मेरठ-सहारनपुर मंडल में स्टूडेंट की कमी से कॉलेज एवं कोर्स हो रहे बंद

24 कॉलेजों ने बीते एक साल में कई कोर्स की मान्यता रद कराई

32 कोर्स को पूरी तरह से बंद कर दिया गया कॉलेजों से

4 कॉलेज भी इस सत्र में पूरी तरह बंद हो चुके हैं।

5 साल में बंद हो चुके हैं कई कॉलेज और कोर्स

100 से अधिक कोर्स और करीब 50 कॉलेज हो चुके हैं बंद

6 कॉलेजों के 8 कोर्स बंद करने का फैसला लिया गया बीते दिनों कार्यपरिषद की बैठक में

Meerut। मेरठ-सहारनपुर मंडल में स्टूडेंट की कमी से कॉलेज एवं कोर्स पर ताले पड़ने लगे हैं। स्टूडेंट की कमी के संकट से जूझते हुए इस साल 24 कॉलेजों ने अपने यहां 32 कोर्स को पूरी तरह से बंद कर दिए है। इनमें से चार कॉलेज भी इस सत्र में बंद हो चुके हैं। बीते पांच सत्र में 100 से अधिक कोर्स और करीब 50 कॉलेज बंद हो चुके हैं.आने वाले दिनों में यूनिवर्सिटी में कोर्स एवं कॉलेज दोनों बंद करने के आवेदन बढ़ने की उम्मीद है। बीते सत्र में कोरोना संकट और वर्तमान में स्टूडेंट की कमी बढ़ने से कॉलेज वित्तीय संकट में फंस गए हैं।

और बढ़ेगा संकट

शासन ने प्रोफेशनल कोर्स में प्रवेश के लिए एससी-एसटी स्टूडेंट के लिए इंटर में न्यूनतम अंकों की बाध्यता कर दी है। इसका सीधा असर कॉलेजों के प्रवेश पर पड़ा है। कॉलेजों के अनुसार बीते सत्र में जो स्टूडेंट केवल स्कॉलरशिप से प्रवेश पाते थे वे इस बार घट गए। अधिकांश स्टूडेंट प्रोफेशनल कोर्स में मोटी फीस देने में सक्षम नहीं हैं.कॉलेजों में एक लाख से अधिक सीटें रिक्त हैं।

छह कॉलेजों में आठ कोर्स बंद

बीते दिनों कार्यपरिषद की बैठक में ही छह कॉलेजों के आठ कोर्स पूरी तरह से बंद हो गए। हर डेढ़ से दो महीने के अंतराल में होने वाली कार्यपरिषद की बैठक में यूनिवर्सिटी को हर बार कोर्स या कॉलेज बंद करने के प्रस्तावों पर मुहर लगानी पड़ रही है।

कोर्स जो हुए बंद

-बीकॉम, बीएससी, बीएससी होम साइंस, एमए होम साइंस, बीसीए, बीबीए, बीएससी केमेस्ट्री, बीएससी गणित, बीएससी बॉयोटेक, बीए, बीएससी नìसग।

ये हैं कुछ मुख्य कारण

स्टूडेंट के प्रवेश में निरंतर गिरावट

फीस में बढ़ोतरी नहीं.नए फीस अनुमोदित नहीं

पिछले सत्र की स्कॉलरशिप नहीं मिलना

स्कॉलरशिप में नंबरों की बाध्यता से प्रवेश में गिरावट

बैंकों से कर्ज, ईएमआई का दबाव।

वित्तीय संकट से जूझ रहे कॉलेज

उप्र सेल्फ फाइनेंस टीचिंग इंस्टीट्यूशन एसोसिएशन के अध्यक्ष पुखराज चौधरी ने बताया कि यह सच्चाई है कि कॉलेजों के पास स्टूडेंट नहीं हैं.अधिकांश कॉलेज ऐसे हैं जहां चुनिंदा प्रवेश हैं इसकी फीस से स्टॉफ खर्च तक नहीं निकल रहा.बीते सत्र की स्कॉलरशिप नहीं मिली.इस सत्र से स्कॉलरशिप के नए नियमों से प्रवेश में व्यापक गिरावट हुई है.फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव अभी अनुमोदित नहीं हो सका। अधिकांश कॉलेजों पर बैंकों का करोड़ों रुपए का ऋण है। कॉलेज वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं.आने वाले दिनों में कोर्स -कॉलेज बंद करने की संख्या और बढ़ेगी।