मेरठ (ब्यूरो)। चीन के एशियन गेम्स में भारतीय खिलाडिय़ों ने जीत को परचम लहराया है। इस बार भारत ने 100 से ज्यादा मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। यहीं नहीं, पश्चिम उत्तरप्रदेश के खिलाडिय़ों ने बेहतरीन प्रदर्शन करके सभी का दिल जीत लिया। स्टीपल चेज में सिल्वर मेडल और 5 हजार मीटर की रेस में गोल्ड मेडल जीतकर मेरठ के इकलौता गांव की पारुल चौधरी ने दुनिया में परचम फहरा दिया। शनिवार को मेरठ आने पर पारुल चौधरी का जोरदार स्वागत किया गया। एशियाड में पदक जीतने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने एथलीट पारुल चौधरी से बातचीत की।

सवाल- गोल्ड मेडल जीतने के बाद आप पहली बार गांव आई हैं। अब बच्चे -बच्चे की जुबान पर आपका नाम है। कैसा अनुभव है ये।
जवाब- मुझे बहुत ही खुशी हो रही है। गांव में मेरा सभी स्वागत कर रहे हैं। मेरी गांव की लड़कियों में भी बहुत टैलेंट हैं। अब उम्मीद है कि गांव की लड़कियों को अब आगे बढऩे की हिम्मत बढ़ेगी।

सवाल- आपने इतिहास रचा है, बीजेपी नेताओं ने गांव में पारुल चौधरी के नाम से सड़क बनाने की बात कही है। आप क्या कहेंगी।
जवाब- वैसे तो खिलाडिय़ों के लिए केंद्र और राज्य सरकार बहुत बेहतरीन प्रयास कर रही है। इसका असर यह है कि एशियाड में हमारे खिलाडिय़ों ने 100 से ज्यादा मेडल जीते हैं। सरकार की पॉलिसी बहुत अच्छी है। सरकार के मौके के कारण अब खिलाडिय़ों में नया उत्साह देखने को मिल रहा है। रही बात मेरे नाम के सड़क की तो, इससे गांव की लड़कियों को ही प्रेरणा मिलेगी।

सवाल- आपने कहा है कि आपको खाकी वर्दी पहनने का सपना है। अब यह पूरा हो गया है।
जवाब- जी हां, सरकार की पॉलिसी है कि गोल्ड मेडल जीतने पर डीएसपी रैंक दी जाती है। मेरा बचपन से ही सपना था कि खाकी वर्दी पहनूं। हालांकि, 2018 के एशियन गेम्स में मेहनत में कमी रह गई थी। इसलिए मैने प्रण किया था कि इस बार मेडल लेकर ही आना है। अब खाकी वर्दी पहनने का सपना पूरा होगा। इसके लिए मैं बहुत उत्साहित हूं।

सवाल- यह पहला मौका था कि जब एशियाई खेलों की 5 हजार मीटर रेस में भारतीय महिला ने परचम लहराया है।
जवाब- जीहां, इस इतिहास की साक्षी बनने पर गर्व महसूस हो रहा है। जब पोडियम पर खड़े होते है। और जब राष्ट्रगान बजता है तो यकीनन आंखों में आंसू आ जाते हैं। यह पहली बार जब 5000 मीटर दौड़ और महिलाओं की भाला फेंक में भारत ने गोल्ड जीता है। यह आगे भी जारी रहेगा।

सवाल- आपने जापान की रिरिका हिरोनका को पछाड़ा। अंतिम पलों में आपके आगे निकलने का वीडियो खूब वायरल हो रहा है। उस समय आपके दिमाग में क्या चल रहा था।
जवाब- मेेरे जेहन में सिर्फ देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने का ख्वाब चल रहा था। मैं रातभर सोई नहीं थी। एक दिन पहले स्टीपल चेज में सिल्वर मेडल मिल गया था, इसलिए आत्मविश्वास तो था कि इस कुछ अच्छा ही होगा। हां, एक ही सपना था कि मैं देश का नाम गर्व से ऊंचा कर सकूं।

सवाल- गांव के विकास के लिए आप सरकार से क्या कहना चाहती हैं।
जवाब- इकलौता और आसपास के गांवों की बेटियों में खूब टैलेंट हैं। वे भी पदक ला सकती हैं। बस उन्हें मौका मिलने की जरूरत है। मैं चाहती हूं। मेरे गांव में एक छोटा स्टेडियम बने, जिससे गांव की बेटियां यहां एथलेटिक्स की प्रैक्टिस कर सकें। साथ ही देश का नाम रोशन कर सके।