- विभिन्न तरह की सर्टिफिकेट को लेने के लिए देना होगा ज्यादा पैसा

- पहली बार दस से 20 साल पुराने दस्तावेज निकलवाने की फीस तय

Meerut । सीबीएसई से अब डुप्लीकेट मार्कशीट, सर्टिफिकेट अथवा अन्य दस्तावेज लेना काफी महंगा होगा। बोर्ड ने विभिन्न मद में फीस बढ़ा दी है। पहली बार 10 से 20 साल पुराने दस्तावेज निकलवाने के लिए भी फीस निर्धारित की गई है। सीबीएसई के इस कदम से पेरेंट्स की जेब कटने वाली है।

इसी सत्र से लागू फीस

सीबीएसई से साधारण प्रक्रिया में डुप्लीकेट मार्कशीट, सर्टिफिकेट लेने के लिए 100 रुपए और तत्काल डुप्लीकेट दस्तावेज लेने के लिए 200 रुपए फीस थी। 5, 10 अथवा 20 साल पुराने दस्तावेज निकलवाने के लिए श्रेणीवार फीस नहीं थी। वैसे छात्र 200 अथवा 250 रुपए की सामान्य फीस में ही दस्तावेज निकलवा लेते थे। अब छात्रों को तत्काल अथवा डाक से दस्तावेज मंगवाने पर भारी-भरकम कीमत चुकानी पड़ेगी। सीबीएसई के अनुसार बोर्ड ने न्यूनतम पारिश्रमिक सहित प्रिंटिंग पेपर और अन्य मदों में लगातार दरों की बढ़ोतरी के चलते कई श्रेणी में फीस निर्धारित की है। यह सत्र 2016-17 से लागू हो गई।

जेब पर अतिरिक्त बोझ

सीबीएसई के अजमेर, पंचकुला इलाहाबाद, देहरादून, नई दिल्ली, पटना, भुवनेश्वर, चेन्नई, गुवाहाटी और तिरुवंतपुरम आदि रीजन में आने वाले इलाकों में सालभर विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी अथवा उनके परिजन डुप्लीकेट मार्कशीट, सर्टिफिकेट और अन्य दस्तावेज लेने पहुंचते हैं। सीबीएसई की दस्तावेजों की दरें बढ़ाने पर ज्यादा फीस देनी पड़ेगी।

अब यह होगी फीस

उत्तीर्ण वर्ष से 5 वर्ष के दौरान डुप्लीकेट मार्कशीट, सर्टिफिकेट-250 से 300 रुपए (पहले 200)

उत्तीर्ण वर्ष से 5 से 10 साल के दौरान दस्तावेज लेने पर-500 रुपए (पहले 200 से 250 रुपए

उत्तीर्ण वर्ष से 10 से 20 साल के दौरान दस्तावेज लेने पर-1 हजार रुपए (नई श्रेणी में पहली बार फीस)

उत्तीर्ण वर्ष से 20 साल के दौरान दस्तावेज लेने पर-2 हजार रुपए (नई श्रेणी में पहली बार फीस)

माइग्रेशन सर्टिफिकेट या डुप्लीकेट कॉपी-250 रुपए (यथावत)

- जन्म तिथि प्रमाण पत्र-250 रुपए

- प्रोविजनल सर्टिफिकेट-200 रुपए

- डुप्लीकेट दस्तावेज निकलवाने की तत्काल फीस-500 रुपए (पहले 250)

- सर्टिफिकेट। ,मार्कशीट में त्रुटि सुधार (जन्म तिथि, नाम और अन्य)-1000 रुपए (नई श्रेणी)

- दसवीं एवं बारहवीं के विद्यार्थियों के प्रति दस्तावेज मा‌र्क्स, सर्टिफिकेट-500 रुपए (नई श्रेणी)

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क्या कहते हैं पेरेंट्स

अभी तक तो पेरेंट्स ये सोचते थे कि केवल स्कूलों को ही पेरेंट्स की जेब काटनी आती है। लेकिन अब पता लगा कि सीबीएसई खुद भी पेरेंट्स की जेब काटने से नहीं चूकता है।

-संदीप

सीबीएसई खुद ही पेरेंट्स की जेब काटेगा तो फिर स्कूलों पर नजर कौन रखेगा।

-विनेश तोमर

सीबीएसई को इतनी फीस नहीं बढ़ानी चाहिए। कम से कम पेरेंट्स की जेब का ख्याल तो रखना चाहिए।

-आंचल

स्कूल और सीबीएसई दोनों मिलकर पेरेंट्स की जेब पर डाका डाल रहे हैं। पेरेंट्स के बजट का किसी को ख्याल नहीं है।

-रेनू