80 फीसदी से ज्यादा स्टूडेंट्स

कॉलेजेस या यूनिवर्सिटी में पढऩे वाले 80 परसेंट से ज्यादा स्टूडेंट्स स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं और कई घंटे उनका समय सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर गुजरता है। दोस्तों से तो गु्रप में इससे बात हो जाती है, लेकिन पढ़ाई और कॉलेज से संबंधित जानकारी इनसे दूर ही रहती है। सीसीएस यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की मांग है कि सोशल नेटवर्किंग से यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को जोड़ा जाए, जिससे दोस्तों से कनेक्शन और संबंधित जानकारी आसानी से मिल जाती है।

ऑनलाइन सिस्टम बेमानी

देशभर की कई संस्थाएं अपने स्टूडेंट्स की संख्या और उनके अनुभव अन्य लोगों को बताने के लिए वेबसाइट्स के साथ सोशल नेटवर्किंग को जोड़ रही हैं। इससे यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को ब्रांडिंग करने का मौका भी मिलता है। यूनिवर्सिटी ने परीक्षा फॉर्म, फीस और अन्य प्रक्रिया तो ऑनलाइन कर ली हैं, लेकिन स्टूडेंट्स को अपनी बात रखने के लिए कोई ओपन प्लेटफॉर्म नहीं दिया जा रहा।

तो मिल जाते पूर्व स्टूडेंट्स

यूनिवर्सिटी द्वारा समय पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग स्टूडेंट्स को जोडऩे के लिए कर लिया जाता तो पूर्व स्टूडेंट्स की संख्या अब तक हजारों में पहुंच जाती। ऐसा नहीं होने से यूनिवर्सिटी को पूर्व स्टूडेंट्स की मीट कराने के लिए ही कई तरह के पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। पूर्व स्टूडेंट्स का रिकॉर्ड नहीं होने से स्टूडेंट्स नहीं मिल रहे।

खराब सेटअप भी नहीं

शहर के अन्य कॉलेजों के मुकाबले  सीसीएस यूनिवर्सिटी के पास कम्प्यूटर सिस्टम, सॉफ्टवेयर, प्रोफेसर्स और स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा है। इसके बाद भी अब तक ऐसा कोई इंटरनल सिस्टम भी नहीं बना है, जिससे कि स्टूडेंट्स और फैकल्टीज आपस में बात कर सके या एक-दूसरे से नॉलेज शेयरिंग कर सके। कुछ विभाग अपने स्तर पर ऐसी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे भी यूनिवर्सिटी में एक कॉमन ऑनलाइन प्लेटफार्म की मांग कर रहे हैं।

ये हैं दुनिया से कनेक्ट

आईआईएम, आईआईटी और एसजीएसआईटीएस जैसे बड़े संस्थान समय के साथ अपडेट हैं। स्टूडेंट्स से संबंधित हर तरह की टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखकर अपने सिस्टम में बदलाव कर रहे हैं। वेबसाइट्स पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के ऐसे टूल्स जोड़े जा रहे हैं, जिससे स्टूडेंट्स अपने आप जुड़ रहे हैं। इस पर कॉलेज और स्टूडेंट्स से संबंधित जानकारी  शेयर की जा रही है। फेसबुक पर पेज बना दिए गए हैं। एसजीएसआईटीएस जैसे संस्थान ने चार साल पहले ही इसकी शुरुआत कर दी थी। संस्थान से इस समय दुनियाभर के 5 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स ऑनलाइन कनेक्ट है। इनसे कभी भी संस्थान संपर्क कर सकती है।

मजबूरी में वेबसाइट

अगर बात यूनिवर्सिटी की करें तो वो भी कुछ खास नहीं है। यूनिवर्सिटी अगर  चाहती तो स्टूडेंट्स के लिए अलग से सेगमेंट बना सकती थी। रिजल्ट और अन्य जानकारी और लोगों तक पहुंचाने के लिए वेबसाइट को सोशल नेटवर्किंग साइट्स से जोड़ा जा सकता था। ताज्जुब की बात ये है कि जब भी स्टूडेंट्स को ऑनलाइन फॉर्म फिल करना होता है तो उसे वेबसाइट्स के साथ पूरा युद्ध करना पड़ता है। फॉर्म भरते समय कई बार वेबसाइट हैंग तक कर जाती है।

स्क्रीट की तो पूछो मत

अगर बात सर छोटू राम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की बात करें तो इसका मैनेजमेंट अपने आप को वेस्ट यूपी का सबसे बड़ा और सबसे अच्छा टेक्नीकल और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट समझता है, लेकिन अभी ये भी न तो फेसबुक से कनेक्ट है और ट्वीटर से जोड़ा गया है। जबकि इसमें वाई फाई से जोडऩे की बात ही हो रही है। इस इंस्टीट्यूट में 1680 स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं।

मेरठ कॉलेन नजीर

सन 1892 में स्थापित मेरठ कॉलेज का कैंपस जितना पुराना है। सिटी में मौजूद तमाम कॉलेजों यहां तक की यूनिवर्सिटी से अधिक अपग्रेड है। मेरठ कॉलेज ने अपने आपको फेसबुक और ट्वीटर से ही नहीं बल्कि यू ट्यूब, गूगल प्लस और लिंक्ड इन से भी जोड़ा हुआ है। इस कॉलेज से करीब 11 हजार स्टूडेंट्स जुड़े हुए हैं।

 

"ये बात पूरी तरह से ठीक है कि यूनिवर्सिटी में पढऩे वाले 80 फीसदी स्टूडेंट्स सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काम कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी भी इस पर काम कर रहे हैं। आने वाले समय में वेबसाइट सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कनेक्ट हो जाएगी."

- पीके शर्मा, पीआरओ, सीसीएसयू

"हमारी वेबसाइट अपडेट नहीं है। ये बात पूरी तरह से सही है। आज का यूथ सोशल नेटवर्किंग साइट्स से काफी जुड़ा हुआ है। हमने अपनी वेबसाइट को अपडेट करने के लिए बीएसएनएल को कार्य दिया हुआ है। ये काम 31 मार्च तक पूरा हो जाएगा."

- सोहन लाल गर्ग, डायरेक्टर, सर छोटू राम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

"स्टूडेंट्स अब सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ज्यादा अपडेट रहते हैं। यूनिवर्सिटी को अपना ढर्रा सुधारना होगा। अपने आपको सोशल नेटवर्किंग साइट्स से कनेक्ट करना होगा."

- अंकुर राणा, छात्र नेता

"इंस्टीट्यूट की अपनी फेसबुक आईडी तो है लेकिन वेबसाइट किसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स से अटैच नहीं है। जबकि वेबसाइट्स तक अपडेट नहीं है."

- अंकुर मुखिया, एमबीए स्टूडेंट्स, स्क्रीट

"जब भी यूनिवर्सिटी के बारे में जानकारी लेनी होती है तो यूनिवर्सिटी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। अगर यूनिवर्सिटी फेसबुक से कनेक्ट होती तो सारी चीजें वहीं से अपडेट हो जाती." 

- मीनल गौतम, स्टूडेंट, सीसीएसयू

National News inextlive from India News Desk