-ग्राम प्रधान चुनाव में सांप्रदायिक तनाव की आशंका के चलते कार्ययोजना बनी

- बूथों पर गंवई पहनावे में तैनात रहेंगे पुलिसकर्मी और सुरक्षा एजेंसियां

-चुनाव आयुक्त के निर्देश पर देहात पुलिस ने तैयार किया खाका

-सुरक्षा एजेंसी व विभागों के लोगों को ग्रामीण के बीच घुलने-मिलने के निर्देश

-इस बार प्रधानी के चुनाव में सबसे अलग होगी सुरक्षा व्यवस्था

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abhisheksingh@inext.co.in

Meerut: इस बार का प्रधानी चुनाव कई मायनों में सबसे अलग होगा। एक तरफ जहां राजनीति के पिच पर प्रत्याशी बैटिंग करते हुए नजर आएंगे तो दूसरी तरफ राजनीति के इस ग्रामीण खेल को सुरक्षा प्रदान करने वाले खेमे का रंग भी पहले से काफी जुदा होगा। चुनाव आयुक्त मेरठ, बरेली और सहारनपुर मंडल के प्रधानी चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने की प्रबल आशंका जता चुके हैं। यही नहीं शासन भी इसको लेकर चिंतित है। ऐसे में इस बार चुनाव की सुरक्षा व्यवस्था का जो ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है, वह पूर्व के मुकाबले सबसे अलग है। पहली बार ड्रोन कैमरे की निगरानी में होने वाले ग्राम प्रधान चुनाव में कई पुलिस कर्मी, अन्य सुरक्षा एजेंसीज के कर्मी और विभागों के अधिकारी धोती और गमछा में इलेक्शन की निगेहबानी करते नजर आएंगे। ताकि ग्रामीण परिवेश का आम आदमी किसी भी रूप में उन्हें पहचान न पाए।

तीन मंडलों के चुनाव पर विशेष नजर

ग्राम पंचायत चुनाव 28 नवंबर से चार चरणों में होगा। दूसरा, तीसरा और चौथा चरण क्रमश: 1, 5 व 9 दिसंबर को होगा, जबकि काउंटिंग 12 दिसंबर को। प्रदेश के चुनाव आयुक्त एसके अग्रवाल ने पहली बार प्रधानी चुनाव पर सांप्रदायिक रंग चढ़ने के खतरे से आगाह किया। सभी जिला और पुलिस प्रशासन को इस बाबत सतर्क रहने और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक तनाव के खतरे को देखते हुए शासन भी चिंतित है। सहारनपुर, बरेली और मेरठ मंडल के छह जिले मेरठ, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़ और बागपत को सांप्रदायिक तनाव को लेकर सबसे ज्यादा खतरे वाला एरिया बताया। यहां पर चुनाव सकुशल निपटे और किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो, इस संबंध में उन्होंने सभी प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग कर उन्हें पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैयार ब्लू प्रिंट थमाया।

598 केंद्रों पर रहेगी पैनी नजर

चुनाव आयुक्त के आगाह करने के बाद पुलिस के लिए अतिसंवेदनशील और अतिसंवेदनशील प्लस श्रेणी के मतदान केंद्रों की सुरक्षा करना चुनौती भरा होगा। जिस तरह से प्रधानी इलेक्शन से पहले गावों में हत्या और फायरिंग की घटनाएं हो रही हैं, उससे तो यह आशंका प्रबल हो चली है कि इलेक्शन के दौरान भी प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के बीच हिंसक घटनाएं अंजाम ले सकती हैं। पूर्व में भी इलेक्शन के दौरान हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं। यही नहीं बूथ कैप्चरिंग की घटना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। मेरठ के 12 ब्लॉकों के करीब 598 मतदान केंद्र ऐसे चिह्नित किए गए हैं, जो संवेदनशील और अतिसंवेदनशील की श्रेणी में हैं। यहां पर बिना किसी अप्रिय घटना के इलेक्शन कंडक्ट कराना पुलिस के लिए काफी चैलेंजिंग होगा। इनमें से संवेदनशील 221, अतिसंवेदनशील 275 और अतिसंवेदनशील प्लस 102 मतदान केंद्र हैं।

