मेरठ (ब्यूरो)। देश में संस्कृत और वैदिक गणित को बढ़ावा देने के लिए यूजीसी पहल कर रहा है। इसके तहत सीसीएस यूनिवर्सिटी ने कवायद शुरू कर दी है। यूनिवर्सिटी में यूजी और पीजी लेवल में क्वालिटी एजुकेशन के लिए कंटेट विकसित करने के लिए यूजीसी ने इसी जिम्मेदारी सीसीएसयू को सौंपी है।इसके अलावा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए भी यूजीसी ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस कवायद में भी सीसीएसयू पार्टिसिपेट करेगा।

यूजीसी ने कंटेट मांगे
गौरतलब है कि देशभर में वैदिक गणित समेत चार टॉपिक्स पर यूजीसी ने देशभर की यूनिवर्सिटीज से कंटेंट मांगे हैं। वैदिक गणित का कंटेंट विकसित करने की तैयारी में सीसीएसयू जुट गया है।

एक मंच पर होंगे संस्कृत व विज्ञान
यूजीसी की ओर से संस्कृत में लिखे भारतीय प्राचीन विज्ञान को भी एक मंच पर लाने की पहल शुरू की गई है। भारतीय संस्कृत और विज्ञान विषय पर यूजीसी कंटेंट तैयार कराएगा। हालांकि, अभी तक यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में पढ़ाए जा रहे संस्कृत कोर्स में प्राचीन विज्ञान पर बेहद कम सामग्री है। अब इस सब्जेक्ट को पूरी तरह से अलग कर यूनिवर्सिटी से कंटेंट तैयार कराने का प्रस्ताव दिया गया है।

इन विषयों में मांगे प्रस्ताव
भारतीय सौंदर्य शास्त्र
भारतीय वैदिक गणित
भारतीय दर्शन शास्त्र
भारतीय संस्कृत व विज्ञान

वैदिक गणित में सीसीएसयू आगे
देशभर की यूनिवर्सिटी में सिर्फ सीसीएसयू ही एक मात्र केंद्र है, जहां वैदिक गणित में रिसर्च हो रही है। कैंपस में वैदिक गणित में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स में पढ़ाई के साथ रिसर्च भी हो रही है। समन्वयक प्रो। शिवराज सिंह ने बताया कि वैदिक गणित में अब तक 12 रिसर्च पेपर प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। दुनियाभर में वैदिक गणित पर काम कर रहे विशेषज्ञों के रिसर्च पर आधारित पुस्तक 'वैदिक गणित के आयामÓ भी आ चुकी है। प्रो। शिवराज पुंडीर के अनुसार वैदिक गणित का कंटेंट विकसित करने के लिए सीसीएसयू आवेदन कर रहा है।

ये हैं वैदिक गणित के फायदे
प्राचीन भारतीय पद्धति
वैदिक गणित एक प्राचीन भारतीय पद्धति है। इसके कारण यह लोगों को स्वभाविक रूप से आकर्षित करती है। इसमें विकल्पों की अधिकता है। इस कारण यदि कोई बच्चा एक विधि को नहीं समझ पाता तो वह अन्य विधियों के सहारे किसी भी सवाल को हल कर सकता है।

संसाधनों की बचत
यह एक मनोरंजक विधि है। यह बहुविकल्पीय प्रणाली तथा कम से कम समय में हल हो सकने की क्षमता इसके मनोरंजक बना देती है। इसके सहारे संसाधन की बचत होती है, आज के युग में इच्छाएं अनंत है तथा संसाधन सीमित है, इन सीमित संसाधनों में हमें अपनी अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति करनी होती है। इन परिस्थितियों में संसाधनों की बचत करना अति आवश्यक है।

पर्यावरण की भी बचत
यदि हम कागज की बचत व स्याही की बचत करते हैं। तो पर्यावरण की भी रक्षा करते हैं। क्योंकि पेड़ों का कटान कम होगा। अन्य विधियों में सवालों का हल सिर्फ दांये से बांए ही कर सकते हैं। इसमें हमारे दिमाग के दोनों पक्षों का विकास समान रूप से नहीं हो पाता है। लेकिन वैदिक विज्ञान के माध्यम से आप जोड़, घटाव, गुणा तथा विभाजन प्रक्रिया को दाएं से बाएं या बाएं से दाएं दोनों पद्धतियों से कर सकते हैं।

छोटे-छोटे ट्रिक महत्वपूर्ण
प्रतियोगी परीक्षाओं में वैदिक गणित का प्रयोग होता है। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में कम से कम समय में तीव्रता तथा शुद्धता के साथ अधिक से अधिक प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। इसके लिए यह वैदिक गणित ही छोटे ट्रिक के रूप में प्रयोग होता है।