आई स्पेशल

- भद पिटवा रही एमडीए की योजनाओं में दफन हजारों आशियाने

- गंगानगर, लोहियानगर व शताब्दीनगर समेत आधा दर्जन योजनाएं ध्वस्त

- कब्जा तो दूर आवंटियों को नहीं पता प्लॉट की लोकेशन

-एमडीए योजनाओं में दफन हजारों आशियाने

mohit.sharma@inext.co.in

Meerut: समाजवादी आवासीय योजना समेत अपनी आधा दर्जन योजनाओं में एमडीए को लाभार्थी मिले भी नहीं थे कि एमडीए ने एक और अफोर्डेबल योजना लोगों के बीच लाकर खड़ी कर दी। एमडीए की इस योजना शासन की प्राथमिकता वाली समाजवादी आवास योजना से टकरा रही है। आलम यह है कि प्राधिकरण की योजनाएं एक के बाद एक धराशायी होती जा रही हैं और प्राधिकरण पुरानी खामियों को दूर किए बगैर नई योजनाएं लांच करने में लगा है।

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ये है आवासीय योजनाओं का सच

योजना निर्मित भवन खाली

शताब्दीनगर 4200 1800

मेजर ध्यानचन्द -- --

रक्षापुरम योजना 90

लोहियानगर 2815 1320

सैनिक विहार 2202

श्रद्धापुरी योजना 1021 96

पल्लवपुरम 4965 96

डिफेंस एन्कलेव -- --

पांडवनगर 1072 --

वेदव्यासपरी 59 --

गंगानगर 3239 1268

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भूखंडों की स्थिति --

योजना प्लॉट

शताब्दीनगर 4698

मेजर ध्यानचन्द 728

रक्षापुरम योजना 607

लोहियानगर 5079

सैनिक विहार 885

श्रद्धापुरी योजना 1402

पल्लवपुरम 2266

डिफेंस एन्कलेव 1380

पांडवनगर 115

वेदव्यासपरी 1214

गंगानगर 7232

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किसानों के कब्जे में जमीन

योजना जमीन एकड़ प्लॉट

शताब्दीनगर 1129 5211

मेजर ध्यानचन्द 7.97 146

रक्षापुरम योजना 7.77 135

लोहियानगर 73.82 1139

गंगानगर 204.91 2427

वेदव्यासपुरी 150.00 305

योजनाओं पर लगा ग्रहण

एमडीए ने 1989 से 1992 के बीच शहर और सटे हुए क्षेत्रों से 5119 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। इनमें से 1793 एकड़ जमीन शताब्दी नगर, 715 एकड़ गंगानगर , 878 एकड़ भूमि वेदव्यासपुरी योजना के लिए अधिग्रहण की गई थी। इन योजनाओं का सब्जबाग दिखाकर एमडीए ने हजारों प्लाट बेच कर अरबों रुपए कमाए। वहीं दूसरी ओर किसानों ने अतिरिक्त मुआवजे की फेर में एमडीए को अपनी जमीनों पर कब्जा नहीं दिया। मुआवजे को लेकर छिड़े किसानों और एमडीए के विवाद में बेचारों आवंटियों को लाखों खर्च करने के बाद भी प्लॉटों पर कब्जा नहीं मिल पाया।

9363 आवंटी लटके

विभिन्न योजनाओं में एमडीए के प्रलोभन का शिकार बने आवंटियों की संख्या 9363 से भी ऊपर है। इन आवंटियों के नाम एमडीए ने रजिस्ट्री तो कर दी है, यहां तक की आधे से अधिक लोगों को पजेसन लेटर तक जारी दिया है, बावजूद इसके आवंटियों को अभी तक जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया है। आज भी न जाने कितने आवंटी आपको एमडीए कार्यालय के चक्कर काटते मिल जाएंगे।

एमडीए से उठा भरोसा

नव वर्ष-2015 के अवसर पर यूपी सरकार ने बेसहारा और बेघरों के लिए समाजवादी आवासी योजना का आगाज किया था। योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब शहरवासियों के लिए सस्ते और सुलभ आवास मुहैया कराना था। समाजवादी योजना के अंतर्गत मेरठ में तीन हजार मकान बनाए जाने हैं, जिनमें से मेरठ विकास प्राधिकरण को एक हजार मकान बनाकर देने हैं। इनमें से 800 मकान शताब्दी नगर और 200 मकान लोहियानगर में बनाने की तैयारी में जुटा है। 57 मीटर में को बनाए जाने वाले इन मकानों की कीमत 22.5 लाख रुपए रखी गई। इसके विपरीत हाल ही एमडीए द्वारा लांच की गई अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम में फ्लैट की कीमत सात से दस लाख के बीच रखी गई है। ऐसे में समाजवादी आवासीय योजना का फ्लॉप होना तय है।

हाल ही में लॉंच योजना --

ये है योजना

योजना फ्लैट्स क्षेत्रफल (वर्ग मी) कीमत (रुपए)

गंगानगर 96 31.33 8.35

शताब्दीनगर 560 31.33 7.336

डिफेंस कालोनी 72 31.33 10.23

लाभार्थियों का टोटा

शहर में समाजवादी आवासीय योजना का हश्र यह हुआ कि जिन लोगों के लिए यह योजना शुरू की गई थी, उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया। सबसे महंगी सरकारी योजना के लिए एमडीए ने छह माह पूर्व आवेदन प्रक्रिया शुरू की और बैंक द्वारा पांच सौ रुपए का फॉर्म निकाला। महंगाई के चलते योजना की हालत यह हुई कि पहले माह में केवल 19 आवेदन ही आ पाए। आवेदनों इतनी कम आवेदनों की संख्या देखते हुए एमडीए ने आवेदन की तारीख भी बढ़ाई फिर आवेदन संख्या 31 तक ही पहुंच पाई।

कई योजनाएं किसानों के कब्जे के चलते विवादित थी। अब किसानों से समझौता हो गया गया है, तो योजना भी परवान चढ़ेंगी। कुछ लॉटरी पेंडिंग हैं, जब औपचारिकता पूर्ण कर ली जाएगी।

राजेश यादव, वीसी एमडीए