- 2016 में मृतक की पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर 2018 में बिका मकान

- परिजन अंजान, आवास विकास के बाबुओं ने किया खेल

Meerut । आवास विकास के भी खेल निराले हैं कभी संपत्ति को लावारिस घोषित कर फर्जी कागजात पर बेच देते हैं तो कभी मूल आवंटी के गुमशुदा होने पर फर्जी पॉवर ऑफ अटर्नी के आधार संपत्ति बेच दी जाती है। कुल मिलाकर संपत्ति आवंटन के नाम पर आवास विकास में लगातार घोटाले हो रहे हैं और जांच के नाम खेल हो रहा है। ऐसा ही एक नया खेल आवास विकास में सामने आया जिसमें पॉवर ऑफ अटनी धारक की मौत के दो साल बाद खाली पड़ी एक संपत्ति को मृतक के नाम से बनी एक फर्जी पॉवर ऑफ अटनी के आधार पर बेच दिया गया। इस मामले में एक शिकायत होने पर 156-3 में आवास विकास के तत्कालीन संपत्ति अधिकारी और पटल सहायक के खिलाफ वाद दर्ज किया गया है।

यह है मामला

दअरसल जागृति विहार सेक्टर 9 में 203 मकान नंबर आवास विकास द्वारा राजीव भाटिया को आवंटित किया गया था। राजीव भाटिया ने अपना इस मकान की पॉवर ऑफ अटर्नी 1998 में लालकुर्ती निवासी सतीश कुमार नामक व्यक्ति के नाम कर दी थी और खुद विदेश चले गए थे। इसके बाद आवास विकास के रिकार्ड के अनुसार 3 दिसंबर 2018 में सतीश कुमार ने राजीव भाटिया के नाम मकान पंजीकृत कराकर 7 दिसंबर 2018 को किसी निशा नाम की महिला के नाम पर मकान बेच दिया। यह सब सतीश कुमार ने अपनी पॉवर ऑफ अटर्नी का प्रयोग करते हुए किया।

पॉवर ऑफ अटर्नी में खेल

मामला में खेल तब हुआ जब यह बात सामने आई कि पॉवर ऑफ अटर्नी धारक सतीश कुमार की मौत 2016 में हो चुकी है और मौत से पहले उन्होंने यह संपत्ति किसी के नाम न तो बेची, न ही पंजीकृत कराई। जबकि आवास विकास के रिकार्ड में पॉवर ऑफ अटर्नी धारक सतीश कुमार द्वारा पहले मूल आवंटी राजीव भाटिया के नाम संपत्ति पंजीकृत कराई गई। उसके बाद निशा नाम महिला को संपत्ति बेची गई। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मृतक संपत्ति का पंजीकरण करा सकता है क्या। नियमानुसार संपत्ति की बिक्त्री के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय से विक्त्रेता का सत्यापन होता है लेकिन इस मामले में आरोप यह है कि आवास विकास के आला अधिकारियों ने बिना सत्यापन के लिए फर्जी पॉवर ऑफ अटनी लगाकर संपत्ति को बेच दिया। यहां तक की इस मकान की खरीद फरोख में आवास विकास द्वारा निशा के परिजनों को बतौर गवाह बनाकर संपत्ति की बिक्त्री कर दी गई।

जांच के लिए दर्ज हुआ मुकदमा

इस मामले में एक शिकायत कर्ता अरुण ने कोर्ट के माध्यम से 156-3 में मुकदमा दर्ज कराते हुए तत्कालीन संपत्ति अधिकारी और पटल सहायक के नाम जांच की मांग की है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि जो पॉवर ऑफ अटर्नी लगाई गई है वह नकली है जबकि असली का प्रयोग ही नही हुआ। यहां तक की खुद मृतक के परिजनों को इस संपत्ति क बिक्त्री की कोई जानकारी नही है।

अभी यह मामला मेरे संज्ञान में नही आया है। वैसे नियमानुसार पॉवर ऑफ अटर्नी धारक का सत्यापन रजिस्ट्री कार्यालय से होता है वहां से पूरा वेरिफिकेशन होने के बाद ही संपत्ति की बिक्री होती है। सत्यापन का आवास विकास से कोई लेन देन नही है।

- एके गुप्ता, संपत्ति अधिकारी