मेरठ (ब्यूरो)। शहर के विकास के नाम पर हर बार नगर निगम एक से बढ़कर एक योजनाएं लाता है और करोड़ों रुपए का बजट तैयार करता है। मगर हर साल भारी भरकम बजट के बावजूद निगम क्षेत्र में कहीं कोई विकास होता दिखाई नहीं देता। इस साल भी ऐसा ही हुआ। 900 करोड़ का बजट होने के बावजूट न तो सड़कों के गड्ढे भरे गए, न ही गंदगी साफ हो पाई, न ही पार्कों का सौंदर्यीकरण हुआ और न ही नालों की सफाई की गई। ऐसे ही न जानें कितने विकास कार्य बजट होने के बावजूद हो नहीं सके।

120 करोड़ की आय
नए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए इस बार नगर निगम के पास 904 करोड़ रुपए का बजट तैयार था। जिसमेें निगम ने खुद के स्रोतों से करीब 120 करोड़ से अधिक आय का अनुमान लगाया था। बाकी की धनराशि केंद्र और राज्य सरकार व विभिन्न योजनाओं में मिलने का अनुमान था। हालांकि अपनी आय जैसे टैक्स वसूली से लेकर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, विज्ञापन शुल्क जैसी व्यवस्थाओं पर भी निगम का ज्यादा ध्यान नहीं है। बजट से जनता को मिलने वाली सुविधाओं की तो बात छोड़ ही दीजिए।

ये मिली सुविधाएं
आरआरटीएस चौराहे
किड्स जोन
सेल्फी प्वाइंट
वेलकम प्वाइंट
कबाड़ से चौराहों का सौंदर्यीकरण
आदर्श रेन बसेरा
आरआरआर प्वाइंट
अंडरग्राउंड डस्टबिन

इन सुविधाओं का अभी इंतजार
शत-प्रतिशत स्ट्रीट लाइट
आवारा कुत्तों से सुरक्षा
निराश्रित गोवंश को आसरा
स्मार्ट पार्किंग
स्मार्ट रोड की सुविधा
शत-प्रतिशत कूड़ा कलेक्शन
शत-प्रतिशत हाउस टैक्स वसूली
साफ-सुथरे पब्लिक यूरिनल
सार्वजनिक स्थलों पर डस्टबिन

ये टैक्स वसूली की सुविधाएं
ऑनलाइन जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र
ऑनलाइन लाइसेंस सुविधा
ऑनलाइन प्रॉपर्टी टैक्स
ऑनलाइन प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन
ऑनलाइन म्यूटेशन
ऑनलाइन र्बििल्डंग परमिशन
ऑनलाइन पब्लिक ग्रिवांस रड्रेसल
ऑनलाइन वाटर कनेक्शन
ऑनलाइन एडवरटाइज टैक्स

बजट में हो रही साल दर साल वृद्धि
वित्तीय वर्ष 2023-24 का वार्षिक बजट करीब 904 करोड़ रूपए तैयार किया है।
जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 का वार्षिक बजट करीब 790 करोड़ था।
इस बजट में नगर निगम ने पिछले वित्तीय वर्ष के वार्षिक बजट से करीब 114 करोड़ की वृद्धि की है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में निगम ने खुद के स्रोतों से करीब 120 करोड़ से अधिक आय का अनुमान लगाया है।
जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में करीब 99 करोड़ का लक्ष्य था।
वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 में निगम ने खुद की आय के स्रोतों से आय का लक्ष्य करीब 99 करोड़ निर्धारित किया था।
जबकि नाम परिवर्तन से आय का लक्ष्य करीब 2.70 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया था।
विज्ञापन पटों से वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1.31 करोड़ रुपए की वसूली हो सकी है जबकि टारगेट पांच करोड़ का है।
लाइसेंस जारी करने से निगम ने 85 लाख राजस्व वसूली का टारगेट तय किया था लेकिन अब तक 68 लाख की वसूली हो पाई है।

नगर निगम के प्रयास के चलते शहर में कई नए बदलाव देखे जा रहे हैं। आईटीएमएस, चौराहों पर फव्वारे, किड्स जोन, अंडर ग्राउंड डस्टबिन आदि अच्छे प्रयास है। लेकिन सड़कों के गड्ढे भर जाते तो और अच्छा हो जाता।
मयंक

शहर में जगह-जगह फैली गंदगी को लेकर जब तक नगर निगम पूरी प्लानिंग के साथ काम नहीं करेगा तब तक कहीं भी साफ-सफाई दिखेगी ही नहीं। वो बात अलग है कि स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर बस खानापूर्ति होती है।
अमित शर्मा

हर साल बस कागजों में स्वच्छता सर्वेक्षण चलता है और अलग-अलग तमगे नगर निगम को मिल जाते हैैं। हकीकत में तो आला अधिकारी सड़क पर उतरते ही नहीं है। सफाई कर्मचारियों का और बुरा हाल है। ऐसे में विकास की बात बेइमानी लगती है।
शशिकांत

इस बार हमारे द्वारा शुरू किए गए कई नए प्रयोगों का असर स्वच्छता सर्वेक्षण में दिखेगा। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन बढ़ रहा है। विलोपित कूड़ा स्थलों की सख्ंया बढ़ रही है। इसका लाभ मिलेगा।
हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम