मेरठ ब्यूरो। सख्ती और चालान की कार्रवाई के बाद भी डग्गामार वाहनों का संचालन जनपद की सडक़ों पर हो रहा है। यही नहीं, इनकी संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि अब परिवहन निगम की बसों के रंग में रंगकर बाकायदा कोडवर्ड के साथ खुलेआम डग्गामारी जारी है। इतना ही नही रोडवेज के समानांतर रूटों पर दौड़ रहीं डग्गामार बसें प्रतिदिन परिवहन निगम की बसों को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा रही हैं। साथ ही बेतरतीब और तेज रफ्तार गति से दौड़ती इन बसों की हालत इस कदर खस्ता है कि बैठने की जर्जर सीट के अलावा और कोई सुविधा यात्रियों को मिल नही पाती है।
धड़ल्ले से हो रहा संचालन
मेरठ जिले से सहारनपुर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, अलीगढ़ समेत तमाम जनपदों में धड़ल्ले से डग्गामारी की जा रही है। स्थिति यह है कि रीजन के पांचों डिपो से ज्यादा डग्गामार बसें जनपद की सडक़ों पर दौड़ रही हैं। इतना ही नहीं ये डग्गामार बसें बकायदा रोडवेज बस अड्डों के सामने से सवारियां बैठाती हैं लेकिन पुलिस और परिवहन अफसर इन दबंग डग्गामार संचालकों के सामने नतमस्तक हैं। ना तो मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है और न ही कोई रोक-टोक हो रही है। कार्रवाई के नाम पर कभी-कभार कुछ बसों को सीज कर या चालान करके खानापूर्ति कर दी जाती है। ऐसे में सस्ते टिकट के लालच में यात्री भी इन बसों में सफर करने से नही कतराते हैं। लेकिन इस बसों में यात्रियों की सुविधा के नाम पर एक भी सेफ्टी उपकरण तक नही है।

डग्गामार वाहनों का नया तरीका
यूपी रोडवेज बसों की आड़ में सडक़ पर डग्गामार बसों का जमकर संचालन होता है। इन बसों पर कॉरपोरेशन (यूपीआरटीसी) की जगह इन बसों पर यूपी सुपरफास्ट, उत्तर प्रदेश परिहान, कौशांबी मेट्रो लिखवाकर यात्रियों के साथ धोखा किया जा रहा है। अधिकतर लोग उस पर गौर नहीं करते और यूपी रोडवेज की बस समझकर इसमें सवार हो जाते हैं। ऐसे में इन बसो में फटी सीट, टूटे शीशे, प्रेशर हार्न, लाउड म्यूजिक सिस्टम यात्रियों के लिए परेशानी का सबब है। साथ ही बसों में स्पीडो मीटर, फायर सेफ्टी सिस्टम, इमरजेंसी हेल्थ किट जैसी बेसिक सुविधाएं तक नही हैं। सर्वाधिक बसें मेरठ से मवाना, सरधना, बुलंदशहर, हापुड, कौशांबी, आनंद विहार तक बेरोकटोक दौड़ रही हैं। इन बसों में सुरक्षा के कोई मानक नहीं हैं।

200 के करीब बसों की हुई पहचान
गत वर्ष परिवहन निगम ने डग्गामार बसों के संचालन के सुबूत के तौर पर ऐसी बसों का सर्वे कराया था। जिसमें करीब 189 बसों की नंबर सहित सूची शासन को दी गई थी। इसमें मेरठ-मुरादाबाद रूट पर करीब 66 बसें, मेरठ-मुजफ्फरनगर रूट पर 31 बसें और मेरठ-कौशांबी रूट पर 90 से अधिक बसें शामिल हैं। लेकिन इस सूची पर अभी तक किसी भी अधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया है।

डग्गामार बसों पर समय समय पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। इसके लिए रोडवेज प्रवर्तन दल से भी सहयोग लिया जाता है।
- हितेश तिवारी, आरटीओ