नियंत्रण

परिवहन विभाग अपनी बसों में लगाएगा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस

बसों से डीजल चुराना नहीं होगा आसान

- डीजल की खपत के साथ ड्राइवर्स पर भी होगी विभाग की नजर

- बनाया जाएगा कंट्रोल रूम, दस बसों पर होगा ट्रायल

आई एक्सक्लुसिव

sundar.singh

Meerut : बसों से डीजल चोरी की समस्या को रोकने के लिए परिवहन विभाग एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तैयार करा रहा है। पोटेशियम मीटर नाम की यह डिवाइस बसों में लगने से डीजल खपत की पूरी डिटेल मिल सकेगी। परिवहन विभाग पहले इस डिवाइस का ट्रायल करेगा। उसके बाद ये डिवाइस सभी बसों में लगाई जाएगी।

कंट्रोल रूम से होंगे अटैच

पोटेशियम मीटर डीजल की होने वाली खपत के साथ-साथ बस की स्पीड की भी जानकारी देगा। इसके लिए एक कंट्रोल रूम बनेगा। इस कंट्रोल रूम से ही नजर रखी जा सकेगी। परिवहन विभाग पहले 10 बसों में इसका ट्रायल करेगा। अधिकारियों की मानें तो लखनऊ में इसके अच्छे रिजल्ट देखने को मिले हैं। फ‌र्स्ट फेज में लखनऊ व कानपुर जैसे शहर में इसकी शुरुआत हो गई है। सेकंड फेज में मेरठ और बाकी सिटीज को रखा गया है।

छेड़छाड़ करते ही भेजेगा मैसेज

परिवहन निगम के अधिकारियों की मानें तो रोडवेज की बसों में कई बार डीजल चोरी की शिकायत मिली है। इस तरह के कुछ मामले पहले पकड़े भी जा चुके हैं। जिससे इस तरह की डिवाइस की जरूरत महसूस हुई। पोटेशियम मीटर से, किस रूट पर डीजल की कितनी खपत होती है, इसकी जानकारी मिल सकेगी। इसमें सबसे खास बात ये है कि ये मीटर टंकी से होने वाली छेड़छाड़ की तुरंत जानकारी दे देगा। यानी कि टंकी में कब डीजल डाला गया और कब निकाला गया। इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी। कंट्रोल रूम में जानकारी आने के बाद ऐसे डीजल चोरों को चिह्नित किया जा सकेगा।

फ्यूल टैंक पर होगा फिट

निगम के अधिकारियों के अनुसार पोटेशियम मीटर को फ्यूल की टंकी में फिट किया जाएगा। इसे बस में लगने वाले वीटीएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा। वीटीएस सिस्टम को कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा। इसके चलते जब बस चल रही होगी तब भी उसके फ्यूल पर नजर रखी जा सकेगी।

120 करोड़ का खर्च हर माह

परिवहन निगम की बसों में खर्च होने वाले डीजल की बात करें तो हर महीने लगभग 120 करोड़ रुपए का डीजल खर्च हो जाता है। मेरठ परिक्षेत्र में लगभग 750 से अधिक बसें हैं। लगभग 50-60 हजार पैसेंजर्स डेली ट्रैवल करते हैं। सिटी से पूर्वाचल, दिल्ली, हरिद्वार, उत्तराखण्ड, बरेली, आगरा आदि रूटों पर बसें चलती हैं।

वीटीएस सिस्टम रखेगा नजर

वीटीएस सिस्टम से ड्राइवर्स की चाल पर भी नजर रखी जा सकेगी। कोई ड्राइवर कितनी स्पीड से चल रहा है। उसने कहां-कहां पर अचानक से ब्रेक मारा। कितनी हाई स्पीड पकड़ी। इन सब बातों की जानकारी वीटीएस सिस्टम से हो जाती है। लगभग सिटी की सभी बसों में वीटीएस सिस्टम लग चुके हैं। एआरएम ने बताया कि रोड एक्सीडेंट को देखते हुए ये बहुत जरूरी है।

मेरठ की परिवहन निगम की बसों में पोटेशियम मीटर लगाने की तैयारी चल रही है। कुछ शहरों में इसका सफल ट्रायल हो चुका है। मेरठ में भी जुलाई सैकेंड वीक तक इसे शुरू किया जा सकेगा।

परवेज बशीर, एआरएम

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