मेरठ (ब्यूरो)। शर्मा नगर में लक्ष्मी नारायण भगवान मंदिर मानव गीता भवन में मानव गीता समिति व महिला मंडल सेवा समिति द्वारा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सहारनपुर से आए कथा व्यास पंडित अरूण पंडित कोडिन्य श्रीमद भागवत कथा में कहा की यदि आप शास्त्रों द्वारा निर्देशित एवं आध्यात्मिक गुरु द्वारा प्रमाणित अपनी भक्तिमय सेवाओं एवं कर्तव्यों को धैर्यपूर्वक करते हैं तो निश्चिन्त रहिए आपकी सफलता निश्चित है।

समर्पण से प्राप्त होते हैैं भगवान
महाराज ने कहा कि हर योनि में भगवान को प्राप्त कर सकते है। उन्होंने कहा कि जिस तरह गजेन्द्र नाम के हाथी को तालाब में स्नान कर रहा था, तब ग्राह नामक हाथी ने उसका पांव पकड़ लिया और सभी से मदद मांगने के बाद भी किसी ने मदद नहीं की तब गजेन्द्र ने भगवान् को खुद को समर्पित किया तो भगवान् ने गजेन्द्र की रक्षा की। इस प्रकार भगवान् को प्राप्त करने के लिए जीव योनि का कोई महत्त्व नहीं, उच्च योनि से लेकर निम्न योनि तक का कोई भी जीव भगवद् प्राप्ति कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए भगवान को पाने के लिए केवल समर्पण की अवश्यकता होती है। समर्पण भाव से कोई भी भगवान को पा सकता है। इसके बाद उन्होंने वामन अवतार का कथा सुनाई। भगवान् वामन ने राजा बलि से संकल्प करा कर तीन पग भूमि दान में मांगी और इस तीन पग में भगवान् वामन ने पृथ्वी आकाश और तीसरे पग में राजा बलि को मापा और बलि को सुतल लोक का राजा बना के खुद वहां के द्वारपाल बने। संक्षिप्त में प्रभु राम अवतार का श्रवण कराया। बताया की भगवान राम अपने आचरण के लिए मर्यादा पुरूषोत्तम कहे जाते है क्योंकि भगवान राम सभी नैतिक गुणों से संपन्न है। प्रभु राम के द्वारा सभी दैत्यों का संहार किया गया और मां सीता जी के हरण के बाद हनुमान जी से प्रभु की भेंट हुई व लंका दहन के साथ के पश्चात रावण वध का श्रवण कराकर भगवान राम के जीवन का संक्षिप्त रूप मे श्रावण कराया।

नटखट अवतार लिया
कथा के विश्राम में कृष्ण जन्म की कथा को स्पर्श करते हुए बताया कि़ द्वापर युग में कंस जैसे दुष्ट पापी का अत्याचार बढ़ जाने पर प्रजा के आग्रह भगवान ने नटखट अवतार लिया और श्री बसुदेव जी भगवान कृष्ण को गोकुल ले कर गए वहां से यशोदा मैया को जन्मी योगमाया को अपने पास ले आये और कृष्ण को उनके पास रख के वापस आ गए। आज शनिवार को को कथा में श्रीकृष्ण बाल लीला कथा, श्री गोवर्धन पूजन के बारे में बताया जाएगा। कथा में राजकुमार सचदेवा, हरिओम गुलाटी, चुन्नीलाल सचदेवा, नवनीत सचदेवा, दीनानाथ गुलाटी, दीपा बंगा, रीमा गुलाटी आदि का सहयोग रहा।