मेरठ (ब्यूरो)। बारिश का मौसम एक तरफ जहां गर्मी से राहत दिलाता है तो वहीं बरसात के साथ आई नमी कई बीमारियां भी लेकर लाती है। खासतौर पर इस मौसम में नमी के कारण त्वचा संबंधी बीमारियां ज्यादा तेजी से फैलती हैं। इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है फंगल इंफेक्शन। सरकारी अस्पतालों की स्किन ओपीडी में फंगल इंफेक्शन के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होने लगा है।

गीले कपड़ों से बढ़ी समस्या
बारिश में भीगना आनंददायक तो लगता है लेकिन यह कई बीमारियों का कारण भी बनता है। डॉक्टरों के अनुसार, इस मौसम में बैक्टीरिया ज्यादा तेजी से पनपते हैं। पानी और नमी में बैक्टीरिया बढऩे की आशंका सबसे ज्यादा होती है। दरअसल, बारिश में भीगने के बाद कपड़े न बदलने से फंगल इंफेक्शन हो सकता है। तौलिया, साबुन, कपड़े शेयर करना फंगस के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित होने का कारण बन सकता है। इसके अलावा एक ही कपड़े को बिना धोए बार-बार पहनना भी फंगल इंफेक्शन फैला सकता है। जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज की बात करें तो इस समय प्रतिदिन 150 से 200 मरीज त्वचा संबंधी रोगों के पहुंच रहे हैं। इनमें फंगल इंफेक्शन के रोगियों की संख्या ज्यादा है।

ये रखें सावधानी
बारिश में भीगने के बाद तुरंत कपड़े बदल लें। ज्यादा देर तक भीगे कपड़े पहनना फंगल इंफेक्शन का कारण बन सकता है।

यदि पसीना ज्यादा आ रहा हो और कपड़े भीग रहे हों तो तुरंत कपड़े बदल लें।

बारिश में यदि जूते भीग गए हों तो उन्हें भी नहीं पहनना चाहिए।

कोशिश करें कि घर के प्रत्येक सदस्य की तौलिया अलग हो। यदि ऐसा न हो तो कम से कम मरीज की तौलिया किसी को प्रयोग न करने दें।

नहाने के बाद शरीर को पूरी तरह सुखा लें, तभी कपड़े पहनें।

फंगल इंफेक्शन के लक्षण
त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते होना
त्वचा पर पपड़ी जमना या खाल उतरना
त्वचा का लाल हो जाना
लाल रंग के छोटे-छोटे दाने होना
शरीर पर जगह-जगह खुजली होना

फंगल इंफेक्शन के प्रकार
एथलीट फुट- एथलीट फुट को टिनिया पेडियास के रूप में भी जाना जाता है। यह एक फंगल इंफेक्शन है, जो पैरों की त्वचा को प्रभावित करता है और पैर के नाखूनों तक तेजी से फैलता है।

दाद- दाद तेजी से फैलने वाला फंगल इंफेक्शन है, जो सामान्य फफूंद जैसे परजीवियों के कारण होता है। दाद की समस्या त्वचा की बाहरी परत की सेल्स पर होती है। दाद के कारण त्वचा पर गोल, पपड़ीदार धब्बे बन जाते हैं, जिनमें लगातार खुजली होती रहती है और छाले जैसे घाव बन जाते हैं।

इंटरट्रिगो- इंटरट्रिगो या इंटरट्रिजिनस डर्मेटाइटिस एक सूजन वाली स्थिति है, जो आमतौर पर त्वचा की परतों में बनती है। ज्यादातर गर्मी, नमी और त्वचा रगडऩे से यह समस्या और बढ़ती है।

यीस्ट इंफेक्शन- यीस्ट संक्रमण को कैंडिडा के नाम से भी जाना जाता है। यह संक्रमण आमतौर पर नम और खराब हवादार क्षेत्रों में पनपने वाली त्वचा की बाहरी परत पर होता है। यह कूल्हे की परतों या स्तनों के नीचे के हिस्से को प्रभावित करता है।

बरसात के मौसम में फंगल इफ्ेक्शन के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। क्योंकि नमी के इस मौसम में बैक्टीरिया अधिक तेजी से पनपते हैं और इंफेक्शन को पैदा कर देते हैं। बचाव के लिए साफ-सफाई बहुत जरूरी है।
डॉ। विश्वजीत बैंबी, सीनियर फिजीशियन

नमी की वजह से इस समय फंगल इंफेक्शन के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। रोजाना 50 से 60 मरीज जिला अस्पताल की आयुष विंग में आ रहे हैं होम्योपैथी फंगल इंफ्ेक्शन में अधिक कारगर है।
विनोद द्विवेदी, होम्योपैथी चिकित्साधिकारी