तीन सालों तक रहे मेरठ

पाकिस्तान की सेना को लोंगेवाला में रोककर रखने वाले 23 पंजाब रेजीमेंट के मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का मेरठ से पुराना और गहरा नाता रहा है। 23 पंजाब रेजीमेंट के मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने महज 90 जवानों की कंपनी के साथ पाकिस्तान की 3500 जवानों की पूरी ब्रिगेड का सामना किया था। 1971 की जंग में जीत हासिल करने के बाद कुलदीप सिंह चांदपुरी की पोस्टिंग तीन वर्षों के लिए देश की क्रांतिभूमि मेरठ में हो गई थी। वो यहां 1980 से लेकर 1983 तक मेरठ छावनी में तैनात रहे। वो मेरठ छावनी में प्रशिक्षण व अन्य फौजी कार्यों में जुटे हुए थे।

देशभक्ति के लिए रणभूमि में डटे रहे

एक सिख कार्यक्रम में शिरकत करने आए ब्रिगेडियर कुलदीप के बेटे हरदीप सिंह चांदपुरी ने कहा कि जब मेरे पिता लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात थे तब मेरी उम्र महज एक साल की थी। वो बताते हैं कि लोंगेवाला में पाकिस्तान के लगभग 3500 फौजी मोर्चा ले रहे थे, उसके बाद भी भारत के एक भी फौजी ने मैदान नहीं छोड़ा और देशभक्ति के लिए रणभूमि में डटे रहे।

दबाव नहीं मुझपर

पिता के फौज में होने के बावजूद खुद आर्मी न ज्वाइन न करने के बारे में पूछा तो हरदीप सिंह ने कहा कि एनडीए की परीक्षा उन्होंने भी पास की थी, लेकिन वह शौकिया इसमें बैठे थे। उन पर परिवार की ओर से आर्मी ज्वाइन करने का कोई दबाव नहीं था। इसलिए उन्होंने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन की डिग्री ली और आज आरजे की ट्रेनिंग दे रहे हैं और अपना बिजनेस भी चला रहे हैं।

बाहरी से आंतरिक खतरा ज्यादा

मौजूदा सिस्टम और देश के हालातों के बारे में हरदीप सिंह ने कहा कि आज देश को सीमा पार से ज्यादा आंतरिक खतरा है। सरकार को उन लोगों को आइडेंटीफाई कर कार्रवाई करनी चाहिए। आंतरिक खतरे के खात्में को लेकर जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए।