- बंगाल के ज्वैलरी कारीगर की संख्या करीब 35,000
- सिर्फ 10 हजार कारीगरों के हो रखे हैं रजिस्ट्रेशन
- सदर, नील गली और सर्राफा बाजारों में करते हैं काम
- देश के सबसे बेहतरीन कारीगरों में होते हैं बंगाल के कारीगर
- कारीगरों द्वारा ज्वैलर के सामान गायब करने के कई मामले भी आ चुके हैं सामने
आई स्पेशल
<- बंगाल के ज्वैलरी कारीगर की संख्या करीब फ्भ्,000
- सिर्फ क्0 हजार कारीगरों के हो रखे हैं रजिस्ट्रेशन
- सदर, नील गली और सर्राफा बाजारों में करते हैं काम
- देश के सबसे बेहतरीन कारीगरों में होते हैं बंगाल के कारीगर
- कारीगरों द्वारा ज्वैलर के सामान गायब करने के कई मामले भी आ चुके हैं सामने
आई स्पेशल
sharma.saurabh@inext.co.in
Meerutsharma.saurabh@inext.co.in
Meerut : जिन दो बच्चों को आई नेक्स्ट टीम की मदद से रेस्क्यू किया है, उन्हें बंगाल से सर्राफा कारीगर के नाम पर लाया गया था। अगर बात सर्राफा कारीगरों की करें तो मेरठ में 7भ् फीसदी सर्राफा कारीगर वेस्ट बंगाल के हैं, जिन्हें देश के सबसे बेहतरीन कारीगरों में शुमार किया जाता है। ताज्जुब की बात तो ये है कि इनमें से फ्0 फीसदी कारीगर भी रजिस्टर्ड नहीं है।
ख्भ् हजार वेस्ट बंगाल के
मेरठ में सर्राफा कारीगरों की संख्या फ्भ्,000 है, जिनमें से ख्भ्,000 कारीगर वेस्ट बंगाल से हैं। वहीं भ्फ्00 से करीब महाराष्ट्र के कारीगर हैं। बाकी कारीगर लोकल हैं। वेस्ट बंगाल के कारीगर सबसे अधिक नील गली और सर्राफा बाजार में काम करते हैं। नील गली और सर्राफा बाजार में क्भ्,000 कारीगर काम कर रहे हैं। अगर बात सदर सर्राफा बाजार की करें तो वहां ब् हजार कारीगर वेस्ट बंगाल के ही हैं।
फ्0 फीसदी का भी नहीं रजिस्ट्रेशन
ताज्जुब की बात तो ये है कि इन सभी कारीगरों में से फ्0 फीसदी का भी रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। इस बारे में सुनार विकास समिति के अध्यक्ष संत कुमार वर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में सिर्फ क्0 हजार कारीगरों का ही रजिस्ट्रेशन है, बाकी नहीं है। हमारे द्वारा उन्हें रजिस्ट्रेशन कराने को कहा जाता है, लेकिन वो कराते नहीं है। फिर भी हम कैंप के माध्यम से उनका रजिस्ट्रेशन कराते हैं। इस बार भी मार्च में कैंप होगा, तो रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा।
किन इलाकों में रहते हैं?
- प्रहलाद नगर
- शास्त्रीनगर
- गली सठान
- नील गली,
- सदर
- साबुन गोदाम
- घंटाघर
- तीरगरान
- हापुड़ अड्डा
नहीं होता किसी का वेरीफिकेशन
रजिस्ट्रेशन की बात थोड़ी समझ मे आती है, लेकिन ताज्जुब की बात तो ये है कई सौ किलोमीटर दूर से आए ऐसे कारीगरों का पुलिस वेरीफिकेशन तक नहीं कराया जाता है। जब इस बारे में सर्राफा व्यापारियों से पूछताछ की गई तो इस बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
पुराने कारीगरों से पूछताछ
सर्राफा बाजार एसोसिएशन के महामंत्री दिनेश रस्तोगी का कहना है कि वैसे ही कारीगरों की काफी कमी है। हां, ये काफी रिस्की है कि लाखों रुपए का सोना ऐसे हाथों में होता है, जिन्हें हम जानते नहीं है, लेकिन किया भी क्या जाए? वैसे जब कोई आदमी रखा जाता है तो पुराने कारीगरों पूछताछ करने के बाद ही रखा जाता है। फिर भी हम इस बार सभी वेरीफिकशन कराने की बात रखेंगे।
कई हो चुकी हैं घटनाएं
बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री सर्वेश अग्रवाल का कहना है कि कई मामले ऐसे आ चुके हैं कि कारीगर व्यापारियों का सोना लेकर भाग चुके हैं। इसके बाद भी व्यापारियों को फेथ करना पड़ता है, क्योंकि इन्हीं कारीगरों की वजह से लोकल मैन्युफेक्चरिंग को बल मिलता है। कई मामलों में व्यापारी रिपोर्ट लिखवाने से भी कतराते हैं। क्योंकि बाद में ऐसे मामलों में व्यापारियों को ही काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इन इलाकों में सबसे अधिक
इलाके संख्या
हापुड़ रोड क्0 से क्भ् हजार
आशियाना कॉलोनी म्000-म्भ्00
जमुनिया बाग ब्000
आरए बाजार भ्000
(खुफिया विभाग की रिपोर्ट)
इन लोगों का रजिस्ट्रेशन के लिए हम काफी प्रयास करते हैं, लेकिन हो नहीं पाता है। वैसे भी छोटी-छोटी कई सुनार समिति बन गई हैं कि ट्रैक कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है।
- संत कुमार वर्मा, अध्यक्ष, सुनार विकास समिति, सर्राफा बाजार
वेरीफिकेशन कराने के लिए तैयार नहीं होते हैं, इसलिए एसोसिएशन में रजिस्टर्ड नहीं करते हैं। एसोसिएशन की ओर से काफी गाइडेंस किया जाता है और उन्हें बताया जाता है।
- दिनेश रस्तोगी, महामंत्री, सर्राफा बाजार एसोसिएशन
हमारी एसोसिएशन सिर्फ व्यापारियों का ही रजिस्ट्रेशन करती है, लेकिन हमारी ओर से सभी व्यापारियों से अपील है कि अगर कोई कारीगर रखना हो तो रजिस्टर्ड और वेरीफाइड कारीगर को रखें।
- सर्वेश अग्रवाल, महामंत्री, मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन