मेरठ ब्यूरो। सीसीएसयू के हॉस्टल्स में खराब खाने की गड़बड़ी की शिकायतें स्टूडेंट्स के माध्यम से लगातार फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को भेजी जा रही थी। बीते कई दिनों से यह शिकायतें पहुंच रही थी कि हॉस्टल में खराब खाना मिल रहा है जो हेल्थ के लिए नुकसानदायक है। इसको संज्ञान में लेते हुए एफएसडीए की टीम ने यूनिवर्सिटी के गल्र्स हॉस्टल्स के खाने में छापा मारा है, टीम ने छात्राओं के लिए पकी दाल व सब्जी के सैंपल लिए। सैंपल परीक्षण के लिए लखनऊ प्रयोगशाला भेजे जाएंगे। बता दें कि टीम यूनिवर्सिटी में गुपचुप तरीके से छापा मारने पहुंची, जांच लगातार की जा रही है, सूत्रों के अनुसार अभी केवल एक ही हॉस्टल का खाना भेजा गया है, इसके बाद अन्य का भी सैंपल चेक किया जाएगा।

एक हॉस्टल से की है शुरूआत
सूत्रों के अनुसार टीम के अफसरों का कहना है कि पहली बार सीसीएसयू के हॉस्टल में छापा मारकर सैंपल लिए गए हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि गोपनीय शिकायत मिली थी कि छात्रावास के खाने में गड़बड़ी की जा रही है।अफसरों के आदेश पर विभाग की टीम सीधे दुर्गा-भाभी छात्रावास पहुंची। टीम ने छात्राओं के लिए और सब्जी से सैंपल लिए। सूचना पर पहुंची। छात्रावास की वार्डन प्रो। सरु कुमारी ने टीम से बनाए खाने और सामग्री को चेक किया। पकी दाल राजबीर कार्रवाई की वजह पूछी। उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया गया। अधिकारियों का कहना है कि उनके पास जांच के आदेश थे, क्योंकि इस हॉस्टल्स की कुछ छात्राओं ने ही शिकायत की थी, यदि खाने में गड़बड़ी मिली तो जिम्मेदार पर कार्रवाई की जाएगी।वार्डन प्रो। सरु कुमारी ने बताया यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रावासों के खाने की गुणवत्ता चेक कराने जांच के लिए बुलाता है। इसी कड़ी में टीम को जांच के लिए समय-समय पर एफएसडीए की टीम को के लिए बुलाकर सैंपल भरवाए सीसीएसयू की एक सतत प्रक्रिया हैं, जबकि सूत्र के अनुसार बाकी हॉस्टल्स की भी जांच जल्द की जा सकती हैं।
इन बिंदुओं पर जांच होगी
- हॉस्टल के खाने का स्वाद
- सब्जी की गुणवत्ता व उसमें प्रयोग होने वाले समान की जांच
- खाने में बांसा सामान तो नहीं प्रयोग किया जा रहा है।
20 मई तक हो सकती है जांच
बता दें कि विभिन्न हॉस्टलों से बीते छह माह से खाने की शिकायतें टीम व राज्यभवन में भी पहुंची है। इनको संज्ञान में रखते हुए ही टीम को भेजा गया है। जल्द ही अन्य हॉस्टलों की भी जांच होंगी, 20 मई तक इस जांच का रिजल्ट पता लगेगा। इसके बाद ही अगर वास्तव में खाने की दिक्कत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

जांच तो हर साल विभागीय टीम द्वारा की जाती है, यह तो समान्य जांच होती रहती है। खाने की गुणवत्ता की जांच होना जरुरी भी है, ताकि पता लग सके कि कैसा खाना स्टूउेंट्स को खाने को मिल रहा है।
धीरेंद्र कुमार वर्मा, रजिस्ट्रार सीसीएसयू