मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएस यूनिवर्सिटी में एडमिशन की प्रक्रिया में इस बार बड़ी गड़बड़ी हो गई है। साढ़े तीन लाख स्टूडेंट्स का डाटा लीक हो गया है। एडमिशन प्रक्रिया करने वाली कम्पनी ने डाटा लीक प्रकारण में साइबर ऑडिट का फैसला लिया है। कम्पनी ने अब इस मामले में साइबर ऑडिट से सिक्योरिटी बढ़ेगी ऐसा विचार करते हुए ये फैसला किया है। कम्पनी ने भविष्य में इस तरह की दिक्कतें न हो, इसको रोकने के लिए और प्रकरण की जड़ तक जाने के लिए यह फैसला लिया है। इसके तहत प्रोफेशनल की आंतरिक समिति भी कम्पनी ने बनाई है। कम्पनी ने प्रारम्भिक जांच में यूनिवर्सिटी के नेटवर्क पर छेड़छाड़ करते हुए डाटा लेने की आशंका जताई है। हालांकि इसकी पुष्टि के लिए साइबर ऑडिट कम्पनी कराएगी।

डाटा बाजार आने की है घटना
दरअसल एक्सेल शहर में सेशन 2023-24 के लिए ऑनलाइन रजिस्टे्रशन के डाटा लीक होने की घटना के बाद, आईटीआई इम्टेक एआईएमएस ने यूनिवर्सिटी को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। पांच बिंदुओं की इस रिपोर्ट में कम्पनी ने दावा किया है कि उनकी एप्लीकेशन व डाटा प्लेटफार्म में किसी तरह की चूक नहीं मिली है। इसलिए एप्लीकेशन या सर्वर को हैक करने की संभावना साफ है। कम्पनी ने कहा कि भविष्य में इस तरह के नुकसान की आशंका रोकने के लिए वे नए ऑपरेटिंग प्रोसीजर पर काम कर रहे हैं। भविष्य में संवेदनशील डाटा को डाउनलोड रोकने के लिए व्यू मोड में ही प्रयोग करने पर काम हो रहा है।

यूनिवर्सिटी से मांगी रिपोर्ट
डाटा लीक पर भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय के अधिन इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ने यूनिवर्सिटी से पांच दिनों में रिपोर्ट मांगी है। रिस्पांस टीम ने भविष्य में इसी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए विभिन्न स्तर पर सुरक्षा उपाय भी सुझाए है। यूनिवर्सिटी को इस अवधि में आठ बिंदुओं पर सीईआरटी की रिपोर्ट देनी है। रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार वर्मा का कहना है कि इस संबंध में जांच चल रही है। जांच के बाद ही पता लगेगा फॉल्ट कहा से हुआ है।