-सरकारी हॉस्पिटल में प्लेटलेट्स की भारी कमी

-जंबोपैक पर निजी अस्पताल कर रहे मोटी कमाई

Meerut। जिले में एक ओर जहां डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं सरकारी अस्पतालों की बदइंतजामी भी मरीजों का दम निकाल रही है। सरकारी अस्पतालों में बुखार के मरीजों की संख्या के मुकाबले प्लेटलेट्स की भारी कमी है। जिसकी वजह से मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल्स का रुख करना पड़ रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स भी डेंगू के खौफ और जरूरत के हिसाब से मरीजों से जमकर वसूली कर रहे हैं।

क्या है मामला

दरअसल, जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 58 तक जा पहुंची है, जबकि चिकनगुनिया के कुल मरीज 135 दर्ज किए गए हैं। डॉक्टर्स के अनुसार डेंगू और चिकनगुनिया जैसे बुखारों में मरीज के भीतर प्लेटलेट्स की भारी कमी आ जाती है। ऐसे में उससे समय पर प्लेटलेट्स चढ़ाना बहुत जरूरी हो जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि जानलेवा बुखार के इन मरीजों की संख्या के सापेक्ष स्वास्थ विभाग के पास केवल 24 यूनिट ही प्लेटलेट्स उपलब्ध हैं। ऐसे में प्लेटलेट्स की आस में मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल्स का रुख करना पड़ता है।

कम असरदार

प्राइवेट हॉस्पिटल्स पहुंच रहे बुखार के मरीजों के पीछे एक कारण यह है कि स्वास्थ विभाग के पास जो सरकारी प्लेटलेट्स यूनिट है, वो अपेक्षाकृत कम असरदार साबित होती है। असल में स्वास्थ्य विभाग के पास जो प्लेटलेट्स बैग है, वो मरीज में केवल पांच से सात हजार प्लेटलेट्स को बढ़ाता है, जबकि कभी-कभी मरीज को 50 से 70 हजार प्लेटलेट्स की आवश्यकता होती है। ऐसे में मरीज के सामने प्राइवेट हॉस्पिटल्स का रुख करने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं बचता।

स्वास्थ्य विभाग के इंतजाम

स्वास्थ्य विभाग डोनर से ब्लड लेने के बाद उसको प्रोसेस कर उससे प्लेटलेट्स अलग करता है। एक यूनिट ब्लड से निकलने वाली प्लेटलेट्स की मात्रा 70 एमएल होती है, जो मरीज की आवश्यकता के हिसाब से काफी कम है। विभाग इसके लिए मरीज से 200 रुपए प्रति यूनिट चार्ज करता है, जबकि मरीज के परिजनों से इसके बदले ब्लड भी लिया जाता है।

हाईटेक प्राइवेट हॉस्पिटल्स

सरकारी इंतजामों के मुकाबले प्राइवेट हॉस्पिटल्स अपनी हाईटेक सुविधाओं की आड़ में लोगों से जमकर उगाही करते हैं। वास्तव में निजी अस्पतालों की सबसे बड़ी उपलब्धि उनके पास जंबोपैक मशीन का होना है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के पास अभी तक ऐसा कोई इंतजाम नहीं है। इस हाईटेक मशीन के माध्यम से एक बार में ही 600 से 700 एमएल प्लेटलेट्स तैयार किए जा सकते हैं, जो सरकारी यूनिट की अपेक्षा दस गुना अधिक है। हालांकि शहर में तीन प्राइवेट अस्पतालों के पास ही यह सुविधा उपलब्ध है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक किसी भी मरीज को एक जंबोपैक चढ़ते ही आसानी से 50 से 60 हजार प्लेटलेट्स बढ़ाई जा सकती है।

100 गुना तक वसूली

स्वास्थ्य विभाग ने जहां एक यूनिट प्लेटलेट्स की फीस 200 रुपए रखी है, वहीं प्राइवेट अस्पताल एक जंबोपैक के 15 से 20 हजार तक वसूलते हैं। जो सरकारी फीस की अपेक्षा 100 गुना तक अधिक है। वहीं मरीज डेंगू के खौफ और तत्काल जरूरत को देखते हुए प्लेटलेट्स की कुछ भी कीमत देने को तैयार हो जाता है।

स्वास्थ्य विभाग के पास जंबोपैक मशीन नहीं है। यही कारण है कि ब्लड को प्रोसेस कर प्लेटलेट्स तैयार की जाती है। आवश्यकतानुसार ब्लड बैंक में पर्याप्त प्लेटलेट्स उपलब्ध है।

-कौशलेन्द्र कुमार, प्रभारी ब्लड बैंक जिला अस्पताल

जंबोपैक काफी महंगा सिस्टम है। हमारे पास इसकी उपलब्धता नहीं है। अलबत्ता ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स उपलब्ध हैं।

-डॉ। सुनील कुमार गुप्ता, सीआईएस

एक यूनिट ब्लड से निकलने वाली प्लेटलेट्स की मात्रा 70 एमएल

विभाग इसके लिए मरीज से प्रति यूनिट चार्ज करता है 200 रुपए

हाईटेक मशीन से एक बार में तैयार होते हैं प्लेटलेट्स 700 एमएल

निजी इसके बदले वसूलते हैं 15-20 हजार रुपए

सरकारी अस्पतालों में अभी तक नहीं है हाईटेक मशीन