- शनिवार को ओपीडी में आए 1750 मरीज

- संजीत की मौत की मजिस्ट्रीयल जांच रितु पुनिया से एडीएमएलए को सौंपी गई

Meerut : संजीत की मौत के बाद जूनियर रेजिडेंट और यूजी स्टूडेंट्स के हड़ताल के जाने के बाद मेडिकल सेवाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी। आलम ये हो गया था मेडिकल में ओपीडी 1500 से भी नीचे आ गई थी। शुक्रवार जूनियर रेजिडेंट और यूजी स्टूडेंट्स की हड़ताल खत्म होने के बाद मेडिकल सेवाएं शनिवार को थोड़ी पटरी पर दिखी हुई नजर आई। ओपीडी में जूनियर रेजिडेंट और यूजी स्टूडेंट्स के अलावा सीनियर रेजीडेंट्स भी देखे गए।

1750 रही शनिवार की ओपीडी

शनिवार को वैसे भी मरीजों की ओपीडी भी कम ही रहती है। ऐसे में माहौल में भी शनिवार को 1750 मरीजों में ओपीडी में आए। सीएमएस ने बताया कि सोमवार तक मेडिकल की स्थिति और भी सामान्य हो जाएगी। शनिवार को ओपीडी में जूनियर रेजिडेंट और यूजी स्टूडेंट्स के अलावा सीनियर रेजीडेंट्स भी देखे गए है। सभी जगह कैमरे लगा दिए गए हैं। सभी ओपीडी को चेक किया जा रहा है।

संचित प्रकरण की जांच करेंगे एडीएम

डीएम पंकज यादव ने शनिवार को मेडिकल कालेज प्रकरण की जांच एडीएम एल/ए डीपी श्रीवास्तव को सौंप दी है। बता दें कि मेरठ में 12 फरवरी को मेडिकल कॉलेज के इंटर्न सुजीत कुमार की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इंटर्न की मौत के बाद से ही मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हैं। डीएम ने इस प्रकरण में हस्तक्षेप कर पूर्व में एसीएम रितू पुनिया को जांच सौंपी बाद में शनिवार को जांच एडीएम एलए को सौंप दी गई है। प्रकरण की मजिस्ट्रीयल जांच की शर्त पर इंटर्न और जूनियर डॉक्टर के बीच की स्थितियां सामान्य हुई थीं।

ईएमओ की सस्पेंशन पर उठ रहे सवाल

Meerut : मेडिकल कॉलेज में एक विवाद खत्म नहीं होता दूसरा शुरू हो जाता है। अब विवाद और सवाल ईएमओ के सस्पेंशन को लेकर शुरू हो गया है। जानकारों की मानें तो मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ईएमओ सचिन कुमार सस्पेंड नहीं कर सकते हैं। सचिन पीएमएस डिपार्टमेंट से रिक्रूट हैं। उनका मेडिकल एजुकेशन से कोई लेना देना नहीं है। प्रिंसिपल सिर्फ एडी हेल्थ और प्रमुख सचिन स्वास्थ्य कल्याण को संस्तुति करके भेज सकते हैं। इसके अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता रविकांत ने इस मसले को डीजीएमई लखनऊ तक इस सवाल को उठाया है। इस पूरे मामले में लखनऊ तक में मंथन शुरू हो चुका है। जब इस बारे में डॉ। सचिन कुमार कहना है कि मेरे खिलाफ जो भी निर्णय लिया गया वो फैकल्टी की मीटिंग के बाद लिया है। इसका मतलब साफ है कि निर्णय दबाव में लिया गया है। वहीं डीजीएमई डॉ। डीएन त्रिपाठी का कहना है कि ईएमओ प्रिंसिपल के अंडर में है। इसलिए प्रिंसिपल कार्रवाई कर सकते हैं। वहीं जब प्रिंसिपल केके गुप्ता का कहना है कि इस बारे में मैंने रेजिडेंट्स से पहले भी कहा था कि मेरे पास पावॅर्स नहीं है। इस बारे में एडी हेल्थ और प्रमुख सचिव को लिखना होगा। लेकिन कोई नहीं माना। इस फैसले के खिलाफ अगर डॉ। सचिन कोर्ट भी जाते हैं तो उनके हक में फैसला जाएगा।