मेरठ (ब्यूरो)। विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर जिला मलेरिया विभाग में जिला मलेरिया अधिकारी सत्यप्रकाश की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान शहर के विभिन्न स्थानों पर लोगों को मलेरिया के प्रति जागरूक करने के लिए जागरूकता रैली निकाली गई। रैली में माइक व पोस्टर के माध्यम से लोगों को मलेरिया के प्रति सचेत किया गया।

जलभराव पर फोकस
इस अवसर पर जिला मलेरिया अधिकारी सत्यप्रकाश ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा विभाग वैसे तो अपना कार्य कर रहा है। मगर ऐसे क्षेत्रों पर पूरा फोकस रखना है, जहां पर गंदगी होने के कारण मच्छर अधिक पनप सकते हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसे स्थानों पर विभाग की टीम जागरूकता अभियान के साथ निगम की टीम के साथ साफ-सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त करे।

निकाली गई रैली
इस दौरान जिला अस्पताल से जागरूकता रैली निकाली गई। जागरूकता रैली जिला अस्पताल, घंटाघर, रेलवे रोड, जली कोठी, अहमद रोड होते हुए जिला अस्पताल में समाप्त हुई। जागरूकता रैली में पोस्टर व बैनर के माध्यम से आम जनता को बताया गया कि मच्छरों से बचाव और लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज मलेरिया से बचाव का बेहतर उपाय है। समय से जांच व इलाज न होने से मलेरिया जानलेवा हो सकता है। मलेरिया की दवा बीच में नहीं छोडऩी है। जिला स्तरीय अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) पर मलेरिया की जांच नि:शुल्क है।

सुबह शाम बनाता है शिकार
जिला मलेरिया अधिकारी सत्यप्रकाश ने बताया मलेरिया का मच्छर सामान्यत शाम और सुबह के समय काटता है। अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह व्यक्ति तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है। मच्छर के काटने के बाद इसका परजीवी लिवर के जरिए लाल रक्त कोशिकाओं तक पहुंचता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है। यह रक्त कोशिकाओं को तोडऩे लगता है। संक्रमित रक्त कोशिकाएं हर 48 से 72 घंटे में फटती रहती हैं और जब भी फटती हैं बुखार, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण भी सामने आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का परामर्श है कि गर्भवती को मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनमें मलेरिया होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं।