मेरठ (ब्यूरो)। लोहियानगर में कूड़े का पहाड़ न केवल स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन हुआ है बल्कि कूड़े के इस पहाड़ ने एमडीए की आवासीय कालोनी पर भी ग्रहण लगा दिया है। स्थिति यह है कि लोहियानगर में नगर निगम के डंपिंग ग्राउंड में समाए लाखों टन कूड़े के पहाड़ ने आवासीय कालोनी और मेन रोड को अपनी जद में ले लिया है। ऐसे में आवासीय कालोनी में भूखंड लेना तो दूर लोग वहां जाने तक से परहेज करने लगे हैं। गौरतलब है कि इस कूड़े के पहाड़ को लेकर तीन माह पहले एनजीटी ने निगम को फटकार लगाने के साथ ही पांच हजार करोड़ जुर्माने लगाने की चेतावनी भी दी थी। इसके बाद निगम ने दावा किया था कि वह तीन माह में कूड़े के ढेर का निस्तारण कर देगा। मगर दैनिक जागरण के रियल्टी चेक में ये दावा पूरी तरह धराशाई नजर आया।

हापुड रोड पर बिगड़ी सूरत
गौरतलब है कि हापुड़ रोड से लोहियानगर में मेन एंट्रेंस पर नगर निगम का डंपिंग ग्राउंड बना हुआ है। इस डंपिंग ग्राउंड का दायरा इस कदर बढ़ चुका है कि फोर लेन रोड पूरी तरह से कूड़े से ढक चुकी है। जिस कारण से लोहियानगर में हापुड़ रोड से एंट्री तक लगभग बंद हो चुकी है। डपिंग ग्राउंड के कारण दो-दो किमी के एरिया तक कूड़े और उसकी बदबू का प्रकोप फैला हुआ है। इसी कारण से लोहियानगर पाकेट-एफ का विकास थम गया है। यहां आवासीय भूखंड की बिक्री में ग्राहक रूचि नहीं ले रहे हैं। यहां बसे कैंची कलस्टर एरिया और बुनकर औद्योगिक क्षेत्र से उद्यमी पलायन को मजबूर हो गए हैैं।

एनजीटी ने किया था निरीक्षण
11 मई 2023 को एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) की टीम ने लोहियानगर का निरीक्षण किया था। वहां कूड़े का पहाड़ और भूगर्भ जल के प्रदूषित होने की रिपोर्ट पर एनजीटी कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इसमें निगम के अधिकारियों को कड़ी फटकार भी लगाई गई थी। इसके बावजूद नगर निगम की लापरवाही जारी है। इतना ही नहीं, हापुड़ रोड पर लोहियानगर के बाहर बने कूड़े के पहाड़ पर नाराजगी जताते हुए एनजीटी की ओर से नगर निगम को पांच हजार करोड़ के जुर्माने की चेतावनी भी दी गई थी।

कूड़़ा निस्तारण का ठेका बना परेशानी
कूड़े के पहाड़ की ऊचांई साल दर साल कम होने के बजाए बढ़ती जा रही है इसका कारण है कि लोहियानगर में जो प्लांट लगा है वह सिर्फ बैलेस्टिक सेपरेटर श्रेणी का है। इसे ऐसे समझें कि इससे केवल कूड़े की छंटाई की जाती है न कि कूड़े का निस्तारण। निगम क्षेत्र का रोजाना करीब 1200 टन कूड़ा लोहियानगर पहुंचता है। जिसके चलते यहां कूड़े का ढेर लगातार बढ़ता जा रहा है। कूड़ा निस्तारण के लिए नगर निगम और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के आर्गेनिक रिसाइकिलिंग सिस्टम लिमिटेड कंपनी के बीच 25 साल का अनुबंध हुआ था। इसके बावजूद दूसरी कंपनी आईएलएंडएफएस को ठेका दिया गया था। जिसके बाद आर्गेनिक रिसाइकिलिंग कंपनी हाईकोर्ट चली गई। वहीं, पांच जनवरी 2022 को आईएलएंडएफएस कंपनी का ठेका निरस्त कर दिया गया।

फैक्ट्स एक नजर में
1985 में बना था लोहियानगर का प्लान
1998 में इस योजना में आवासीय कालोनी शुरू की गई थी
2008 में औद्योगिक क्षेत्र बनकर तैयार हुआ था लोहियानगर इंडस्ट्रीयल एरिया
कैंची, बुनकर क्लस्टर उद्योग के लिए पॉकेट एफ में आवंटित हुए थे प्लाट
पॉकेट एफ के बाहर बना है नगर निगम का डंपिंग ग्राउंड
पॉकेट एफ में हापुड़ रोड से एंट्री के लिए बनी फोर लेन रोड कूड़े की जद में

इस कालोनी को बने हुए 10 साल से अधिक समय हो गया है लेकिन कुछ एक प्राइवेट सोसाइटी को छोड़कर पूरा लोहियानगर अभी तक जंगल है। कूड़े का पहाड़ यहां विकास होने नहीं दे रहा है।
शरीफ अहमद, उद्यमी

मकान लेना तो दूर लोहियानगर से लोगों ने निकलना तक बंद कर दिया है। मेन रोड पर कूड़े का इस कदर कब्जा हो गया है, जिसे देखकर लगता ही नहीं कि यहां एमडीए की एक प्रमुख कालोनी भी है।
इरफान

एमडीए ने कालोनी को बसा तो दिया गया लेकिन मूलभूत सुविधाएं आज तक नहीं हैं। जब तक इस कूड़े के पहाड़ का निस्तारण नही होगा कालोनी का विकस नहीं हो पाएगा।
अय्यूब

नगर निगम कूड़े के पहाड़ के निस्तारण को प्रयासरत है। अभी बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट चालू है। मगर जल्द कूड़े का निस्तारण कराने के लिए प्लांट लगाया जाएगा। मेन रोड से भी कूड़े को हटाया जाएगा।
प्रमोद कुमार, अपर नगरायुक्त

लोहियानगर में आवासीय कालोनी के बाहर कूड़े को लेकर नगर निगम से पत्राचार जारी है। जल्द से जल्द दोबारा रिमाइंडर कराकर स्थिति को सुधारा जाएगा।
विजय कुमार, चीफ टाउन प्लानर, मेडा