शुरू कर दी थी कार्रवाई

इलेक्शन के दौरान घटनाओं के प्रबल आशंकाओं के बीच पुलिस प्रशासन ने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी थी। एसपी रूरल कैप्टन एमएम बेग ने बताया कि हर ब्लॉक के सभी गावों में पुलिस ऐसे लोगों को चिह्नित कर रही है, जिन पर इलेक्शन के दौरान अशांति फैलाने का शक है। ऐसे लोगों को मुचलका पाबंद किया जा रहा है। अब तक करीब 4,500 लोगों को मुचलका पाबंद किया जा चुका है। यही नहीं फायरिंग की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन लोगों के आ‌र्म्स को जमा कराने में जुटी है। करीब 8 हजार शस्त्रों को जमा कराया जा चुका है। इसके अलावा पुलिस के अधिकारी क्षेत्रीय पुलिस के साथ मिलकर गावों का दौरा कर निरंतर स्थिति का जायजा ले रहे हैं।

ग्रामीण वेशभूषा में रहेंगे अधिकारी

तमाम पुलिस और प्रशासनिक की मुस्तैदी की तैयारियां अपने स्तर पर हैं। इसके अलावा चुनाव आयुक्त ने सभी अधिकारियों को अलग से विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इलेक्शन में सिविल पुलिस, पीएसी, होमगार्ड, पीआरडी जवान, एलआईयू के अधिकारी व कर्मी समेत पैरा मिलिट्री के जवान तैनात किए जाएंगे। पूरी सिविल पुलिस इलेक्शन में तैनात नहीं की जाएगी। जरूरत के अनुसार करीब 70 प्रतिशत तक पुलिस कर्मी तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा अन्य सभी सरकारी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी भी इलेक्शन में तैनात किए जाएंगे। कुछ को तो वर्दी में तैनात किया जाएगा तो, अधिकांश तो पुलिस कर्मियों के साथ बिना किसी वर्दी के तैनात रहेंगे। वे पूर्ण रूप से देहाती वेशभूषा में रहेंगे। धोती, कुर्ता पहनकर और गले में गमछा डालकर बूथों की निगरानी करेंगे।

आसानी से घुल मिल जाएंगे

ग्रामीण वेशभूषा धारण करने के पीछे एक अलग मोडस ओपरेंडी है। देहातियों की तरह ही धोती, कुर्ता और गमछे में पुलिस कर्मी व अन्य विभागों के अधिकारी और कर्मचारी तैनात रहेंगे तो उन्हें पहचानना मुश्किल होगा। ग्रामीण लोगों के बीच आसानी से घुल-मिल जाएंगे। कोई अराजक तत्व तो किसी तरह की गड़बड़ी फैलाने की फिराक में तो नहीं है। ऐसी तमाम सूचनाएं उनके कानों तक आसानी से पहुंच सकेगी, जिसके बाद वे त्वरित एक्शन ले सकेंगे। इलेक्शन के चार चरण से लेकर रिजल्ट डिक्लेयर तक पुलिस की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने की यह कार्यशैली रहेगी।

चुनाव आयुक्त ने इलेक्शन में सांप्रदायिक तनाव की आशंका व्यक्त की है। जिसको लेकर विशेष सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने की तैयारी है। इलेक्शन में वर्दीधारी पुलिस कर्मी तो रहेंगे ही साथ ही ग्रामीणों की तरह ही वे और अन्य विभागों के लोग भी तैनात किए जाएंगे, जिससे उनके बीच रहकर उनका सूचना तंत्र मजबूत हो सके।

-कैप्टन एमएम बेग, एसपी रूरल

वर्ष 2015 में बनाए केंद्र और स्थल

ब्लॉक मतदान केंद्र सामान्य संवेदनशील अतिसंवेदनशील अतिसंवेदनशील प्लस

जानी खुर्द 75 22 18 22 13

रोहटा 52 18 10 17 07

दौराला 70 18 09 36 07

रजपुरा 76 08 38 13 17

खरखौदा 58 33 08 11 06

मवाना 84 44 14 17 09

मेरठ 35 20 01 10 04

हस्तिनापुर 67 11 22 27 07

सरधना 64 09 35 10 10

सरूरपुर खुर्द 68 08 14 40 06

माछरा 73 12 21 32 08

परीक्षितगढ़ 86 17 21 40 08