- इक्विस्टेरियन फेडरेशन ऑफ इंडिया के एग्जिक्यूटिव मेंबर समीर लांबा से खास बातचीत

- कहा, टैलेंट की कोई कमी नहीं, नहीं मिल पा रहा है फॉरेन एक्सपोजर

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Meerut : टीम इंडिया को करीब चार बार रिप्रेजेंट कर चुके और इतनी ही इंडियन इक्विस्टेरियन टीम के कोच रह चुके इक्विस्टेरियन फेडरेशन ऑफ इंडिया के एग्जिक्यूटिव मेंबर समीर लांबा का कहना है कि इस गेम में इंडिया के पास काफी टैलेंट मौजूद है और हम व‌र्ल्ड लेवल पर कहीं आगे जा सकते हैं। अगर राइडर्स को इंटरनेशनल लेवल पर ठीक से कोचिंग दी जाए। लेकिन इसके लिए फेडरेशन के पास रुपया ही नहीं है। इंडियन इक्विस्टेरियन टीम और फेडरेशन के बारे में काफी देर तक आई नेक्स्ट के साथ बात चीत की कर्नल समीर लांबा ने

कोचिंग को नहीं है रुपया

कर्नल समीर लांबा ने बताया कि इंडियन इक्विस्टेरियन टीम और फेडरेशन की सबसे बड़ी समस्या रुपया है। राइडर्स को कोचिंग देने के लिए फेडरेशन के रुपया ही नहीं है। फेडरेशन इसके लिए कई बार गवर्नमेंट से कह चुकी है। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वैसे भी गवर्नमेंट रुपया मेडल देखकर देती है। लेकिन इंटरनेशनल लेवल की कोचिंग न मिलने के कारण मेडल नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में सरकार भी कुछ नहीं कर रही है।

सिर्फ फीस से इनकम

फेडरेशन की इनकम के बारे में सवाल पूछे जाने पर कर्नल लांबा और इंडियन टीम के पूर्व कोच ने बताया कि फेडरेशन के पास कोई बड़ा या छोटा स्पांसर है ही नहीं। साथ ही कोई बाहर से पैसा आ रहा है। फेडरेशन इनकम सिर्फ नेशनल इवेंट्स में होने वाली एंट्री फीस ही है। फंडिंग ही इस फेडरेशन की बड़ी समस्या है। जिसे जल्द ही दूर करना होगा।

आर्मी का पूरा सपोर्ट

अगर इस गेम को और फेडरेशन को आर्मी का सपोर्ट न मिले तो ये गेम पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। कुछ दिन पहले की बात है कि जोनल गेम्स के लिए एमपी के सेंटर ने आयोजन करने से इनकार कर दिया। अब आर्मी सेंटर दिल्ली इस आयोजन को कराने की कोशिश कर रहा है। इस गेम को मौजूदा समय में जो सपोर्ट मिल रहा है वो आर्मी का सबसे बड़ा है।

फॉरेन एक्सपोजर नहीं

आर्मी के राइडर्स के इंटरेनशनल लेवल पर आगे न बढ़ पाने का महत्वपूर्ण कारण बताते हुए कर्नल लांबा कहते हैं कि राइडर्स को फॉरेन एक्सपोजर नहीं मिल पा रहा है। राइडर्स फॉरेल कंट्रीज में जाएं वहां देखे और कोचेस से मिले तो ऐसा कोई नहीं जो यहां के राइडर्स के सामने टिक सके। वहीं दूसरा कारण बताते हुए कहते हैं कि एक आर्मी पर्सन के पास राइडिंग के अलावा और भी कई तरह के टास्क होते हैं। वो प्रोफेशनल्स नहीं होते हैं। जबकि इंटरनेशनल लेवल पर मुकाबला करने को प्रोफेशनल्स बनने की काफी जरुरत है।

इंचियोन से बेहतर मेरठ

इंचियोन एशियन गेम्स में इंडियन टीम के कोच कर्नल समीर लांबा ने बताया कि मेरठ का क्रॉस कंट्री ग्राउंड दुनिया के सबसे बेहतर ग्राउंड में से एक है। अगर मैं इंचियोन के क्रॉस कंट्री से तुलना करूं तो वहां पर पैदल चलने वाले लोगों की जगह को डेवलप कर क्रॉस कंट्री एरीना बनाया गया था। जबकि यहां पर सब नेचुरल है। आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज ने इसे डेवलप करने में काफी कोशिश की है।