मेरठ (ब्यूरो)। जिले में हर साल वन महोत्सव के तहत बड़े स्तर पौधरोपण होता है। मकसद है कि शहर में हरियाली के दायरे को बढ़ाया जा सके, लेकिन तमाम कवायद के बावजूद हर साल लाखों पौधे सूख जाते हैं, यानि वन विभाग का टारगेट जस का तस बनकर रह जाता है।

निगरानी के प्रयास नहीं
दरअसल, पौधरोपण के बाद रखरखाव के लिए किसी प्रकार से प्रयास नहीं होते हैं। ऐसे में गत वर्ष पौधों की पूरे साल भर निगरानी के लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने हरीतिमा एप बनाया गया है, लेकिन कोई जागरुकता नहीं है। इसलिए यह ऐप भी महज शोपीस ही साबित हो रहा है। वहीं, मोबाइल एप से पौधरोपण अभियान की रियल टाइम जिओटैगिंग तक शत प्रतिशत नही है। ऐसे में हरियाली बढ़ाने के दावे भी अधूरे साबित हो रहे हैं।

अधर में हरियाली का दायरा
हरियाली का दायरा बढ़ाने के लिए इस साल वन विभाग को 27 लाख़ पौधे लगाने का लक्ष्य मिला था। इसके तहत प्रत्येक ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका व नगर निगम चयनित स्थलों के फोटो के साथ रियल टाइम जिओटैग किया जाना था। हरीतिमा एप के जरिए जिओटैगिंग का सारा काम आटोमैटिक होता है।

सटीक डाटा अपलोड
इस एप से फोटो खींचते ही तस्वीर सर्वर पर फोटो अपलोड हो जाते हें जिसको गूगल अर्थ पर आसानी से देखा जा सकता है। दावा था कि हरीतिमा एप के जरिए जिओटैग करने पर उसका डाटा डैशबोर्ड व अफसरों के मोबाइल पर भी आ जाएगा। इसमें तीन मीटर तक का सटीक डाटा अपलोड होगा इससे पौधारोपण स्थल तक पहुंचना आसान हो जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ। आम आदमी की पहुंच हरितिमा एप तक नही है और विभागीय लापरवाही के चलते अभी तक पौधारोपण की कुछ लोकेशन फीड हो पा सके हैं।

यह होनी थी व्यवस्थाएं
हरीतिमा एप से विभागों को पौधरोपण कर हर पौधे की जियो टैगिंग करानी थी
इसमें लाखों पौधों का ब्यौरा अपलोड होना था
इस एप पर से एक-एक पौधे की लोकेशन दर्ज की जानी थी
एप में पौधा लगाने वाले संस्थान की सारी डिटेल
पौधा सड़क से कितनी दूरी पर है उसकी लोकेशन की डिटेल
पौधे की प्रजाति, फोटो, स्थल पर कितने पौधे सब जानकारी
डिटेल के अनुसार लोकेशन पर पौधों की स्थिति ना मिलने पर विभागीय कार्रवाई होगी

पौधारोपण अभियान में किसी प्रकार की लापरवाही ना हो इसके लिए एप पर सभी प्रकार के पौधारोपण की जानकारी अपडेट की जाती है। इससे मॉनीटरिंग जारी है।
राजेश कुमार, डीएफओ