- कैंट बोर्ड ने बंगला नंबर 185-ए में की कार्रवाई

- होटल बनाने की चल रही थी तैयारी

Meerut : नियम और कानूनों का वायलेशन करने पर कभी कुछ ज्यादा ही नुकसान उठाना पड़ जाता है। ऐसा ही कुछ आबूलेन स्थित बंगला नंबर-क्8भ् को उठाना पड़ा। जब कैंट बोर्ड की टीम एक टिन शेड तोड़ने गई तो लगे हाथ टीम ने बंगले में बन रहे क्0 मकानों को भी तोड़ डाला। राहत की बात ये थी वो कमरे भी अवैध ही थे।

क्8भ्-ए में डिमोलिशन

मंगलवार को सुबह कैंट बोर्ड की डिमोलिशन टीम ने बंगला नंबर क्8भ्-ए के सेकंड फ्लोर पर हमला बोल दिया। कैंट बोर्ड को सूचना दी बंगले के फ्लोर पर टिन शेड डालकर निर्माण किया जा रहा है। जैसे ही टीम पहुंची तो देखते ही दंग रह गई। एक हॉल को पार्ट में डिवाइड दस कमरों की दीवारें खड़ी कर दी गई थी। पहले तो कैंट बोर्ड ने टिन शेड को तोड़ा। टिन शेड का एरिया म्भ्0 फीट था।

फिर कमरों की बारी

कैंट बोर्ड की टीम ने दस कमरों के बारे में सीईओ डीएन यादव को बताया और उन्हें तोड़ने की परमीशन मांगी। सीईओ की परमीशन मिलने के बाद टीम ने एक-एक कर सभी कमरों की दीवारों को ढहा दिया। कैंट बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो कमरों का एरिया क्ख्-क्भ् फीट का था। अधिकारियों के अनुसार वहां पर एक होटल बनाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। फिनिशिंग का काम चल रहा था। अधिकारियों के अनुसार इस पूरे बंगले में ख्0 दुकानें पहले से ही बनी हुई है।

आखिर कौन बना रहा था?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये निर्माण कर कौन रहा था? क्योंकि जब कैंट बोर्ड का हथौड़ा चल रहा था तो कोई भी उसे रोकने नहीं आया। ऐसा न के बराबर देखने को मिलता है, जब कैंट बोर्ड कोई कार्रवाई करे और कोई विरोध न करे। कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि इस निर्माण में मुकेश गुप्ता का हाथ है।

कौन है मुकेश और क्यों नहीं आया सामने?

करीब एक वर्ष पहले भ् दिसंबर ख्0क्फ् को कैंट बोर्ड ने इसी फ्लोर पर कार्रवाई की थी। तब इसी मुकेश गुप्ता ने कैंट बोर्ड की कार्रवाई का काफी विरोध किया था। साथ ही कैंट बोर्ड पर काफी गंभीर आरोप भी लगाए थे। जब कैंट बोर्ड ने उनसे विरोध करने का कारण लिखित में पूछा तो मुकेश गुप्ता 9 दिसंबर ख्0क्फ् को लिखित में जवाब दिया कि वह सिर्फ एक तमाशबीन के अलावा कुछ नहीं था। ऐसे में वो इस बार कैंट बोर्ड की कार्रवाई के सामने नहीं आ सका।

जो भी निर्माण कर रहा था वो आने वाले अवकाश का फायदा उठाने का प्रयास कर रहा था। ताकि बाद में बनने के बाद कैंट बोर्ड कुछ न कर सके, लेकिन हमारी टीम ने ऐसा नहीं होने दिया।

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड