-यूपी में नहीं है फिटनेस चेक करने की ऑटोमेटेड मशीन

-मनमर्जी के मैनुअल सिस्टम पर टिका वाहन फिटनेस सिस्टम

Meerut। शहर की सड़कों पर दिन-रात भर्राटा भर रहे वाहनों की फिटनेस कितनी फिट है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेरठ ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश वाहनों की फिटनेस चेक करने का एक भी ऑटोमेटेड स्टेशन नहीं है। ऐसे में फिटनेस के मैन्युअल सिस्टम पर टिका ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट अनफिट वाहनों को खूब छूट दे रहा है।

क्या है मामला

दरअसल, वाहनों की फिटनेस चेक करने के लिए मैन्युअल और ऑटोमेटेड सिस्टम की व्यवस्था की गई है। मैन्युअल सिस्टम के अंतर्गत ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का टीसी वाहन की बॉडी से लेकर इंजन तक का बारीकि से निरीक्षण करता है। निरीक्षण में सबकुछ ओके मिलने पर ही वाहन संचालक को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। जबकि ऑटोमेटेड सिस्टम फिटनेस चेक करने का अत्याधुनिक तरीका है। इसके अंतर्गत एक एडवांस टेक्नोलॉजी बेस्ड मशीन पर वाहनों को परखा जाता है। पूरी तरह से कंज्यूट्राइज्ड ये मशीन वाहनों के सभी पार्ट्स का बारीकि से निरीक्षण करती है। जिसकी रिपोर्ट निरीक्षण के आधार पर कंप्यूटर की स्कीन पर दिखाई देती है।

नहीं है ऑटोमेटेड मशीन

शहर में वाहनों की चेकिंग प्रक्रिया सालों पुराने ढर्रे पर ही घिसट रही है। यही कारण है कि जनपद का ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट अभी तक शहर में ऑटोमेटेड स्टेशन की स्थापना नहीं कर सका है। हालांकि चौंकाने वाली बात यह है कि मेरठ समेत पूरे प्रदेश में अभी तक एक भी ऑटोमेटेड स्टेशन नहीं लगा है। जबकि पड़ोसी राज्य दिल्ली व हरियाणा में इस प्रणाली को अपना लिया गया है।

बजट नहीं या मंशा?

ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अनुसार जमर्नी से आने वाली इस ऑटोमेटेड मशीन की कोस्ट लगभग पांच करोड़ के आस-पास है। जबकि लाखों रुपए इसका इंस्टॉलेशन चार्ज है। ऐसे में विभाग के पास मशीन को खरीदने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है। उधर, इसका फायदा उठाकर विभाग के अफसर वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेशन में जमकर खेल कर रहे हैं। मैन्युअल फिटनेस चेक के नाम पर खानापूर्ति कर अफसर न केवल डग्गामार वाहनों को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि वाहन संचालकों से सेटिंग-गेटिंग कर कमीशनखोरी का मोटा मुनाफा भी काट रहे हैं।

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राजधानी में भी स्टेशन

चौंकाने वाली बात तो यह है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी वाहन फिटनेस चेक का ऑटोमेटेड स्टेशन नहीं है। हालांकि प्रदेश सरकार ने इसके लिए 15 करोड़ का बजट भी पास किया था, जिसके लिए रोडवेज ने दो एकड़ जमीन पर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को दी थी। बावजूद इसके आज तक स्टेशन की स्थापना नहीं हो पाई।

फिटनेस चेकिंग के लिए ऑटोमेटेड मशीन का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है। अभी तक पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था लागू नहीं की जा सकी है, जबकि साउथ के कुछ राज्यों में यह तकनीकि अपना ली गई है।

-दीपक शाह, एआरटीओ प्रवर्तन मेरठ