू प्रोडक्ट बेचे जा रहे हैं और स्कूली छात्र गुटखे खाते और सिगरेट पीते नजर आते हैं।