आई कनसर्न

- शहर में गंदगी का अंबार, चौराहे पर लग रहा जाम

- अतिक्रमण बेशुमार, पब्लिक होती है परेशान

मेरठ। शुक्रवार को जारी हुई स्मार्ट सिटी की सूची में मेरठ का नाम एक बार फिर से नहीं था। इसका मुख्य कारण शहर में समस्या का जंजाल है। जिसको ठीक करना नगर निगम के हाथों में है। लेकिन नगर निगम की अधिकारी केवल खानापूर्ति के लिए इन कामों को करते हैं। खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ता है। ऐसे में मेरठ स्मार्ट सिटी कभी भी नहीं बन पाएगा।

यह कमियां कब होगी दूर

शहर में अतिक्रमण

शहर में अतिक्रमण बेशुमार है। इसको हम नहीं बल्कि स्मार्ट सिटी के लिए सर्वे करने आई टीम ने भी गौर किया। नगर निगम के अधिकारियों को बताया भी। लेकिन नगर निगम अधिकारियों ने केवल कागजों में दिखाने के लिए शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया।

जाम की समस्या

जाम की समस्या शहर के जंजाल बना हुआ है। हालात यह है कि पांच मिनट का रास्ता तय करने के लिए तीस मिनट से एक घंटा तक लगता है। अनेक बार चौराहों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए योजनाएं बनी। लेकिन वह केवल फाइलों में ही दबकर रह गई

गंदगी का अंबार

शहर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। अनेक बार कमिश्नर से लेकर डीएम ने अभियान चलाने की योजनाएं बनाई। योजनाओं को पूरा करने के लिए अभियान भी चलाया गया। लेकिन बाद में फिर से ढाक के तीन पात। कूड़ा निस्तारण प्लांट तक की योजना डंप हो गई।

टूटी हुई सड़कें

शहर की खस्ताहाल सड़क भी मेरठ को स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर करता है। अधिकारी शहर को स्मार्ट बनाने के लिए कितना गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सीएम योगी के सड़क को गड्ढा मुक्त करने के आदेश को ही हवा में उड़ा दिया गया।

पानी की निकासी नहीं

शहर में पानी की निकासी नहीं है। नालों की सफाई नहीं होती है। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। हल्की सी बारिश में शहर जलमग्न हो जाता है। कई दिनों तक जलभराव की समस्या रहती है। पानी की निकासी नहीं हो पाती है।

लोगों का बुनियादी सुविधाएं देने की जिम्मेदारी हमारी है। इस ओर गंभीरता से काम किया जा रहा है। सरकार भी इस ओर ध्यान दे रही है। जल्द ही इसमें परिवर्तन दिखाई देगा।

-मनोज कुमार चौहान, नगर आयुक्त