-लोहियानगर योजना में अर्जन मुक्त जमीन पर बेच दिया प्लॉट

-दाने-दाने को मोहताज बना एमडीए की ठगी का शिकार आवंटी

-अर्जन मुक्त जमीन पर भी कर दी रजिस्ट्री

mohit.sharma@inext@co.in

Meerut : दस साल पूर्व जब बिटिया छोटी थी, तो सोचा कि एक प्लॉट खरीद लेता हूं। जब बिटिया बड़ी हो जाएगी तो प्लॉट बेच कर उसके हाथ पीले कर दूंगा। पत्नी के गहने गिरवी रख कुछ व्यवस्था की। उसके बाद एक-एक पैसा जोड़कर प्लॉट की किस्त भी भरी। अब जब बिटिया का ब्याह करने का समय आया तो प्लॉट निकालने की सोची, लेकिन प्लॉट पर किसानों की फसल खड़ी मिली। एमडीए जाकर संतुष्टि करनी चाही तो पता चला कि प्लॉट वाली जमीन तो अर्जन मुक्त है। इस पर प्राधिकरण अफसरों से मिला तो कोई संतोषजनक जवाब न मिल पाया। आज तीन साल हो गए एमडीए के चक्कर लगाते लगाते बिटिया की शादी तो दूर घर में खाने के भी लाले पड़ गए हैं।

क्या है मामला

नंगलामल निवासी विजय शर्मा पुत्र एमएल शर्मा ने ख्00फ् में लोहियानगर योजना के आई ब्लॉक में अपनी पत्नी बबीता के नाम से एमडीए का एक प्लॉट खरीदा था। तीन सौ मीटर प्लॉट की वर्तमान कीमत करीब दस लाख रुपए है। विजय का आरोप है कि प्लॉट पर किसानों की फसल खड़ी है। एमडीए अफसरों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्लॉट की जमीन तो अर्जित ही नहीं है। विजय ने जब यह बात सुनी तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। इस पर पीडि़त विजय ने प्राधिकरण के आला अफसरों से शिकायत की तो उन्होंने उसको बाबुओं के पास भेज दिया।

बाबू मांग रहे पैसा

प्लॉट और पैसा दोनों गंवा चुके विजय ने जब बाबुओं की मिन्नतें की तो उन्होंने प्लॉट ट्रांसफर कराने की बात कही, लेकिन इसकी एवज में उन्होंने मोटे पैसे की डिमांड रखी। एमडीए के हाथों अपना सब कुछ गंवा चुके विजय ने जब पैसा पास न होने की बात कही तो बाबुओं ने फाइल पटकते हुए उसे वहां से फटकार कर भगा दिया।

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एमडीए ने छीन लिया निवाला

कुछ सालों पहले तक खुशी-खुशी जीवन बसर कर रहा विजय आज सड़क पर आ चुके हैं। दवाई बेचने से आने वाली अपनी छोटी सी कमाई में घर के खर्च के अलावा बच्चों की पढ़ाई और जैसे-तैसे थोड़ी बहुत बचत कर दो सौ गज का एक प्लॉट खरीदा। बच्चे बड़े हुए और शादी ब्याह की जिम्मेदारी पूर्ण करने का समय आया तो प्लॉट बेचने की सोची। प्लॉट बेचने की बारी आई तो पता चला जिस प्लॉट की किस्त भरने में आधी जिंदगी गुजार दी वो तो एमडीए का फ्रॉड है। पत्नी यह सदमा बर्दाश्त न कर पाई और हार्ट पेशेंट हो गई। प्लॉट तो हाथ से गया ही बच्चों की पढ़ाई का पैसा अब पत्नी की बीमारी में जाने लगा। उधर, भाग दौड़ में विजय का काम भी छूट गया और घर की आमदनी पूरी तरह से बंद हो गई। आज हालात यहां तक आ पहुंचे हैं कि घर में दो जून की रोटी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। एमडीए के हाथों ठगे विजय ने जब अपनी कहानी सुनाई तो उसकी आंख भर आई। उसने बताया कि एमडीए ने प्लॉट ही नहीं उसके पूरे परिवार को ही बर्बाद कर दिया है। अब उनके सामने सामूहिक आत्महत्या के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।

इस तरह का एक मामला संज्ञान में आया है। संबंधित बाबू से फाइल तलब की गई है। मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर हर संभव मदद की जाएगी साथ ही दोषी लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।

सौम्य श्रीवास्तव, सचिव एमडीए