Meerut। सदर थाने की पुलिस ने भले ही गुरुवार को हुक्का बार पर छापा मारकर अपनी पीठ थपथपा ली हो, लेकिन सच यह है कि खुद पुलिस के दामन पर सवालों के छींटे हैं। पहले प्रदेश सरकार और फिर हाईकोर्ट की रोक के बाद भी पुलिस हुक्का बार पर लगाम नहीं लगा सकी है।

दो माह से संचालन

मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी दावा कर रहा है कि कैफे चार साल से किराए पर था, पर हुक्का बार दो माह से चला रहा था। सवाल है कि दो माह से हुक्का बार चलने की जानकारी पुलिस को क्यों नहीं थी? या पुलिस की शह पर ही हुक्का बार चल रहा था। ऐसे में सदर बाजार पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है।

बन रहा स्टेट्स सिंबल

यंग जनरेशन फ्लेवर्ड हुक्के को स्टेटस सिंबल बना रही है। दोपहर से शाम तक शहर के पॉश इलाकों में स्थित रेस्त्रां और कैफे में आज भी हुक्का बार चल रहे हैं। इस गिरफ्त में ब्वॉयज के साथ-साथ ग‌र्ल्स भी हैं।

एक हजार की वसूली

गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि हुक्का बार में दो घंटे के एक सेशन तक कश लगाने के एवज में एक हजार रुपये की रकम वसूली जाती थी। हुक्का के अलावा कैफे से अन्य सामान की खरीदारी का अतिरिक्त चार्ज वसूला जाता था।

नहीं हुई कड़ी कार्रवाई

शास्त्रीनगर में डगआउट कैफे में पिछले साल सात अगस्त को वीडियो वायरल हुआ था। पुलिस ने वायरल वीडियो में लड़कियों के चेहरे पर धुआं उड़ाते हुए युवक पर कार्रवाई की थी। मगर अभी तक डगआउट कैफे के संचालक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी थाना क्षेत्र में बर्थ-डे पार्टी में पुलिस ने हुक्का बार का संचालन पकड़ा था। उस मामले में भी पुलिस ने खानापूर्ती कर सभी आरोपियों को थाने से ही जमानत दे दी थी। यह हाल तब था, जब एडीजी राजीव सभरवाल के आदेश पर हुक्का बार में छापेमारी की गई थी।

हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में हुक्का बार पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि वह किसी भी रेस्तरां व कैफे में हुक्का बार संचालित न होने दें।

45 मिनट के हिसाब से पेमेंट

रेस्टोरेंट इंडस्ट्री के सूत्र ने बताया कि हुक्का बार संचालक 45 मिनट के हिसाब से पेमेंट वसूल करते हैं। दरअसल, एक बार फिलिंग करने पर फ्लेवर्ड हुक्का 45 मिनट तक चलता है। 4 से 5 लोग आराम से इसमें राउंडअप कर सकते हैं। नेक्स्ट फिलिंग का चार्ज अलग होता है। हर फीलिंग के साथ फ्लेवर चेंज करने का ऑप्शन भी दिया जाता है।

फ्लेवर्ड हुक्के के नशीले फ्लेवर

टकीला

ट्रिपल एक्स

वेट 69

बीयर फ्लेवर

वोदका

ग्रीन एप्पल

रोमोनोव

ये हैं दिखावे वाले फ्लेवर

मार्केट में ग्राहकों को लुभाने के लिए डिफरेंट फ्लेवर मौजूद हैं। इनमें रोमियो जूलियट, मांबा-जांबा, दुबई स्पेशल, एम जूना, वनीला, गुलाब, जासमीन, शहद, आम, स्ट्राबेरी, तरबूज, पुदीना, मिंट, चेरी, नारंगी, रसभरी, सेब, एप्रीकोट, चाकलेट, मुलेठी, काफी, अंगूर, पीच, कोला, बबलगम, पाइन एप्पल आदि।

कोड वर्ड है शीशा

नाम न छापने की शर्त पर सूत्र ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए हुक्के के लिए कोड वर्ड शीशे का प्रयोग किया जाता है। व्हाट्सऐप के जरिए दोस्तों के बीच जगह और समय तय होता है, लेकिन इसमें खुलकर हुक्का बार का नाम नहीं लिखा जाता। कई बार इसके लिए सिर्फ हुक्के का फोटो भेजकर जगह का नाम लिखकर मैसेज किया जाता है। रेगुलर शीशे के लिए उन्हें 300 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। प्रीमियर शीशे के लिए 425 रुपये और पर्ल कंबो शीशे का रेट 555 रुपये है।

सेहत का दुश्मन है हुक्का

45 मिनट के हुक्का राउंडअप में एक सिगरेट से 36 गुना ज्यादा टार व 70 फीसदी ज्यादा निकोटीन युवा निगल जाते हैं।

हुक्के में पानी की जगह शराब, बीयर या सोडा का यूज करते हैं तो शराब और धुआं एक साथ निगलना और भी ज्यादा खतरनाक है।

हर्बल हुक्का मिथक है। तंबाकू नहीं, तो चारकोल तो जलेगा ही। इसमें कार्बन मोनोऑक्साइड और कैंसर कारक कार्सिनोजेन काफी होगा।

फ्लेवर्ड हुक्के के धुएं में एसीटोन, अमोनिया, नैफ्थेलैमिन, मेथोनॉल, पाइरीन, डाई मैथिल, नाइट्रो सैमीन, नफ्थैलीन, केडमियम आदि हानिकारक तत्व होते हैं।

हुक्का पीने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे दिमाग की नसें कमजोर हो जाती हैं। छाती में धुआं जमने से टीबी जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। सभी फ्लेवर शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं।

डॉ। तनुराज सिरोही, वरिष्ठ फिजिशियन

हुक्का पीने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ता है। टीबी की बीमारी भी हो सकती है। हुक्का लीवर और दिमाग की बीमारियों को भी जन्म देता है। युवा पीढ़ी को इस दिशा में जाने से बचने की आवश्यकता है।

डॉ। वीरोत्तम तोमर, छाती रोग विशेषज्ञ

सभी हुक्का बार बंद कराने के आदेश थाना प्रभारियों को दिए गए हैं। इसे लेकर सख्ती की जाएगी।

अजय साहनी, एसएसपी